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लड़खड़ा सकता है तकनीकी क्षेत्र में अमेरिका

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वाशिंगटन। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में अमेरिका दुनिया का अग्रणी देश रहा है, लेकिन जल्द ही भारत और चीन जैसे तेजी से उभरते एशियाई देश इस क्षेत्र में अमेरिका को पछाड़ सकते हैं। नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक सुब्रा सुरेश ने विज्ञान एवं अभियांत्रिकी संकेतक 2012 की रपट जारी करते हुए कहा कि इसमें दी गई सूचना से स्पष्ट पता चलता है कि हमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अमेरिकी दबदबे को लंबे समय से बनी धारणा की समीक्षा करनी होगी।

ओबामा प्रशासन में प्रमुख पद संभाल रहे भारतीय अमेरिकी सुरेश ने कहा कि हमें शिक्षा, कार्यबल विकास और नवप्रवर्तन के लिए नयी रणनीति पर गंभीरता से विचार करना होगा ताकि अमेरिका अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रख सके। सुरेश नेशनल साइंस फाउंडेशन का सात अरब डालर का बजट देख रहे हैं जो कांग्रेस द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के सभी क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए मुहैया कराया गया है।

नए संकेतकों के मुताबिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तथाकथित एशिया-10 ने काफी तरक्की की है। एशिया-10 में चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर 1999 और 2009 के बीच वैश्विक अनुसंधान एवं विकास में अमेरिकी हिस्सेदारी 38 प्रतिशत से घटकर 31 प्रतिशत पर आ गई, जबकि इस दौरान एशिया क्षेत्र में यह 24 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत पहुंच गया।

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English summary
Technology budgets of large companies and the public sector will shrink this year in Europe and North America as economic slowdown weighs on investments.
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