खालिस्तानी संगठन से निपटने के लिए क्या कर रही ट्रूडो सरकार? कनाडा ने दिया यह जवाब...
बता दें कि सिख फॉर जस्टिस को भारत में 2019 में एक गैरकानूनी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया गया था। अपने अलगाववादी एजेंडा के तौर पर यह संगठन खालिस्तान बनाने के लिए पंजाब स्वतंत्रता जनमत संग्रह अभियान चलाता है।
भारत ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा जनमत संग्रह (Khalistan referendum) कराये जाने पर रोक नहीं लगाये जाने पर गहरी आपत्ति एवं खेद व्यक्त कर चुका है। 6 नवंबर को ओन्टारियो (Ontario) में प्रतिबंधित संगठन जनमत संग्रह करने जा रहा है। भारत ने कनाडा सरकार से इस पर रोक लगाने की बात कही है। वहीं, भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरन मैके (Cameron MacKay) ने कहा कि कनाडा में सभी धर्मों का स्वागत है। कैमरन से पूछा गया कि कैसे उनका देश कनाडा भारत विरोधी तत्वों से निपट रहा है। उन्होंने कहा कनाडा में हम सभी धर्मों के लोगों से प्यार करते हैं। राजधानी दिल्ली में कनाडा के उच्चायुक्त मैके ने गुरुवार को गुरुद्वारा बंगला साहिब पहुंचे और वहां की व्यवस्थाओं को देखा। इस दौरान उन्होंने लंगर कक्ष का भी दौरा किया।
क्या कर रही है कनाडा सरकार?
समाचार एजेंसी एएनआई के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कैमरन ने कहा कि कनाडा में, हम सभी धर्मों के लोगों से प्यार करते हैं। उनसे सवाल किया गया था कि भारत में प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन से निपटने के लिए कनाडा की सरकार क्या कर रही है? भारत ने हाल ही में जस्टिन ट्रूडो सरकार को 6 नवंबर को ओंटारियो में प्रतिबंधित संगठन की तरफ से आयोजित तथाकथित खालिस्तानी जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा था। केंद्र सरकार ने ट्रूडो सरकार से उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ आतंक और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। भारत विरोधी संगठनों द्वारा कनाडा में तथाकथित जनमत संग्रह के बारे में पूछे जाने पर, उच्चायुक्त मैके ने तीसरी बार बयान को एक बार फिर दोहराते हुए कहा, कनाडा में सभी धर्मों का स्वागत है कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। इससे पूर्व एक मीडिया प्रश्र का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि अलगाववादी समूहों की तरफ से आयोजित तथाकथित जनमत संग्रह का मुद्दा दिल्ली में कनाडा के उच्चायोग और साथ ही कनाडा के अधिकारियों के बीच में उठाया गया है।
भारत आवाज उठाना जारी रखेगा
अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नई दिल्ली, ओटावा और अन्य जगहों पर खालिस्तानी जनमत संग्रह से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठाना जारी रखेगा। बता दें कि पिछले महीने भारत ने कनाडा में अपने नागरिकों और छात्रों को देश में बढ़ती अपराधों और भारत विरोधी गतिविधियों के बीच सतर्क रहने के लिए एक एडवायजरी जारी की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि, भारतीय मिशनों ने कनाडा में हो रहे भारत विरोधी घटनाओं को उनके अधिकारियों के समक्ष उठाया है और उनसे इन अपराधों की जांच करने का अनुरोध किया है। मंत्रालय ने आगे कहा कि, कनाडा में घृणा अपराधों, सांप्रदायिक हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों की घटनाओं में तेज वृद्धि हुई है। इसलिए मंत्रालय ने उक्त अपराधों की जांच करते हुए उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। मंत्रालय ने आगे बताया कि, कनाडा में अब तक इन अपराधों से संबंधित अपराधियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है। बयान के मुताबिक कनाडा में खालिस्तानियों की बढ़ते अपराधों, घटनाओं के मद्देनजर, भारतीय नागरिकों और कनाडा में भारतीय छात्रों और यात्रियों को सावधान रहने की सलाह दी गई है।
भारत ने कनाडा से कहा खालिस्तान समर्थकों को रोको
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी सप्ताह कनाडा के जस्टिन ट्रूडो सरकार (Justin Trudeau government canada) से 6 नवंबर को ओन्टारियो (Ontario) में प्रतिबंधित संगठन की तरफ से आयोजित की जाने वाली तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा है। उन्होंने इससे संबंधित एक डिमार्शे (demarche -लिखित विरोध पत्र) भी कनाडा को दे चुके हैं। पीएम मोदी की तरफ से जस्टिन ट्रूडो को भेजे गए विरोध पत्र में कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन की इस तरह की हरकतें भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देता है।
प्रतिबंधित संगठन का अलगाववाद का एजेंडा
बता दें कि सिख फॉर जस्टिस को भारत में 2019 में एक गैरकानूनी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया गया था। अपने अलगाववादी एजेंडा के तौर पर यह संगठन खालिस्तान बनाने के लिए पंजाब स्वतंत्रता जनमत संग्रह अभियान चलाता है। नई दिल्ली ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह का अभ्यास भारतीय प्रवासियों को विभाजित करने के लिए किया जाएगा। तथाकथित जनमत संग्रह ओन्टारियो में स्थित एक निजी सम्मेलन केंद्र में हो रहा है। पहला जनमत संग्रह 18 सितंबर,2022 को ओन्टारियो के ब्रैम्पटन में आयोजित किया गया था।
जनमत संग्रह कराने का अलगाववादी ताकतों का मकसद
पिछले कुछ समय से खालिस्तानी प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) खालिस्तान नामक देश बनाने के लिए जनमत संग्रह करा रही है। जिसकी वजह से ओन्टारियो राज्य के ब्रैम्पटन शहर से तनाव की खबरें भी प्राप्त हुई थीं। प्रतिबंधित संगठन एसएफजे भारतीयों, विशेष रूप से पंजाबियों से जनमत संग्रह में शामिल होने के लिए कह रहे हैं। पहले इन्होंने इसका नाम रेफेरेंडम-2020 रखा था। हालांकि, कोरोना के कारण यह प्रयास असफल रहा था। किसान आंदोलन के समय भी प्रतिबंधित संगठन ने जनमत संग्रह कराने की बात की थी।