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कैसे चांद सोखता जा रहा है धरती का पानी, रिसर्च में सामने आई यह अनोखी बात

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वाशिंगटन, 5 मई: भारत के चंद्रयान मिशन ने 14 साल पहले यह बात दुनिया को बताई थी कि चंद्रमा पर पानी मौजूद है। लेकिन, एक शोध में अब पता चला है कि यह पानी वहां पृथ्वी के वायुमंडल से ही पहुंचा है। निश्चित तौर पर यह हैरान करने देने वाला शोध है। यह सोचने वाली बात ये है कि चांद हमारा पानी कैसे सोखता जा रहा है, तो इसके पीछे प्राकृतिक कारण हैं, जिसके रहस्य पर से अब पर्दा उठा है। हालांकि, वैज्ञानिक इस नई खोज में कई तरह के अवसर देख रहे हैं और उसपर आगे बढ़ने की उन्हें पूरी उम्मीद है।

चंद्रमा पर कैसे पहुंचा पानी ?

चंद्रमा पर कैसे पहुंचा पानी ?

चंद्रमा की सतह की बनावट की तलाश में कई सारे मानवीय उपकरण लगे हुए हैं। दूसरी तरफ इंसान एक बार फिर से पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह पर कदम उतारने की तैयारियों में भी जुटा हुआ है। वैज्ञानिक चंद्रमा के स्थाई रूप से अंधेरे वाले इलाकों की भी भौगोलिक और भूगर्भीय स्थिति की छानबीन की कोशिशों में लगातार लगे हुए हैं। हाल के दशकों में चंद्रमा के बारे में जो सबसे बड़ा रहस्य खुला है, उसका श्रेय भारत के चंद्रयान मिशन को जाता है, जिसने 2008 में उसकी सतह पर पानी की खोज की थी। चंद्रयान की इस सफलता के 14 साल बाद यह पता लगा है कि वहां पर पानी पहुंचा कहां से?

कैसे चांद सोखता जा रहा है धरती का पानी ?

कैसे चांद सोखता जा रहा है धरती का पानी ?

एक नए शोध से यह पता चला है कि चांद पर जो पानी है, वह पृथ्वी से ही पहुंचा है। यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स जीयोफिजिकल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की अगुवाई में किया गया है। इसके मुताबिक चांद पर जो पानी है, वह पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल से निकल रहे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आयन की वजह से हो सकता है, जो चांद पर जाकर जल में परिवर्तित हो जा रहे हैं। इस रिसर्च टीम की अगुवाई यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का के गुंथर क्लेटेट्सचका ने की है। चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर पानी के स्रोत का पता लगाने के लिए कई तरह के शोध चल रहे हैं, जिसमें से यह एक महत्वपूर्ण खोज है।

पृथ्वी के जल से चांद पर फुहार

पृथ्वी के जल से चांद पर फुहार

ऐसे समय में जब अमेरिका, यूरोप और चीन के वैज्ञानिक चांद की सतह पर फिर से इंसान को उतारने की योजना पर काम कर रहे हैं, उसकी सतह पर मौजूद पानी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत साबित हो सकता है। क्योंकि, योजना चंद्रमा पर बेस बनाने की है, ताकि इंसान मंगल पर भी सभी तरह की संभावनाओं का पता लगा सके। गुंथर क्लेटेट्सचका के मुताबिक,'जैसे कि नासा के आर्टेमिस टीम चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर एक आधार शिविर बनाने की योजना बना रहे हैं, पृथ्वी से कई युग पहले पैदा हुए जल आयनों का इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री लाइफ सपोर्ट सिस्टम के लिए कर सकते हैं।' उन्होंने कहा है, 'यह चांद के शावर में होने जैसा है, पृथ्वी से पहुंच रहा जल आयनों की बौछार, जो कि चांद की सतह पर गिर रहा है।'

धरती से कितना पानी सोख चुका है चांद ?

धरती से कितना पानी सोख चुका है चांद ?

नई रिसर्च का अनुमान है कि चंद्रमा पर पृथ्वी के वायुमंडल से गए जल के आयनों से बने करीब 3,500 क्यूबिक किलोमीटर उपसतही तरल जल मौजूद हो सकता है। यह अनुमान पृथ्वी से निकले आयनों की न्यूनतम मात्रा और चांद की सतह तक पहुंचने वाले मात्र 1 प्रतिशत को ध्यान में रखकर लगाया गया है। जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि इस तरह के अनोखे स्थान में जो संसाधन मौजूद हो सकते हैं, वह भविष्य के अभियानों में भी उपयोग किए जा सकते हैं और वहां पर निवास की संभावनाएं तलाशने में भी मददगार साबित हो सकते हैं।

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धरती से चांद की ओर कैसे बढ़ रहा है पानी ?

धरती से चांद की ओर कैसे बढ़ रहा है पानी ?

रिसर्च में पाया गया है कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आयन तब चांद की ओर बढ़ते चले जाते हैं, जब यह पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए अपनी मासिक यात्रा में धरती के चुंबकमंडल के आखिरी हिस्से से गुजरता है। चंद्रमा की मासिक यात्रा में 5 दिन ऐसी स्थिति आती है। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पहले ही यह पता लगा चुकी है कि जब चांद पृथ्वी के चुंबकमंडल के इस हिस्से से गुजर रहा होता है तो उस दौरान जल बनाने वाले आयन बड़ी मात्रा में मौजूद रहते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स ने एक बयान में कहा है, 'जब चांद पृथ्वी के चुंबकमंडल के अंतिम हिस्से में मौजूद होता है, जिसे कि मैग्नेटोटेल कहते हैं, वह अस्थाई तौर पर धरती के चुंबकीय क्षेत्र की रेखा को प्रभावित करता है। जिससे वह (आयन) टूट जाते हैं और वह कई हजार मील अंतरिक्ष की ओर बढ़ जाते हैं।'

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English summary
The moon is absorbing water from the Earth's atmosphere, information received in new research, this natural process is going on for ages
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