जानिए कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान और क्या है इनकी वर्तमान स्थिति
रोहिंग्या मुसलमान मूलत: म्यांमार के रहने वाले हैं। यहां के पश्चिमी रखाइन इलाके में इनकी आबादी करीब 10 लाख है। कहते हैं कि 16वीं सदी से ही रखाइन में बसे हैं।
लंदन। म्यांमार के रखाइन प्रांत में इन दिनों काफी हलचल है और उसकी वजह है यहां के रोहिंग्या मुसलमान। हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को यहां की सुरक्षा एजेंसियां टॉर्चर रही है। अब ये समुदाय म्यांमार से बांग्लादेश जा रहा है। लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि बांग्लादेश भी इन्हें लेने को तैयार नहीं है।
16वीं सदी से रखाइन में
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक बांग्लादेशी अथॉरिटीज इन्हें म्यांमार वापस भेजने की कोशिशों में लगी हुई हैं।
रोहिंग्या मुसलमान मूलत: म्यांमार के रहने वाले हैं। यहां के पश्चिमी रखाइन इलाके में इनकी आबादी करीब 10 लाख है। कहते हैं
कि 16वीं सदी से ही रखाइन में बसे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों की वजह से अब म्यांमार में सत्ताधारी पार्टी की नेता आंग सान सू की की आलोचना हो रही है।
लोगों का कहना है कि वह इस मुद्दे पर सेना से नहीं टकराना चाहती हैं। एक नजर डालिए इस समुदाय से जुड़ी कुछ खास बातों पर।
- रोहिंग्या मुसलमानों का कोई देश नहीं है और उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है।
- वे म्यामारं में रहते हैं और म्यांमार उन्हें कानूनी बांग्लादेशी प्रवासी मानता है।
- म्यांमार में बौद्ध धर्म के मानने वालों की आबादी कहीं ज्यादा है।
- बौद्ध धर्म के अनुयायियों पर रोहिंग्या मुसलमानों को प्रताड़ित करने का आरोप लगता रहता है।
- यूनाइटेड नेशंस इन्हें दुनिया का सबसे प्रताड़ित जातीय समूह मानता है।
- रखाइन प्रांत में बसे इन रोहिंग्या लोगों को बौद्ध 'बंगाली' कहकर भगा देते हैं।
- रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के चटगांव की बोली बोलते हैं।
- मलेशिया और थाइलैंड के बॉर्डर के पास रोहिंग्या मुसलमानों की कई सामूहिक कब्रें मिली हैं।
- म्यांमार से सटे बांग्लादेश के दक्षिणी हिस्से में करीब तीन लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं।
- बांग्लादेश भी सिर्फ कुछ ही रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी के तौर पर मान्यता देता है।
- अब रोहिंग्या मुसलमान भारत, थाईलैंड, मलेशिया और चीन जैसे देशों की ओर भी जा रहे हैं।