यूपी का एक सरकारी प्राइमरी स्कूल जो टक्कर देता है किसी कॉन्वेंट स्कूल को
उत्तर प्रदेश के संभल जिले का ये स्कूल बाकी प्राथमिक विद्यालयों के लिए नजीर है। इतनी सुविधा शायद ही सरकारी स्कूल में हो।
संभल। जिस स्कूल की तस्वीर आप देख रहे हैं वो कोई कॉन्वेंट स्कूल नहीं है बल्कि ये वही प्राइमरी स्कूल है जिसे हम-आप अमूमन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में देखते हैं।
साफ सुथरा स्कूल
यह स्कूल उत्तर प्रदेश के संभल जिला स्थित इटायला माफी में है। आप इस स्कूल में जाएंगे तो आपको हर ओर हरियाली मिलेगी। साफ सुथरा स्कूल, किचन, कमरों के जगमग करती सोलर लाइट। अगर हमारे प्राइमरी स्कूल ऐसे हो जाएं तो शायद गांव और इलाके का कोई शख्स अपने बच्चों को महंगे कॉन्वेंट स्कूलों में भेजना चाहेगा।
छात्रों का जीवन हमारी जिम्मेवारी
अमूमन यह देखा जाता है कि सरकारी स्कूलों के इंचार्ज और वहां के शिक्षक साधन-संसाधन की कमी बताकर जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेते हैं लेकिन स्कूल के प्रधानाचार्य का कपिल मलिक का कहना है कि छात्रों का जीवन हमारी जिम्मेदारी है। उसे सुधारने के लिए इच्छा शक्ति होनी चाहिए। कुछ भी असंभव नहीं है।
तब आते थे 30-32 बच्चे
कपिल बताते हैं कि इस स्कूल में बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगती है। स्कूल में छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय हैं साथ ही यहां प्रोजेक्टर की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
वनइंडिया से बात करते हुए कपिल ने बताया कि स्कूल में हरियाली के लिए करीब 300 गमले लगाए गए हैं साथ ही 1000 पौधे लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पोस्टिंग यहां 2010 में हुई थी। तब यहां 30-32 बच्चे पढ़ने के लिए आते थे।
पुरस्कार में मिले पैसे भी लगा दिए स्कूल में
2013 में जब वो इंचार्ज बने तो बच्चों की संख्या बढ़कर 57 थी। फिलहाल इस स्कूल में करीब 300 छात्र हैं।
स्कूल में कपिल को मिलाकर 5 शिक्षक हैं। कपिल ने बताया कि इस स्कूल को बनाने में उन्होंने वो पैसे भी स्कूल में लगा दिए जो उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सम्मानित किए जाने पर मिले थे।
आप इस स्कूल में आएंगे तो यह लगेगा ही नहीं कि यह कोई सरकारी स्कूल है। हर बच्चे की ड्रेस साफ सुथरी, गले में आईडी कार्ड सब कुछ बिल्कुल वैसा जैसा किसी प्राइवेट स्कूल में होता है।
ऐसी है इस स्कूल की रसोई
इतना ही नहीं बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनका शरीर तंदरुस्त रहे इसलिए विद्यालय में खेल कूद के सामान भी उपलब्ध हैं।
इस विद्यालय में बाकी प्राथमिक विद्यालयों की तरह एक रसोई घर भी है लेकिन वो बाकी विद्यालयों की तरह कतई नहीं लगता। साफ सुथरे बर्तन, खाद्य पदार्थों के बंद डिब्बे और दीवारों पर लगी टाइल्स यह एहसास ही नहीं होने देता कि हम यूपी के किसी प्राथमिक विद्यालय में हैं।
कपिल बताते हैं कि सरकार की ओर से उन्हें विद्यालय के मेंटनेंस के लिए 5,000 रुपए और पुताई के लिए 6,500 रुपए मिलते हैं। स्कूल में हर माह चिकित्सक आकर बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेते हैं और यहां मासिक परीक्षा भी कराई जाती है।
मिलती है संतुष्टि
इस स्कूल को अब तक यहां कई पुरस्कार मिल चुके हैं। इसे असमोली ब्लॉक का सर्वेश्रेष्ठ स्कूल भी चुना गया है। यहां बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है ताकि वे जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें।
कपिल बताते हैं कि स्कूल में इतनी सारी सुविधाओं की व्यवस्था उन्होंने सिर्फ अकेले की है। यह पूछे जाने पर कि आपको इससे क्या लाभ होगा, कपिल ने कहा कि इससे उन्हें संतुष्टि मिलती है कि वे कुछ अच्छा कर रहे हैं।
खुद से खर्च किए रुपए
कपिल इस स्कूल को हाईटेक बनाने के लिए करीब 4 लाख रुपए अपनी जेब से खर्च कर चुके हैं।
कपिल बताते हैं कि इस स्कूल को हाईटेक बनाने में उन्हें किसी से कोई मदद नहीं मिली।
बताया गया कि इस स्कूल में बच्चों को मिड डे मील के तहत उच्च क्वालिटी का खाना मीनू के हिसाब से मिलता है।
और स्टार ऑफ द मंथ भी हैं...
हर माह मासिक परीक्षा और उपस्थिति के आधार पर स्टार ऑफ द मंथ घोषित किया जाता है। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि बीते सितंबर महीने की कक्षा 1 से समीरी,कक्षा 2 से फरहीन, कक्षा 3 से सुभान अली , कक्षा 4 से कासिम और कक्षा 5 से शिवाली स्टार ऑफ द मंथ हैं।