भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन राशियों पर असर दिखाएगा सूर्य ग्रहण
नई दिल्ली। साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण 21-22 अगस्त 2017 की मध्यरात्रि में होने वाला है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और न ही इसका सूतक लगेगा, लेकिन चूंकि सूर्य समस्त सृष्टि को जीवन देने वाला प्रमुख ग्रह है इसलिए इस ग्रहण का असर आकाश मंडल में मौजूद समस्त ग्रहों, नक्षत्रों और तारागणों पर पड़ेगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक राशि के मनुष्य, जीव-जंतु, प्रकृति, पर्यावरण, वायुमंडल को प्रभावित करेगा।
सोमवार को लगेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण, जानिए शिव से संबंध
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, उत्तर-पूर्वी एशिया और अफ्रीका में दिखाई देगा। कहा जा रहा है कि ग्रहण के दौरान अमेरिका में रात की तरह दिन में अंधेरा छा जाएगा। अमेरिका में इससे पहले जून 1918 में इस तरह का सूर्य ग्रहण देखा गया था।
21 अगस्त को लगेगा पूर्ण सूर्यग्रहण, जानिए कुछ खास बातें...
कब लगेगा
भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण 21 अगस्त की रात्रि में 9 बजकर 16 मिनट पर प्रारंभ होगा और रात्रि 2.34 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात्रि 11.51 बजे होगा। जिन देशों में यह ग्रहण दिखाई देगा वहां ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले यानी 21 अगस्त के दिन में 11.51 बजे से लग जाएगा।
क्या करें ग्रहण काल में?
- चूंकि यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात्रि में प्रारंभ होगा, इसलिए सायंकाल पितरों संबंधी दान-पुण्य, तर्पण करें।
- कुंडली में सूर्य या चंद्र ग्रहण दोष है तो ग्रहण दोष शांति पूजन करवाएं।
- कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा करवाई जा सकती है। रूद्राभिषेक करवाएं।
- सायंकाल के समय गरीबों, अपने घर के सेवकों, नौकरों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा भेंट दें।
- गरीबों, भिक्षुकों को भोजन करवाया जा सकता है।
- मेष: मेष राशि के लिए पंचम भाव में ग्रहण लगेगा। चूंकि पंचम भाव संतान और शिक्षा का स्थान होता है इसलिए ग्रहण के प्रभाव से संतान कष्ट में आएंगी। उनकी शिक्षा में बाधा आएगी। निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होगी। कालसर्प दोष वालों के लिए भी स्थिति चिंताजनक बन सकती है। पंचम स्थान संतान भाव है इसलिए गर्भवती स्त्रियों को भी कष्ट होगा।
- वृषभ: इस राशि के लिए ग्रहण चतुर्थ भाव में लगेगा। चतुर्थ स्थान सुख स्थान होता है इसलिए भौतिक सुख-सुविधाओं में कमी आएगी। माता-पिता को बीमारी, कोई कष्ट होगा। हृदय रोगी विशेष सावधानी रखें। वे किसी प्रकार का तनाव न लें अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है। स्थायी संपत्ति की हानि हो सकती है। परिजनों से विवाद होगा।
- मिथुनः मिथुन राशि के तीसरे भाव में सूर्य ग्रहण अपना असर दिखाएगा। भाई-बंधुओं, मित्रों से विवाद होगा। कोई करीबी व्यक्ति ही आपको धोखा दे सकता है, चाहे वह परिजन हो या मित्र। इसलिए आर्थिक मामलों को सावधानीपूर्वक निपटाना होगा। क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा। अनावश्यक विवादों से दूर रहने का प्रयास करें।
- कर्क: सूर्य ग्रहण कर्क राशि वालों के दूसरे भाव को प्रभावित करेगा। द्वितीय भाव धन-संपत्ति का स्थान होता है। इसलिए खर्च की अधिकता बनेगी। अनाचक किसी कार्य पर बड़ा खर्च करना पड़ सकता है। चंद्र की राशि होने से मानसिक स्थिति विचलित रहेगी। मतिभ्रम भी बना रहेगा। निर्णय नहीं ले पाएंगे। आय के साधनों से कम पैसा मिलेगा।
- सिंह: इस राशि के लग्न पर ही ग्रहण है। यह स्थान स्वयं की शारीरिक स्थिति और पिता का स्थान है। लग्न पर शनि की दृष्टि होने से इस बात का ध्यान रखना होगा कि यदि आपने पूर्व में कोई गलत कार्य किया है तो अब उसका दंड भुगतने के लिए तैयार रहें। जिनकी कुंडली में शनि और राहु-केतु खराब स्थिति में है वे शारीरिक कष्ट पाएंगे। किसी मामले में फंस सकते हैं।
- कन्या: इस राशि के द्वादश भाव या व्यय स्थान में ग्रहण का प्रभाव रहेगा। खर्च की अधिकता रहेगी। यात्रा अधिक करना होगी और यात्रा में कष्ट भी उठाना पड़ेगा। यात्रा के दौरान सामान चोरी हो सकता है। शरीर के दाहिने हिस्से में चोट लग सकती है। दाहिनी आंख प्रभावित हो सकती है। यदि राहु-केतु की महादशा-अंत��्दशा चल रही हो तो परेशानी में आ सकते हैं।
- तुला: आय स्थान एकादश भाव को प्रभावित करेगा सूर्य ग्रहण। नौकरीपेशा व्यक्तियों की नौकरी में बाधा आएगी। नौकरी छूट भी सकती है। स्थान परिवर्तन का योग बनेगा। व्यापारी वर्ग को एक माह तक कोई बड़ा निवेश करने से बचना होगा। अन्यथा उल्टे हानि उठाना पड़ सकती है। इस दौरान संतान को भी कष्ट होगा। चोट, दुर्घटना की आशंका रहेगी। शारीरिक रोग परेशान करेंगे।
- वृश्चिक: इस राशि वालों के दशम भाव में ग्रहण लगेगा। जो लोग सरकारी नौकरी में हैं उसमें उन पर कोई आरोप लगेगा और उन्हें नौकरी छोड़ना पड़ सकती है। तबादला भी हो सकता है। यहां एक बात ध्यान रखने वाली यह होगी कि अचानक कोई बड़ा लाभ मिल सकता है, लेकिन ध्यान रखें उसका अंत शुभ नहीं होगा। यदि कोई बड़ी पदोन्नति या अचानक कहीं से धन आ गया तो वह अधिक दिन तक टिकेगा नहीं। पद-प्रतिष्ठा ही आपको मुसीबत में डाल सकती है।
- धनु: नवम भाव पर ग्रहण होगा इसलिए धर्म-कर्म के प्रति विरक्ति हो सकती है। अति उत्साह नुकसानदायक साबित होगा। इसलिए जो भी कार्य करें सोच-समझकर और बड़ों से सलाह लेने के बाद ही करें। उन्नति के योग बनेंगे, लेकिन आपको मेहनत भी उतनी ही अधिक करना होगी। भाग्य के भरोसे रहना आपको दूसरों से पीछे कर सकता है।
- मकर: मकर राशि के लिए अष्टम भाव में ग्रहण लगेगा। अचानक दुर्घटना का भय रहेगा। शत्रु सक्रिय होंगे इसलिए सावधानी से कार्य करें, हालांकि शत्रु आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। स्त्रियों को कष्ट होगा। मकर राशि की गर्भवती माताएं अपने गर्भस्थ शिशु का विशेष ध्यान रखें। खान-पान, उठने-बैठने में अत्यंत सावधानी रखें। जीवनसाथी को कोई रोग आ सकता है।
- कुंभ: इस राशि के सप्तम भाव में ग्रहण लगेगा। इसलिए सबसे ज्यादा वैवाहिक जीवन प्रभावित होगा। जिन लोगों का सप्तमेश कमजोर है उनका विवाह टूट भी सकता है। दांपत्य जीवन में भारी कष्ट, तनाव, मनमुटाव की स्थिति बनेगी। आत्मबल कमजोर होगा। इसलिए हिम्मत और धैर्य से काम लें। नौकरी और व्यापार में हानि हो सकती है।
- मीन: मीन राशि के जातकों के लिए षष्ठम भाव में ग्रहण का असर होगा। यहां यहां कुछ मामलों में ग्रहण शुभ प्रभाव दिखाएगा जैसे जो कार्य लंबे समय से अटके हुए हैं। या संपत्ति, वाहन लेने की योजना बना रहे हैं तो संभव है ग्रहण के 30 दिन के भीतर ये कार्य संपन्न हो जाएं, लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि पेट के निचले हिस्से के रोग भी उभरेंगे या परेशान करेंगे। जो लोग किडनी रोग से पीडि़त हैं वे विशेष सावधानी रखें। मीन लग्न की गर्भवती महिलाएं भी सावधान रहें।
राशियों पर क्या होगा असर
भारतीय ज्योतिष के अनुसार यह पूर्ण सूर्य ग्रहण भाद्रपद कृष्ण अमावस्या दिनांक 21 अगस्त 2017 सोमवार को सिंह लग्न में मघा नक्षत्र में लगेगा। लग्न में सूर्य और बुध रहेंगे। इसलिए ग्रहण से सिंह लग्न के जातक सर्वाधिक प्रभावित होंगे। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है या राहु-केतु की दशा-अंतर्दशा चल रही है या जिनकी कुंडली में सूर्य या चंद्र ग्रहण दोष बना हुआ है उन पर भी ग्रहण का ज्यादा असर होगा। ग्रहण का प्रभाव 30 दिनों तक रहता है।
राशियों पर ग्रहण क्या असर दिखाएगा?
इस राशि के लग्न पर ही ग्रहण है...
पद-प्रतिष्ठा
षष्ठम भाव में ग्रहण