येदुरप्पा गए अब कुमारस्वामी बनेंगे कर्नाटक के किंग, पढ़ें जेडी-एस की ABCD
बेंगलूरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें पाने वाली पार्टी बीजेपी को कांग्रेस और जेडी-एस ने मिलकर बाहर कर दिया है। गुरुवार को बीएस येदुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देकर कुमारस्वामी के लिए रास्ता साफ कर दिया। जेडी-एस अध्यक्ष कुमारस्वामी गठबंधन सरकार में पहले कर्नाटक के सीएम रह चुके हैं। कर्नाटक चुनाव 2018 के त्रिशंकु परिणाम आते ही कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए कुमारस्वामी को सीएम बनाने का ऑफर देने के साथ ही खुले समर्थन का ऐलान कर दिया था। अब येदुरप्पा के जाने के बाद कुमारस्वामी ही कर्नाटक के अगले किंग होंगे। कुमारस्वामी के पिता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा हैं। ये दोनों पिता-पुत्र मिलकर कर्नाटक की राजनीति को कई बार 360 डिग्री घुमा चुके हैं।
कुमारस्वामी का जन्म 1 दिसंबर 1959 में हुआ था। वह 2006 से 2007 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। राजनेता होने के साथ ही साथ कुमारस्वामी कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में बतौर प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर भी काम कर चुके हैं। उन्हें कुमारान्ना के नाम से भी बुलाया जाता है।
पहले भी किंगमेकर से किंग बन चुकी है जेडी-एस
एचडी देवगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो चुके हैं। लेकिन भारत का पीएम बन जाना ही उनकी एकमात्र बड़ी उपलब्धि नहीं है। प्रधानमंत्री का पद जाने के 7 साल बाद 2004 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव हुए थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी थी, जिसके पास 79 सीटें थीं। दूसरे नंबर पर कांग्रेस थी, जिसे 65 सीटें मिली थीं, लेकिन तीसरे नंबर की पार्टी जेडी-एस 20 या 30 नहीं बल्कि 58 सीटें जीतकर आई थी। उस वक्त जेडी-एस ने कांग्रेस को मजबूर कर दिया था, जिसकी वजह से एन धरम सिंह को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा, जबकि पार्टी एसएम कृष्णा को सीएम बनाना चाहती थी।
बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस को भी कई बार पानी पिला चुकी है जेडी-एस
जेडी-एस की कहानी सिर्फ कांग्रेस पर दबाव बनाने तक सीमित नहीं है। ये राजनीतिक किस्सा अभी और रोचक मोड़ लिए हुए है। कांग्रेस के साथ सरकार बनाते वक्त जेडी-एस ने तर्क दिया था कि वह सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से बाहर रखना चाहती है, लेकिन दो साल सरकार चलाने के बाद जेडी-एस ने पलटी मारी। नतीजा- देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के सीएम बन गए। जेडी-एस ने बीजेपी के साथ 'सीएम रोटेशन' का फार्मूला बनाया, जिसके तहत कुमारस्वामी 2007 तक कर्नाटक के सीएम रहे। इसके बाद बीजेपी के बीएस येदुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो जेडी-एस ने उन्हें रास्ता देने से साफ इनकार कर दिया था।
बेटे कुमारस्वामी की राजनीति चमकाने के लिए देवगौड़ा ने ले ली थी सिद्धारमैया की बलि
2004 का ही एक और किस्सा है। सिद्धारमैया जो कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के सीएम हैं, कभी जेडी-एस में देवगौड़ा की पार्टी के सदस्य हुआ करते थे। इतना ही नहीं, धरम सिंह की सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम के पद पर तैनात थे। उस वक्त कर्नाटक में जेडी-एस और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार थी। लेकिन एक वर्ष बाद ही देवगौड़ा ने सिद्धारमैया को अनुशासनहीनता के आरोप लगाते हुए हटा दिया था। दरअसल, उन्हें डर था कि सिद्धारमैया कुमारस्वामी के लिए चुनौती बन सकते हैं। हालांकि, बाद में सिद्धारमैया ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली और सीएम बनने का उनका सपना पूरा हो गया।
कर्नाटक की राजनीति में जेडी-एस की स्थिति बेहद मजबूत
2013 के पिछले विधानसभा चुनाव की बातें करें तो इसमें जेडी-एस को 40 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 20 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा रहा। 2008 के चुनाव में जेडीएस ने 28 सीटें जीती थीं। हालांकि, वोट शेयर में ज्यादा अंतर नहीं था, 18.96 प्रतिशत के साथ थोड़ी गिरावट जरूर थी। 2004 के चुनाव में जेडीएस ने 59 सीटें प्राप्त की थीं और उसका वोट शेयर भी 20 प्रतिशत के आसपास था। 1999 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ 10 सीटों पर जीत मिली थी और उसका वोट शेयर 10 प्रतिशत के आसपास रहा था।
कर्नाटक में मायावती के साथ मिलकर कर दिया जेडी-एस ने खेल
2018 के विधानसभा चुनाव में जेडी-एस ने मायावती के साथ समझौता कर बड़ा खेल कर दिया। कर्नाटक में करीब 24 प्रतिशत दलित हैं। कर्नाटक में जेडी-एस की सबसे बड़ी ताकत है वोक्कालिगा समुदाय। इनकी आबादी करीब 12 प्रतिशत है। ओल्ड मैसुरु रीजन में इनका अच्छा प्रभाव है। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में करीब 53 सीटें ऐसी हैं, जिन पर वोक्कालिगा समुदाय का पूरा प्रभाव है। पिछली बार कांग्रेस ने यहां 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि जेडी-एस 23 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। बीजेपी को इस रीजन में सिर्फ 2 सीटें जीतने में सफलता मिली थी।