बिहार में नया नहीं है भाजपा-जदयू के मंत्री-विधायक में मारपीट का मामला
पटना, 31 मई (आईएएनएस)। बिहार में भारतीय जनता पार्टी व जनता दल यूनाइटेड की सरकार भले ही चल रही हो, किन्तु दोनों दलों में आए दिन झगड़े भी चलते रहते हैं। ऐसी घटनाओं से गठबंधन पर खतरे के बादल मंडराते रहते हैं। विपक्षी दलों को भी बैठे बिठाए एक मुद्दा हाथ लग जाता है।
गौरतलब बात है कि ऐसी घटनाओं का शिकार अब तक भाजपा के लोगों को ही होना पड़ा है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तक ने फाल्गुनी यादव मामले में अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है,परंतु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
गठबंधन के दोनों दलों में मारपीट का मामला नया नहीं है। इसके पहले पूर्व मंत्री जनार्दन सिंह सिगरीवाल और छपरा के जदयू विधायक राम प्रवेश राय के बीच मारपीट की घटना को लेकर दोनो दल आपस में भिड़े थे। उस समय घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये सिगरीवाल को धरने पर भी बैठना पड़ा था। बाद में भाजपा-जदयू की उच्चस्तरीय बैठक में मामला निपटा दिया गया था।
दोनों दलों के नेता विधानसभा में भी उलझ कर गठबंधन धर्म को तार-तार कर चुके हैं। खगड़िया की जदयू विधायक पूनम देवी और तत्कालीन सहकारिता राज्यमंत्री रामजी दास ऋषिदेव के बीच विधानसभा में जमकर तानातानी हुई थी। बाद में ऋषिदेव ने विधायक पूनम देवी से अपनी जान को खतरा तक बताया था। इस मामले को भी उच्चस्तरीय पहल पर समाप्त कर दिया गया।
सहरसा के एक समारोह में भाजपा विधायक संजीव झा और पूर्व उर्जा मंत्री विजेन्द्र यादव में हुई झड़प ने भी दोनों दलों को आमने-सामने कर दिया था। गत 28 मई को चकाई में फाल्गुनी यादव और मंत्री नरेन्द्र सिंह के बीच हुई घटना इसकी ताजा कड़ी है। बहरहाल जो भी हो, परंतु गठबंधन में एक बार फिर दरार उभर गई है जिसे पाटना इस बार बड़े नेताओं के लिए भी आसान नहीं होगा। भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी मानते हैं कि गठबंधन सरकार की सेहत के लिए ऐसी घटनाएं ठीक नहीं हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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