PM Modi Speech: जनसंख्या नियंत्रण पर इशारों-इशारों में पीएम मोदी ने कह दी ये बड़ी बात
बंगलुरू। 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए संकेत दिया है कि सरकार लगातार बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिए जल्द कोई बड़ी पहल कर सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या आने वाली पीढ़ियों के लिए संकट पैदा कर सकती है। संभावना जताई जा रही है कि मोदी सरकार संसद के अगले सत्र विधेयक भी ला सकती है।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सामाजिक जागरूकता की आश्वयकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा स्वयं प्रेरणा से एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित रखकर अपने साथ-साथ देश की भलाई में भी योगदान करता है। प्रधानमंत्री का संकेत साफ था कि वो जनसंख्या नियंत्रण के लिए भविष्य में कुछ बड़ा कदम उठा सकते हैं। हालांकि उन्होंने जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिए लोगों से स्वैच्छिक योगदान देने के लिए भी प्रोत्साहित करते हुए कहा कि छोटा परिवार रखकर भी देशभक्ति दिखाई जा सकती है।
लाल किले की प्राचीर से संबोधन से पहले प्रधानमंत्री ने तिरंगा फहराया और सभी देशवासियों को आजादी दिवस और रक्षाबंधन की बधाई दी। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए बाढ़ राहत कार्यों में लगे कर्मियों का धन्यवाद व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल के 10 सप्ताह के कामकाज का ब्यौरा देते हुए कहा कि 10 सप्ताह के छोटे समय में उनकी सरकार ने सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, इनमें मुस्लिम माताओं बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक कानून बनाने, आतंक से जुड़े कानूनों में आमूलचूल परिवर्तन करने और जम्मू-कश्मीर प्रदेश से अनुच्छेद 370 और 35 ए से हटाने का प्रमुख रूप से उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री मोदी जनसंख्या विस्फोट की समस्या की विकटता को समझाने और उससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की चर्चा करते हुए कहा कि अब देश उस दौर में पहुंचा है, जिसमें चुनौतियों को सामने से स्वीकार करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि वो कोई भी फैसला राजनीतिक नफा-नुकसान के इरादे से नहीं करते हैं, क्योंकि इससे देश का बहुत नुकसान होता है।
भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या को भविष्य की पीढ़ियों के लिए वृहद संकट बताते हुए प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से कहा कि देश में एक जागरूक वर्ग है, जो इस बात को भली-भांति समझती है और वह अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले सोचता है कि वह उसकी जरूरतों को पूरा कर पाएगा या नहीं।
जनसंख्या निंयत्रण पर लोगों के स्वैच्छिक सहयोग की अपील करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि स्वंय प्रेरणा से एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित रखकर व्यक्ति न केवल अपना भला कर सकता है बल्कि देश की भलाई में भी बड़ा योगदान दे सकता है। यहां प्रधानमंत्री ने अपने मंसूबे साफ कर दिए कि अगर लोगों ने जनसख्या विस्फोट से आसन्न संकट से गुरेज नहीं किया तो भविष्य में कड़ा कदम उठाया जा सकता है।
दूसरी ओर, छोटे परिवार को देशभक्ति से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वो चाहते हैं कि समाज के सभी लोग इसमें सहयोग करें और समझने की कोशिश करें कि कैसे देखते ही देखते भारत जनसंख्या विस्फोट की ओर उन्मुख हो चला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि घर में किसी भी शिशु को लाने से पहले यह सोचना जरूरी है कि जो शिशु उनके घर में आएगा, क्या उसकी जरूरतों के लिए तैयारी पूरी है अथवा नहीं?
बकौल प्रधानमंत्री मोदी, "बिना तैयारी के घर में शिशु के आगमन की जिम्मेदारी समाज के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। इसलिए घर में शिशु को लाने से पहले सोच-विचार करना जरूरी है। जनसंख्या विस्फोट से बचाव के लिए एक समाजिक जागरूकता की आवश्यकता है और समाज के बाकी वर्गों को जोड़कर हमें जनसंख्या विस्फोट की चिंता करनी होगी। इसके काम को राज्यों और केंद्र सरकार को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करना होगा।"
उल्लेखनीय है भारत में विस्फोटक होती जनसंख्या के नियंत्रण को लेकर बीजेपी सासंद राकेश सिन्हा ने एक निजी विधेयक 12 जुलाई, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक में टू चाइल्ड नार्म्स यानी एक परिवार में सिर्फ़ दो बच्चों के होने का ज़िक्र किया गया है। इस बिल का नाम जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019 रखा गया है।
करूणाकरण कमेटी ने भी भारत की बढ़ती आबादी पर रोकथाम को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर देश सांस्कृतिक विभाजन की ओर बढ़ रहा है। साथ ही, बढ़ती जनसंख्या को धर्म से जोड़ते हुए उन्होंने धार्मिक व्यवधान को बढ़ती जनसंख्या के लिए एक बड़ी वजह ठहराया है।
सर्वप्रथम वियतनाम लेकर आई 'दो संतान कानून'
आज से करीब 50 साल पूर्व वर्ष 1960 में वियतनाम पहला देश था, जो सबसे पहले दो संतान पॉलिसी कानून लेकर आई थी। इसके बाद वर्ष 1970 में ब्रिटिश काल में हांगकांग में यह कानून लागू किया गया, लेकिन तब इसे अनिवार्य नहीं बनाया ग था, लेकिन वर्ष 2016 में चीन ने दो संतान कानून को प्रभावी रूप से लागू किया गया जबकि इससे पहले चीन में एक संतान पॉलिसी लागू थी।
इस्लामिक
देश
ईरान
में
भी
चला
'दो
संतान
कैंपन'
इस्लामिक
देश
ईरान
ने
वर्ष
1990
से
2016
के
दौरान
परिवार
नियोजन
के
तहत
नागरिकों
से
दो
संतान
पॉलिसी
के
लिए
प्रोत्साहित
किया।
तत्कालीन
ईरानी
सरकार
अपनी
घोषणा
में
कहा
था
कि
इस्लाम
भी
दो
संतान
वाले
परिवार
के
पक्ष
में
हैं।
यही
नहीं,
तत्कालीन
स्वास्थ्य
मंत्रालय
ने
दो
संतान
पॉलिसी
के
प्रोत्साहन
के
लिए
राष्ट्रीय
स्तर
पर
कैंपेन
भी
चलाया
और
बढ़ती
जनसंख्या
पर
नियंत्रण
के
लिए
विभिन्न
गर्भ
निरोधकों
के
बारे
में
लोगों
को
बताया
गया।
लोगों
को
कॉन्ट्रासेप्टिव
पिल्स,
कंडोम,
कॉपर
टी,
आर्म
इमप्लांस्ट
और
नसबंदी
जैसी
प्रचलित
गर्भ
निरोधक
में
विस्तार
से
समझाया
गया।
सिंगापुर में चलाया गया 'स्टॉप एट टू कैंपेन'
सिंगापुर द्वारा वर्ष 1970 में नेशनल फेमिली प्लानिंग कैंपन के तहत स्टॉप एट टू पॉलिसी लांच की गई, जिसके तहत नागरिकों को दो से अधिक संतान नहीं पैदा नहीं करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। स्टॉप एट टू पॉलिसी के तहत दो से अधिक संतान वाले परिवारों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभों में वंचित करने का फरमान सुना दिया गया, जिनमें प्रसव सहायता, आयकर, मातृत्व अवकाश और सार्वजनिक आवासों के आवंटन की प्राथमिकता प्रमुख थीं।
ब्रिटेन
में
पहले
2
बच्चों
को
चाइल्ड
बेनिफिट
देने
का
ऐलान
वर्ष
2012
में
ब्रिटेन
की
कंजरवेटिव
पार्टी
दो
संतान
पॉलिसी
लेकर
आई
थी,
जिसके
तहत
सरकार
ने
परिवार
के
पहले
दो
बच्चों
को
ही
चाइल्ड
बेनिफिट
देने
का
ऐलान
किया
गया।
हालांकि
वर्ष
2015
में
ब्रिटेन
के
प्रधानमंत्री
चुने
गए
डेविड
कैमरून
ने
दो
संतान
पॉलिसी
के
तहत
चाइल्ड
बेनिफिट
में
कटौती
का
खंडन
किया,
लेकिन
तीन
महीने
बाद
स्वास्थ्य
मंत्री
जार्ज
ऑस्ब्रोन
ने
चाइल्ड
टैक्स
क्रेडिट
पहली
दो
संतानों
तक
सीमित
करने
की
घोषणा
करके
जनसंख्या
नियंत्रण
के
खिलाफ
सरकार
के
मंसूबे
साफ
कर
दिए।
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