नज़रिया: 'भारत एक साथ चीन और पाकिस्तान से मोर्चा नहीं खोल सकता'
जनरल रावत ने हाल ही में डोकलाम को विवादित क्षेत्र बताया था और कहा कि उत्तरी सीमा पर इस तरह का तनाव बड़े संघर्ष का रूप ले सकता है.
डोकलाम विवाद पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि यह क्षेत्र विवादित है और उत्तरी सीमा पर इस तरह का तनाव बड़े संघर्ष का रूप ले सकता है.
इस बयान के बाद चीन ने कई बातें कही हैं. एक तो यह कहा है कि जनरल रावत का बयान सही नहीं है और इस बयान से दोनों देशों के रिश्तों के बीच अड़चन आ सकती है.
दूसरी बात उन्होंने यह कही है कि डोकलाम उनका है और इसमें कोई दो राय नहीं.
उनका कहना है कि वह राष्ट्रीय एकता के लिए पूरा दम लगा देंगे और ज़्यादा से ज़्यादा डोकलाम का विवाद भूटान और चीन के बीच है जिसमें भारत की कोई भूमिका नहीं है.
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चीन ने ऐसी कोई नई बात नहीं की है और दो बातें साफ़ हैं.
पहली ये कि चीन के अंदर ही कई विशेषज्ञों और नागरिकों का मानना है कि चीन पीछे हटा है और भारत को जितना दबाना चाहिए था उतना नहीं दबाया.
इसी वजह से यहां की सरकार उनकी नज़र में अपना सम्मान कम नहीं करना चाहती. इसी कारण चीन की सरकार भारत और डोकलाम पर ज़ोर-शोर से बोलती है.
दूसरा यह है कि चीन परेशान है कि भारत सीमा पर पाकिस्तान को दबा रहा है.
पाकिस्तान को मोहरे के रूप में चीन इस्तेमाल करता रहा है लेकिन हाल के दिनों में वह कमज़ोर हुआ है.
भारतीय सेना का दबाव तो पाकिस्तान पर है ही उसके अलावा अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने आर्थिक राशि को भी रोक दिया है जिससे चीन नाराज़ है.
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लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत की इतनी मज़बूती के चलते भी क्या जनरल रावत को ऐसी बात कहनी चाहिए थी?
मुझे लगता है कि ये सोची समझी रणनीति है और चीन को कितना भी होशियार समझा जाए लेकिन वह इस जाल में फंस रहा है.
मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री से मशविरे के बाद ही ऐसी बात कही गई है.
प्रधानमंत्री अगर इस पूरे घटनाचक्र में शामिल नहीं होते तो वो सख़्त कदम नहीं उठाए जा सकते थे जो अब तक पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उठाए गए हैं.
वो यह देखना चाहते हैं कि किस हद तक चीन जाता है और कितना आपा खोता है?
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मोदी और शी जिनपिंग
ये भी देखा गया है कि हालत हद से बदतर होते हुए भी चीन-भारत के बीच शांति बरकरार है और शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के बीच एक अच्छा रिश्ता बना हुआ है.
चीन रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहता है. आगे बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं आएगा क्योंकि दोनों देश युद्ध नहीं चाहते हैं. जनरल रावत के बयान से कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा.
इस वक़्त सभी देश अपनी परेशानियों को झेल रहे हैं. जनरल रावत को भी अपने तरीके को सीमित करना ज़रूरी है क्योंकि भारत एक साथ दो मोर्चे नहीं खेल सकता है.
पाकिस्तान और चीन दोनों को एक साथ नहीं दबाया जा सकता है.