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पंजाब में सिखों के ईसाईयत में धर्मांतरण से बढ़ती नाराजगी

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पंजाब विधानसभा चुनाव के समय एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसमें चर्च के बड़े समारोह में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू "हालेलुइया" पुकार रहे थे। बाइबिल के जानकारों के अनुसार 'यहोवा' की स्तुति करने के आग्रह को 'हालेलुइया' कहते हैं। बाइबिल के अनुसार 'यहोवा' परमेश्वर का नाम है और यहोवा की उपासना यहूदियों के पैगम्बर मूसा और ईसाईयों के पैगम्बर ईसा भी करते थे। यह शब्द यहूदियों और ईसाइयों की बाइबिल (ओल्ड टेस्टामेंट) में कई बार आता है।

Conversion of Sikhs into Christianity in Punjab

पूर्व मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी की पत्नी डॉ कमलजीत कौर का एक साक्षात्कार भी उन दिनों चर्चित हुआ था। जिसमें उनके ठीक पीछे दीवार पर ईसा की तस्वीर और क्रॉस लटक रहा था। उस दौरान चर्च और धर्मांतरण के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई लेकिन सिख संगठनों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। जब पूरे पंजाब में ईसाई संगठन अपनी पूरी ताकत लगाकर सिखों के धर्मांतरण के काम में जुट गए हैं, उसके बाद अब जाकर सिख संगठनों की आंखें खुली हैं।

ईसाई मिशनरियों के खिलाफ सक्रिय हुए सिख संगठन

पिछले ही महीने की बात है, अमृतसर के ददुआना गांव में सिख निहंगों ने धर्मांतरण का एक बड़ा कार्यक्रम रूकवाया। जहां धर्मांतरण का यह कार्यक्रम था, वहां गांव वालों को ईसाईयत के संबंध में अधिक जानकारी नहीं थी। गांव में कुछ लोगों को पहले से तय करके रखा गया था, जो कार्यक्रम के बीच में बीमार होने का नाटक करते, जिसे ईसाई प्रतिनिधि चंगा करने का अभिनय करते। जिससे गांव के भोले भाले लोग 'चमत्कार' से प्रभावित होकर धर्मांतरित हो जाएं।

इसी तरह अगस्त के महीने में ही दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रयासों से अमृतसर स्थित कोहलेवाल गांव के 12 परिवारों की ईसाईयत से सिख पंथ में वापसी भी हुई है। पंजाब में सिखों के धर्मांतरण की बढती गति के बीच अब सिख पंथ से जुड़े संगठन सामने से आकर अपनी लापरवाही को मान रहे हैं कि उनके सतर्क ना रहने की वजह से सिख परिवारों के साथ इतना बड़ा धोखा हो गया। चर्च वाले आकर धोखे से उन्हें धर्मांतरित कर गए।

सिख संगठनों की इसी लापरवाही का परिणाम है कि चर्च पंजाब में अपना पैर पसार चुका है। जगह-जगह नए चर्च खड़े हुए हैं। अमृतसर और गुरदासपुर में ही 600-700 चर्च बने हुए हैं। इनमें 70 फीसदी चर्च पिछले पांच सालों में अस्तित्व में आए हैं। यह बात पंजाब की चंगाई सभाओं में अक्सर सुनने को मिल जाती है कि ''हम चाहे सरकारी आंकड़ों में कम हों, लेकिन हमारी संख्या पंजाब में 20 फीसदी हो चुकी है।"

इस दावे को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि पंजाब में ईसाई मत में धर्मांतरित पहली सिख पीढ़ी को पहचान पाना मुश्किल है। चर्च ने पहली पीढ़ी के धर्मांतरित सिखों के सामने उनके सांस्कृतिक प्रतीकों से अलग होने की शर्त नहीं रखी है। उन्हें मन से ईसाई बनाया जा रहा है। धर्मांतरित परिवारों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि वे ईसाई हो चुके हैं।

गांव गांव घूम रहे हैं ईसाई मत प्रचारक

ईसाई मत का प्रसार प्रचार करने वाले मिशनरी पंजाब के गांव गांव में दिखने लगे हैं। यह समूह अपनी यात्राओं में ऐसे परिवारों की पहचान करता है जिनके घर में पैसों की तंगी है। या फिर परिवार का कोई एक सदस्य किसी असाध्य रोग से पीड़ित है। ऐसे परिवार पंजाब में धर्मांतरण गिरोह के निशाने पर सबसे अधिक आए हैं। ऐसे परिवारों की पहले पहचान की जाती है और फिर उन्हें लालच दिया जाता है। जीसस की शरण में आने पर उन्हें क्या क्या मिलेगा, यह बताया जाता है।

अमृतसर से राजिन्दर कौर और सर्बजीत कौर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। राजिन्दर कौर के बेटे के गुर्दे फेल हो गए थे। इलाज पर बहुत पैसा खर्च हो रहा था। चर्च के लोगों ने उन्हें विश्वास दिलाया कि सब ठीक हो जाएगा। वे नियमित चर्च जाया करें और बच्चे के इलाज का खर्च वे उठाएंगे। उन्हें जालंधर स्थित चर्च में जाने की सलाह दी गई। सही प्रकार से इलाज न मिलने के कारण और चर्च के अंधविश्वास की वजह से राजिन्दर अपने 20 वर्षीय बच्चे को बचा नहीं पाई।

राजिन्दर कौर की तरह सर्बजीत को भी विश्वास दिलाया गया था कि उसके पति की शराब की लत जीसस की शरण में आने से छूट जाएगी। उनकी दोनों बेटियों की पढ़ाई का सारा खर्च चर्च उठाएगा। उन्होंने चर्च जाना प्रारंभ कर दिया लेकिन उन्हें कोई मदद नही मिली और ना ही पति के अत्याचार से छुटकारा मिला, ना पति ने शराब पीना छोड़ा। धोखाधड़ी की ऐसी अनगिनत कहानियां पंजाब के गांवों में बिखरी पड़ी हैं।

जालंधर में बना सबसे बड़ा चर्च

जालंधर का चर्च दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चर्च बताया जाता है, जिसे करोड़ों की लागत से तैयार किया गया है। यह चर्च अंकुर नरूला से जुड़ा हुआ है जो अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज के तत्वावधान में देश भर में अपनी गतिविधियां चला रहा है। अब यह चर्च पूरे पंजाब में धर्मांतरण का बड़ा केन्द्र बनता जा रहा है। बताया जाता है कि नरूला ने 2008 में तीन लोगों के साथ यह चर्च प्रारंभ किया था। 10 साल बाद वह 25000 लोगों को प्रवचन देने लगा।

इस चर्च के साथ पंजाब में एक लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। चर्च के लोग पंजाब के गांवों में जाकर बीमारी दूर करने का भ्रामक दावा करके लोगों को जालंधर तक लेकर आते हैं। इस तरह धर्मांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। धर्मांतरण का काम चंडीगढ़, अमृतसर, गुरदासपुर, मुकेरियां, बटाला जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है।

तरनतारन की घटना और धर्मांतरण का विरोध

तरनतारन में हुई घटना पंजाब के सिखों के अंदर भरे आक्रोश को प्रदर्शित करती है। सिख समाज में लालच देकर धर्मांतरण कराने की बढ़ रही घटनाओं से सिख समाज में चर्च के प्रति बहुत नाराजगी है। देश का कानून भी धोखे से या मजबूरी का फायदा उठाकर किए गए धर्मांतरण को मंजूरी नहीं देता।

तरनतारन जिले के गांव ठाकरपुरा में बीते दिनों चार युवक अपना चेहरा छुपाकर गिरजाघर में दाखिल हुए। एक युवक ने गिरजाघर के चौकीदार पर बंदूक तान दी और हाथ बांध दिए। उसके बाद वहां जमकर तोड़फोड़ की। जाते जाते उन्होंने पादरी की कार को आग के हवाले कर दिया। यह गिरजाघर गांव में एक मिशनरी स्कूल भी चलाता है।

पंजाब के अंदर धर्मांतरण के विरोध में अब आवाजें उठने लगी हैं। प्रलोभन देकर लोगों के मतांतरण को पंजाब में अच्छा नहीं माना जा रहा है। इसी का परिणाम था कि शिरोमणि अकाली दल ने तरनतारन मामले में हुई बेअदबी पर जहां एक तरफ हिंसा की निंदा की, वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा कि ईसाई समुदाय के सदस्यों का सिख परिवारों में धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से दाखिल होना भी आपत्तिजनक है।

ईसाई मिशनरियों पर प्रतिबंध की मांग

पंजाब में धर्मांतरण पर प्रतिबंध की कभी जरूरत नहीं थी। ऐसा पंजाब के सिख नेता भी मानते हैं लेकिन बीते कुछ सालों में प्रदेश के अंदर चमत्कार और प्रलोभन देकर धर्मांतरण की जैसी हवा बही है, उसके बाद धर्मांतरण पर प्रतिबंध पंजाब की आवश्यकता बन चुकी है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भी पंजाब सरकार से मांग की है कि जिस तरह हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लालच देकर या जबर्दस्ती धर्मांतरण पर प्रतिबंध है, उसी तरह पंजाब सरकार भी कानून बनाए।

अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने धर्मांतरण कराने वाले गिरोह को चेतावनी देते हुए कहा है कि अब पंजाब यह सब नहीं सहेगा। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से प्रदेश के अंदर धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। इस संबंध में ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने 04 सितम्बर को अनंतपुर साहिब में बिशप जॉन आशीष से भी मुलाकात की। वहां क्रिश्चियन प्रतिनिधियों और सिख संगठनों के प्रमुखों के बीच धर्मांतरण पर बातचीत हुई है।

चर्च भी कह रहा है कि धर्मांतरण ठीक नहीं

इस बात से चर्च के प्रतिनिधि भी सहमति जताते हैं कि झूठ और फरेब का सहारा लेकर हिन्दू और सिखों का कराया गया धर्मांतरण बाइबिल की शिक्षा के अनुरूप नहीं है। चर्च प्रतिनिधियों के अनुसार उन्हें एंगलिकन चर्च की तरफ से चमत्कार का दावा करने वाले झूठे पादरियों की कई शिकायते मिली हैं। वह लोगों को प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण करा रहे हैं। ऐसी गतिविधियां बाईबल की शिक्षाओं के खिलाफ है। इससे ईसाईयत की बदनामी होती है। बिशप जॉन आशीष ने सिख समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान कहा कि "ईसाई समुदाय चाहता है कि ऐसे गिरोहों की केन्द्रीय एजेन्सियों द्वारा जांच कराई जाए।"

चर्च चाहे जो कहे फिर भी सच्चाई यही है कि पंजाब में धर्मांतरण रूकने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में पंजाब सरकार प्रदेश मे धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाए, यही सही कदम होगा। उन लोगों की गिरफ्तारी भी आवश्यक है, जो लालच देकर या कथित चमत्कार के धोखे से हिन्दू-सिख परिवारों में धर्मांतरण करा रहे हैं।

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(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
Conversion of Sikhs into Christianity in Punjab
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