सुप्रीम कोर्ट में धर्म परिवर्तन-काला जादू पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज, जज ने कहा- 'ये कैसी PIL है'
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को काला जादू और जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने वकील और बीजेपी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पीआईएल एक 'पब्लिसिटी स्टंट' है। कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अश्विनी कुमार ने अपनी याचिका वापस ले ली।
बता दें कि पेशे से वकील बीजेपी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में कोर्ट से मांग की थी कि उपहार, पैसों का लालच देकर या चमत्कार, अंधविश्वास और काले जादू के नाम पर अनजान व्यक्तियों को डराने, धमकाने या धोखे से किए जा रहे धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। इस पर पीठ ने कहा कि ये किस प्रकार की याचिका है, हम याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि 18 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति अपने धर्म का चयन करने के लिए स्वतंत्र है। यह अधिकार उन्हें देश का संविधान देता है।
याचिका पर विचार करते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन, बी आर गवई और हृषिकेश रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण से कहा, अनुच्छेद 32 के तहत यह किस तरह की लिखित याचिका है। हम आप पर भारी जुर्माना लगा देंगे। संविधान में 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को अपना धर्म चुनने की अनुमति दी गई है, ऐसा कोई कारण नहीं कि हम इस पर रोक लगा दें। यह याचिका प्रसार के उद्देश्य से दाखिल की गई है।
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