जानिए संजय राउत को जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रोग्राम में जाने की सीख किसने दी
Know Who Taught Sanjay Raut to Go To The Program of Jamaat-e-Islami Hindसीएए और एनआरसी के विरोध में जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रोग्राम में संजय राउत शिरत कत करने जा रहे हैं। उन्न्हें यह सीख बालठाकरे से मिली जानिए कैसे?
बेंगलुरु। नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन देश भर में लगातार जारी हैं। प्रदर्शनकारी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार कानून के माध्यम से, देश को बांटने का काम कर रही है। इसी विरोध के तहत मुंबई में जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) मुंबई में सीएए और एनआरसी खिलाफ शनिवार को एक कार्यक्रम करने जा रही, जिसमें शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत भी शामिल होंगे। जमात-ए-इस्लामी हिंद मुंबई, मराठी पत्रकार संघ और एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) मिलकर यह कार्यक्रम कर रहे हैं।
शिवसेना ने अचानक पलटा रुख
दरअसल, शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल पर लोकसभा में समर्थन किया था, लेकिन राज्यसभा में मतदान के दौरान वाकआउट कर गई थी। राज्यसभा से वाकआउट के बाद पार्टी की तीखी आलोचना हुई थी और पार्टी के बचाव में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र में एनआरसी को लागू नहीं करेंगे और साथ ही सीएए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला के बाद निर्णय लेने की बात कही थी।
काफी साम्यवादी हो गए हैं संजय राउत
वहीं महाराष्ट्र की राजनीति में फायर ब्रांड नेता संजय राउत, महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के बाद से काफी साम्यवादी हो गए हैं। इस नए राजनीतिक समीकरण के बाद राउत ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जो उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाता है। राउत लगातार सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोदी सरकार पर हमलावर थे, इस कानून पर मोदी सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। इतना ही अब मुस्लिम संगठन के निमंत्रण को स्वीकार करके एक बार फिर सबको चौका दिया। सब इंतजार कर रहे हैं कि इस कार्यक्रम में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर संजय राउत क्या तर्क पेश करते हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मुस्लिम संगठन का हाथ पकड़ने की सीख उन्हें किसने दी?
बाल ठाकरे के सच्चे वारिस है संजय राउत
जमात-ए-इस्लामी हिंद के कार्यक्रम में जाने की वादा करके संजय राउत ने विपक्ष को एक और आलोचना का मौका दे दिया है। लेकिन ऐसा करके उन्होंने साबित कर दिया कि वो ही शिवसेना के मुख पत्र सामना के संस्थापक और राजनीतिज्ञ स्वर्गीय बाल ठाकरे के सच्चे वारिस हैं। संजय राउत भी वो ही कर रहे हैं जो आज से कई दशक पहले बाल ठाकरे ने किया था। 1989 में बाल ठाकरे ने ऐसा ही कुछ करके देश को अपनी राजनीतिक समझ का परिचय दिया था। आज से लगभग 31 वर्ष पहले शिवसेना की पहचान एक कट्टरवादी हिंदू पार्टी की थी। शिवसेना की विचाराधारा हो या बयान सभी मुसलमानों के खिलाफत में आग के गोले के समान हुआ करते थे। लेकिन तब भी शिवसेना ने अपनी घोर दुश्मन पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करके सबको चौका दिया था।
कट्टर आलोचक के साथ बाल ठाकरे ने मंच किया था साक्षा
इतना ही तब हिंदू सम्राट के नाम से हिंदू दिलों में राज करने वाले बालठाकरे ने तब मुस्लिम लीग के घोर कट्टरवादी मुस्लिम नेता गुलाम मोहम्मद बनातवाला के संग मंच साझा किया था। जबकि उस समय नेता गुलाम मोहम्मद बनातवाला को शिवसेना विशेषकर बाल ठाकरे के सबसे बड़े आलोचक थे। उस समय आए दिन बनातवाला बाल ठाकरे के लिए तीखी टिप्पणियां किया करते थे।
शिवसेना इसलिए किया था मुस्लिम लीग से गठबंधन
गौरतलब है कि शिवसेना ने मुंबई में 1970 में अपना मेयर बनाए जाने के लिए मुस्लिम लीग से गठबंधन कर सबको अचंभित कर दिया था। इससे महाराष्ट्र राजनीति बहुत प्रभावित हुई थी। यह शिववेना बाल ठाकरे का राजनीति में मास्टर स्ट्रोक था। इस गठबंधन के पहले शिवसेना और मुस्लिम लीग का कुत्ते-बिल्ली की दुश्मनी जैसी थी। वो एक दूसरे को फूंटी आंख भी नहीं सुहाते थे। लेकिन जब यह दोनों पार्टियां साथ आयी तो लोगों को विश्वास भी नहीं हुआ।
इसलिए दोनों थामा था एक दूजे का हाथ
1978 में बाल ठाकरे ने मुंबई के एक मैदान में आयोजित विशाल रैली मैदान में मुसलमानों के समक्ष अपना पक्ष भी रखा था। इस रैली के दौरान कई ऐसे मुद्दे उठे जिस समय मुस्लिम लीग और शिवसेना के बीच का मतभेद खुलकर सामने आया। उस सयम यह दोनों पार्टियां मजबूरी में एक दूसरे का हाथ थामा था। कहा जाता है कि उस समय दोनों ही पार्टियों का राजनीतिक भविष्य अधर में था। उस समय में दोनों को एक दूसरे की बराबर जरुरत थी, जिसको उन्होंने समझा था और एक दूसरे का दामन थाम कर उस समय जमकर राजनीतिक लाभ लिया था।
शिवसेना की पुरानी परंपरा को फालो कर रहे संजय राउत
दरअसल संजय राउत जो कर रहे हैं उसकी सीख उन्हें शिवसेना संस्थापक और अपने गुरु बाल ठाकरे से ही मिली हैं। वर्तमान समय में संजय राउत की भी वो ही कर रहे जो आज से कई दशक पूर्व बाल ठाकरे ने किया था। अब जब संजय राउत जमात-ए-इस्लामी हिंद के कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे तो अचंभित नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये वह शिवसेना में चली आ रही पुरानी परंपरका को आगे ले जा रहे हैं।
संजय नहीं गवाना चाहते ये मौका
महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन करवा कर शिवसेना की सरकार बनवाने के बाद जब अभी संजय राउत की राजनीति का स्वर्णिम काल चल रहा हैं ऐसे में उन्हें पता है बिना सबके साथ के महाराष्ट्र और मुंबई की सल्तनत पर वर्षों तक कब्जा कायम नहीं रह सकता। ऐसे में संजय राउत जो कर रहे हैं वह कहीं न कहीं से उनकी राजनीतिक मज़बूरी है। ये वहीं संजय राउत है जिनके पूर्व में लिखे गए लेख हो या दिए गए बयान, उनमें कट्टरवादी हिंदुत्व की छाप होती थी। लेकिन अब उनका बदला हुआ रुप ये ही सिद्ध कर रहा है कि राजनीति की दुनिया एक रंग बदलती दुनिया हैं और हर कोई मौका परस्त हैं।
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