छोटी जगहों पर जन्मे बड़े सपनों को कामयाबी
पटना, 31 मई (आईएएनएस)। एक ऐसे समय में जब चिकित्सा, इंजीनियरिंग से लेकर सिविल सर्विस तक में सफलता दिलाने के दावे करने वाली महंगी 'दुकानें' चारों ओर खुली हुई हैं ऐसे में एक संस्थान ऐसा भी है जो बिना किसी स्वार्थ के गरीब मेहनती बच्चों की तैयारी करवाता है। इस वर्ष 'सुपर-30' नामक इस संस्थान के सभी 30 छात्रों का चयन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में हो गया है।
सुपर 30 के संचालक एवं बिहार के अपर आरक्षी महानिदेशक (मुख्यालय) अभयानंद कहते हैं, "आईआईटी की परीक्षा में छात्रों की सफलता का रहस्य कड़ी मेहनत है। कड़ी मेहनत के बल पर ही छात्र इस परीक्षा में सफल हो सकते हैं। गरीब एवं मेधावी बच्चों के लिए द्वार हमेशा खुले हैं।"
उन्होंने कहा कि संस्थान को कहीं से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती। सुपर 30 में अधिकतर गरीब तबके के बच्चे हैं और उन्हें नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। उचित मार्गदर्शन और निशुल्क आवसीय व्यवस्था के कारण यहां के छात्रों की प्रतिभा को खिलने का पूरा अवसर मिलता है।
संस्थान के गणित के अध्यापक आनंद ने कहा कि आज भी मुझे गरीबी के कारण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई का मौका नहीं मिलने का गम सताता है और इन छात्रों की सफलता मेरे जख्मों पर मरहम का काम करती है। उन्होंने कहा कि इस संस्था में छात्रों का नामांकन प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है। प्रवेश परीक्षा में करीब दस हजार छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं, जिनमें 30 का चयन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सुपर 30 के सभी 30 छात्र आईआईटी की परीक्षा में सफल रहे जबकि 2007 व 2008 में 28-28 विद्यार्थी ही सफल हो पाए थे।
सुपर 30 में प्रथम स्थान हासिल करने वाले राहुल प्रकाश का कहना है कि वह कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करना चाहता है। राहुल के पिता बिरेन्द्र मिश्रा का कहना है कि आज राहुल की कामयाबी ने पूरे परिवार को खुशी का अमूल्य तोहफा दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**