क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अफगान महिलाओं की ललकार, मर जाएंगे काम नहीं छोड़ेंगे

Google Oneindia News

काबुल, 23 जुलाई। डिजाइनर मर्जिया हफीजी अपने फैशन कारोबार के अस्तित्व के बारे और पिछले 20 सालों में महिलाओं ने जो प्रगति हासिल की है उसको लेकर चिंतित हैं. 29 साल की हफीजी ने राजधानी में अपना कपड़े का स्टोर साल 2018 में खोला था. अपने रूढ़िवादी पुरुष-प्रधान देश में व्यवसायी महिला बनने का सपना उनका वर्षों पुराना था. 1996-2001 तक तालिबान के शासन के दौरान ऐसा सोच पाना भी नामुमकिन था.

as taliban advance afghan business women fear return of dark era

हफीजी कहती हैं, "अगर तालिबान सत्ता में वापस आते हैं और अपने पुराने कानून को लागू करते हैं तो मुझे इस कारोबार को छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है." हफीजी के यहां मर्द और औरतें कपड़े काटने और उन्हे सिलने का काम करते हैं.

हफीजी कहती हैं, "मेरे सभी दोस्त और परिवार मुझे कारोबार छोड़ने की सलाह दे रहे हैं और देश छोड़ने को कह रहे हैं (लेकिन) महिलाओं को बढ़ावा देने का मेरा संकल्प, उन्हें व्यवसाय का मौका देने और उनके लिए रोजगार सृजित करने के लिए मैं यहां रह रही हूं. मैं अस्तित्व के लिए लड़ रही हूं."

20 साल की तरक्की

तालिबान ने अपने दौर में इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या लागू की थी, जिसमें सार्वजनिक रूप से कोड़े मारना और पत्थर मारना जैसी सजाएं देना भी शामिल था. 2001 में अमेरिका के हमले के बाद वहां महिलाओं पर अत्याचार बंद हो पाया था.

जैसे-जैसे अमेरिकी नेतृत्व वाली विदेशी सेना ने अपनी वापसी पूरी की, तालिबान ने तेजी से क्षेत्रीय बढ़त हासिल की है, जिससे लोगों में डर पैदा हो गया है. महिलाओं को शिक्षा और काम को लेकर मिले अधिकारों के वापस चले जाने का खतरा पैदा हो गया है.

तालिबान शासन के दौरान महिलाओं को शरीर और चेहरे को बुर्के से ढकने पड़ते थे. उन्हें शिक्षा से वंचित किया गया और काम नहीं करने दिया जाता था. महिलाएं बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के घर से बाहर नहीं जा सकती थीं.

तालिबान के वादों में कितना दम

तालिबान ने वादा किया कि महिलाएं ''शिक्षा के क्षेत्र में सेवा दे सकती हैं, व्यापार, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में काम कर सकती हैं. इसके लिए उन्हें इस्लामी हिजाब का सही ढंग से इस्तेमाल करना होगा.'' साथ ही उसने वादा किया कि लड़कियों को अपनी पसंद का पति चुनने का विकल्प होगा, अफगानिस्तान के रूढ़िवादी और कबीलों वाले समाज में इसे अस्वीकार्य माना जाता है.

सरकार ने महिलाओं के अधिकारों से समझौता नहीं करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. महिला अधिकारों के बदले शांति बहाली को लेकर तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत विफल रही है.

खुफिया एजेंसी, नेशनल इंटेलिजेंस काउंसिल का आकलन है कि अगर तालिबान देश का नियंत्रण वापस ले लेता है, तो पिछले दो दशकों में जो तरक्की महिला अधिकारों में हासिल हुई वह वापस धकेल देगा.

दोहा में शांति वार्ता में कुछ महिला वार्ताकारों में से एक फौजिया कूफी कहती हैं वे महिला अधिकारों पर कोई समझौता नहीं करने वाली हैं. हत्या की दो कोशिश झेल चुकी कूफी कहती हैं, "अफगानिस्तान की महिलाओं का जो प्रतिरोध है वह प्रगति को दोबारा शून्य पर नहीं जाने देगा."

कूफी का कहना है, "हम समाज में महिलाओं की उपस्थिति बनाए रखने के लिए सब कुछ करेंगे. राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उपस्थिति बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे. हम काले अतीत में वापस नहीं लौटेंगे."

मार डालो या काम करने दो

देश में उन महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है जिन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और वे पुरुष के काम वाले क्षेत्रों में काम भी कर रही हैं. महिलाएं अब राजनीति, मीडिया, न्यायपालिका और आईटी जैसे क्षेत्रों में बढ़ चढ़कर अपनी भूमिका निभा रही हैं.

काबुल, हेरात और मजार-ए-शरीफ जैसे शहरों में युवतियां अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए और पश्चिमी कपड़े पहने आजादी के साथ चलते देखी जा सकती हैं.

अफगानिस्तान महिला चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुताबिक काबुल में महिलाएं लगभग 60 हजार व्यवसायों की मालिक हैं जिनमें रेस्तरां, ब्यूटी पार्लर और हस्तशिल्प की दुकानें शामिल हैं.

28 साल की निलोफर अयूबी जो इंटीरियर डिजाइनिंग कंपनी चलाती हैं, कहती हैं कि हालात जो भी हों वह अपना काम नहीं छोड़ेंगी. निलोफर के मुताबिक, "अगर तालिबान (सत्ता में) आते हैं, तो उन्हें या तो मुझे काम करने देना पड़ेगा या मारना पड़ेगा."

काबुल में जेवर और मेकअप का सामान बेचने वालीं 23 साल की मासूमा जाफरी कहती हैं कि उन्हें पता है कि अगर आतंकवादी सत्ता पर काबिज हो जाएंगे तो महिलाओं को क्या कीमत चुकानी होगी. मासूमा कहती हैं, "मैं घोर से आती हूं जहां पूर्व में तालिबान ने कई महिलाओं को पत्थर मारकर मार डाला है. मुझे देखिए मैं प्रतिरोध का प्रतीक हूं."

एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

Source: DW

Comments
English summary
as taliban advance afghan business women fear return of dark era
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X