मुजफ्फरनगर दंगों में BJP नेताओं को नहीं मिलेगी राहत, मुकदमें वापस लेने से हुआ इंकार
मुजफ्फरनगर। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगा मामलों में मुकदमों का सामने कर रहे भाजपा नेताओं की मुश्किल बढ़ गई है। जिले के जिलाधिकारी ने इन नेताओं पर से मुकदमें वापस लेने से इंकार कर दिया है। दंगों में योगी सरकार के दो सांसद और तीन विधायकों समेत दर्जन भर नेताओं के नाम दर्ज है, जिन्हें जिला प्रशासन ने वापस लेने से इंकार कर दिया है।
राज्य सरकार ने 6 महीने पहले जिला प्रशासन 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगा से 133 मामलों को वापस लेने पर राय मांगी थी। जिलाधिकारी राजीव शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया की कोई भी व्यक्ति अपने ऊपर लम्बित मुक़दमे वापस लेने के सम्बन्ध में शासन को आवेदन कर सकता है। जिसके बाद शासन इस सम्बन्ध में जिला प्रशासन से आख्या मांगी जाती है, इन दंगो के मुकदमों को लेकर भी आख्या मांगी गई थी। जिसमें प्रशासनिक दृष्टिकोण से इन मुकदमों की वापसी उचित नहीं होगी ये आख्या भेजी गई है।
किन
पर
लगे
आरोप
पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
और
भाजपा
सांसद
संजीव
बाल्यान,
सहआरोपी
भाजपा
विधायक
उमेश
मलिक,
भाजपा
नेता
साध्वी
प्राची,
उत्तर
प्रदेश
के
मंत्री
सुरेश
राणा,
सांसद
भारतेंदु
सिंह,
बीजेपी
विधायक
संगीत
सोम
के
खिलाफ
मामले
दर्ज
हैं।
दिया
था
भड़काऊ
भाषण
भाजपा
नेताओं
पर
आरोप
है
कि
उन्होंने
अगस्त
2013
में
एक
महापंचायत
का
आयोजन
कर
अपने
भाषणों
से
लोगों
को
हिंसा
के
लिए
भड़काया
था।
इसके
बाद
मुजफ्फरनगर
और
आसपास
के
इलाकों
में
सांप्रदायिक
दंगे
भड़क
उठे
थे।
इन
दंगों
में
60
लोग
मारे
गए
थे
और
40
हजार
से
ज्यादा
लोग
बेघर
हुए
थे।