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9 Years of Modi Govt: नया इंडिया बनाते हुए बीते नौ साल

आज 26 मई को मोदी सरकार ने केन्द्र में 9 साल पूरे कर लिये। इन 9 वर्षों में मोदी सरकार के काम काज से देश की राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, विदेश नीति में व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं।

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9 Years of Modi Govt: Last nine years making New India

"कोई भी सरकार आए - हमें क्या!" 2014 से पहले सरकारों को लेकर आम जनता के मन में ऐसी ही भावना बन गई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले नौ वर्षों में अपने अनेक कदमों से समर्थकों और विरोधियों दोनों को यह अहसास करा दिया कि सरकारें उनके जीवन में निश्चित रूप से फर्क पैदा कर सकती हैं।

इस दौरान मोदी सरकार ने ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले फैसले लिए, जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। जहां काले धन पर अंकुश लगाने के मकसद से दो बार 2016 और 2023 में उसने नोटबंदी और नोटबदली जैसा अभूतपूर्व और अत्यंत जोखिम भरा कदम उठा लिया, वहीं टैक्स सुधारों के लिए 2017 में जीएसटी कानून भी लागू किया। दो बार उन्होंने 2016 और 2019 में क्रमशः पीओके और पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक भी किया। 2019 में ही कश्मीर से धारा 370 भी हटा दी और लद्दाख को अलग करके राज्य का पुनर्गठन भी कर दिया।

जब दुनिया पर कोरोना की मार पड़ी, तो जहां 2020 में उन्होंने तुरंत फैसला लेते हुए 33 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले 140 करोड़ लोगों के इस विशाल देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन घोषित करने में भी हिचक न दिखाई, वहीं अब तक 220 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज़ देकर देश के 67 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का पूर्ण वैक्सीनेशन करने में भी सफलता पाई। आज़ादी के 75 वर्षों बाद देश को स्वनिर्मित संसद भवन की सौगात भी इसी सरकार में मिली।

आम आदमी की ज़िंदगी को छूने की कोशिश
किसी भी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि उसकी विभिन्न योजनाओं का लाभ समाज के निचले पायदानों पर खड़े लोगों तक कैसे पहुंचे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने कहा था कि केंद्र से एक रुपये की योजना चलती है, तो नीचे केवल 15 पैसे पहुंचते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऊपर से चलने वाली योजनाओं का अधिकाधिक लाभ बिल्कुल नीचे तक पहुंच सके, मोदी सरकार ने एक साथ कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें अब तक खुलवाए जा चुके लगभग 47.8 करोड़ जन-धन बैंक खातों की जबर्दस्त भूमिका रही है।

उज्ज्वला योजना के तहत लगभग 8.5 करोड़ गैस कनेक्शन जारी करना, दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत 18 हजार से ज्यादा बचे हुए गांवों में बिजली पहुंचाकर देश के शत प्रतिशत गांवों को रोशन कर देना, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 2.22 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में लगभग 32 लाख पक्के घरों का निर्माण पूर्ण कराना, स्वच्छ भारत योजना के ज़रिए 11 करोड़ से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण कराना, जल जीवन मिशन के तहत 11 करोड़ से अधिक घरों में नल से पेयजल पहुंचाना, मुद्रा योजना के तहत सूक्ष्म और लघु उद्यमियों के लिए 23 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के लगभग 41 करोड़ लोन जारी करना, कोरोना काल से अब तक लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देना, लगभग 11 करोड़ लघु और सीमांत किसान परिवारों को सालाना 6 हजार रुपये की किसान सम्मान निधि प्रदान करना, इत्यादि इस सरकार के कुछ ऐसे जनकल्याणकारी कदम रहे हैं, जिनका समाज के निचले पायदानों पर खड़े लोगों को व्यापक लाभ मिला है।

इनके अलावा, आयुष्मान भारत योजना भी मोदी सरकार की एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना है, जो देश के लगभग 50 करोड़ लोगों की जिंदगी को बेहतर करने का माद्दा रखती है। इसके तहत अब तक पूरे देश में 1.54 लाख से अधिक स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण देखभाल केंद्र शुरु किए जा चुके हैं तथा 22 करोड़ से अधिक लाभार्थियों का सत्यापन किया जा चुका है। इन कल्याणकारी योजनाओं की बदौलत देश में एक विशाल लाभार्थी वर्ग तैयार हुआ है, जिसे मोदी सरकार का कट्टर और भरोसेमंद समर्थक माना जाता है।

हालांकि इन उपलब्धियों से इतर कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में महंगाई और बेरोजगारी के सवाल मोदी सरकार को लगातार परेशान कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में सुधारों के मुद्दे पर भी उसे लगातार विफलताओं का सामना करना पड़ा है। 2020 में उसने तीन कृषि कानून बनाए थे, लेकिन किसानों के भारी विरोध के कारण 2021 में उन्हें वापस लेना पड़ा। इससे पहले 2015 में भी भूमि अधिग्रहण विधेयक उसे वापस लेना पड़ा था।

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हिन्दुत्व पर हिचक नहीं
एक तरफ अंत्योदय की स्कीमें, दूसरी तरफ संविधान के दायरे में रहते हुए हिन्दुत्व के एजेंडे पर निरंतरता से आगे बढ़ते जाना, अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए पिछले 9 वर्षों में मोदी सरकार ने यह खास मॉडल अपनाया है। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानी देश की संसद में चोल राजवंश के समय प्रचलित सेंगोल यानी राजदंड की स्थापना का अपना प्रतीकात्मक महत्व है।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी अगले साल जनवरी तक पूरा हो जाने की संभावना है। काशी में भव्य विश्वनाथ कोरिडोर बनाकर काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा तट के आसपास के इलाके का कायाकल्प किया जा चुका है। काशी के ज्ञानवापी ढांचे, मथुरा की कृष्ण जन्म भूमि और मध्य प्रदेश के भोजशाला समेत हिन्दू आस्था के अनेक महत्वपूर्ण केंद्रों पर अदालतों में लड़ाइयां लड़ रहे लोगों के हौसले बुलंद हुए हैं।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से पलायन कर भारत आए वहां के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) बनाना भी इस सरकार के महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। हालांकि अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है। माना जाता है कि मोदी सरकार एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की व्यवस्था को भी पूरे देश में लागू करना चाहती है, ताकि विदेशी घुसपैठियों की पहचान करके उचित कार्रवाई की जा सके।

सरकार में बैठे अनेक महत्वपूर्ण लोग कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून के भी पक्ष में दिखाई देते हैं। इसके अलावा, मुस्लिम बहनों को तीन तलाक के अभिशाप से मुक्ति दिलाने के लिए भी मोदी सरकार ने कानून बनाया। मोदी विरोधी इन कदमों को सांप्रदायिक एजेंडा बताते हैं, लेकिन जिन मतदाताओं ने मोदी सरकार के लिए वोट दिया था, वे राष्ट्रहित में इन्हें ज़रूरी मानते हैं।

व्यावहारिक विदेश नीति और मज़बूत रक्षा नीति
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के लिए धर्मसंकट की स्थिति थी। हालात ऐसे थे कि उसे रूस और अमेरिका दोनों में से किसी एक को चुनना था। लेकिन समझदारी का परिचय देते हुए उसने तटस्थ रुख अपनाया, अलग अपेक्षाएं रखते हुए भी जिसका आदर रूस और अमेरिका दोनों को करना पड़ा। इस तरह देखा जाए तो दुनिया के बड़े देशों को भी आज भारत से अपने संबंधों की उतनी ही परवाह है, जितनी परवाह भारत को उन देशों से अपने संबंधों की है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी के जरिए अनेक देशों की सहायता की।

एनआरआई समुदाय का विश्वास भारत सरकार पर बढ़ा है और प्रधानमंत्री मोदी अपने विदेशी समकक्षों के साथ अधिक सहज व आत्मीय दिखाई देते हैं। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का उनसे गले मिलना, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री का उनके पैर छूना और ऑस्ट्रेलिया के समूचे सत्ता-पक्ष और विपक्ष की मौजूदगी में उनका भव्य स्वागत किया जाना इसकी पुष्टि करता है।

पड़ोसी देशों में पाकिस्तान पूरी तरह से मोदी सरकार के दबाव में है, हालांकि चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में लगातार चुनौतियां पेश आ रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने जहां सेना की विभिन्न जरूरतों पर ध्यान दिया है, राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान खरीदे हैं, स्वदेशी हथियारों के निर्माण पर ज़ोर बढ़ाया है, तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत कमान की स्थापना कर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की है, वहीं सीमावर्ती इलाकों में अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी लगातार मजबूत किया है।

यदि मोदी सरकार के 9 साल की तुलना मनमोहन सरकार के 9 साल से करें, तो दिखाई देता है कि इस वक्त तक जहां मनमोहन सरकार में 'पॉलिसी पक्षाघात' की स्थिति बन गई थी, भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों के कारण उसकी प्रतिष्ठा धूल-धूसरित हो चुकी थी और उसके खिलाफ व्यापक जनांदोलन हो रहे थे; वहीं मोदी सरकार आज भी मज़बूती से काम करती हुई और फैसले लेती हुई दिखाई देती है। उसके समर्थकों की उम्मीदें बरकरार हैं और विरोधी गुटों की तरफ से भी अनेक प्रयासों के बावजूद कोई बड़ी मुश्किल खड़ी नहीं की जा सकी है।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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9 Years of Modi Govt: Last nine years making New India
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