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यूट्यूब ने डिसलाइक की संख्या दिखाना बंद किया

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वॉशिंगटन, 11 नवंबर। यूट्यूब पर वीडियो को कितने लोगों ने डिसलाइक किया है, यह अब लोगों को नजर नहीं आएगा. कंपनी ने कहा है कि वीडियो पोस्ट करने वालों को निशाना बनाकर किए गए हमलों से बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है.

वीडियो अथवा सोशल मीडिया पोस्ट पर लाइक और डिसलाइक की संख्या को लेकर आलोचक पहले भी बोलते रहे हैं. उनका कहना है कि इन आंकड़ों का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसीलिए कुछ देशों में फेसबुक और इंस्टाग्राम ने भी लोगों को यह फीचर बंद करने का विकल्प दे रखा है.

youtube hides dislike counts to discourage attacks

गूगल के वीडियो शेयरिंग प्लैटफॉर्म यूट्यूब पर दर्शक अब भी किसी वीडियो को डिसलाइक तो कर पाएंगे लेकिन उन्हें ये नजर नहीं आएगा कि बाकी कितने लोगों ने उसे डिसलाइक किया है. एक बयान में यूट्यूब ने कहा, "दर्शकों को रचनाकारों के बीच एक स्वस्थ संवाद को बढ़ाना देने के लिए हमने डिसलाइक बटन के साथ प्रयोग किया था ताकि आंका जा सके कि इस बदलाव से रचनाकारों को परेशान करने वालों से बचाया जा सकता है और डिसलाइक के रूप में होने वाले हमलों को टाला जा सकता है या नहीं."

कंपनी ने कहा कि इस प्रयोग के आंकड़ों से पता चला कि डिसलाइक हमलों में कमी आ गई. वैसे, रचनाकार और मीडिया स्टार या इन्फ्लुएंसर देख पाएंगे कि कुल कितने लोगों ने उनके वीडियो को डिसलाइक किया है. यूट्यूब ने कहा कि छोटे या नए रचनाकारों ने शिकायत की थी कि लोग उनके वीडियो पर डिसलाइक की संख्या बढ़ाकर जानबूझकर उन्हें निशाना बना रहे हैं.

ऑनलाइन यातनाओं के बढ़ते मामले

डिजिटल सुरक्षा सलाहकार कंपनी 'सिक्यॉरिटी' के मुताबिक ऑनलाइन परेशान किए जाने के तरीकों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल बुरी टिप्पणियों का होता है. 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले 70 प्रतिशत लोग ऑनलाइन यातना झेल चुके होते हैं.

22.5 प्रतिशत लोगों ने ऐसी टिप्पणियों की शिकायत की है. 35 प्रतिशत लोगों ने किसी का मजाक बनाने के लिए उसके स्टेटस का स्क्रीनशॉट शेयर किया. किशोरों के बीच सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात उनके रूप-रंग को लेकर उड़ाया गया मजाक रहा. परेशान किए गए 61 प्रतिशत टीनएजर ऐसी शिकायत करते हैं. परेशान किए जाने वालों में 56 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें फेसबुक पर परेशान किया गया.

कंपनियों की जिम्मेदारी

यूट्यूब ने ये बदलाव तब किए हैं जबकि दुनियाभर में ऑनलाइ हरासमेंट यानी सोशल मीडिया या इंटरनेट के जरिए किसी को परेशान करने के मामलों में तेज बढ़त देखी गई है. राजनेता, अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार शिकायत कर रहे हैं कि सोशल मीडिया साइट चलाने वाली कंपनियां इस बारे में कोई गंभीर कदम नहीं उठा रही हैं.

इन्हीं विवादों के चलते फेसबुक को हाल ही में कई बड़े हमले झेलने पड़े हैं. उसकी एक पूर्व कर्मचारी ने कंपनी के दस्तावेज लीक करते हुए दावे किए कि कंपनी जानती है कि उसका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. उस पर जानबूझ कर नफरत फैलाने वाली सामग्री को बढ़ावा देने का भी आरोप लगा. फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगन ने कहा है कि बड़ी टेक कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए मानसिक यातनाओं और हेट स्पीच जैसे मामलों को नजरअंदाज कर रही हैं.

कई अन्य सोशल वीडियो कंपनियां जैसे टिकटॉक, स्नैपचैट आदि भी खतरनाक सामग्री को बढ़ावा देने के आरोप झेल रही हैं. बीते महीने इन कंपनियों ने अमेरिकी सांसदों को यकीन दिलाने की कोशिश की थी कि वे युवा ग्राहकों के लिए सुरक्षित हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)

Source: DW

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English summary
youtube hides dislike counts to discourage attacks
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