वैज्ञानिकों ने खोजा वो ब्रेन सेंसर, जिस कारण इंसान लंबे होते हैं
ब्रिटेन में हुए इस शोध में लंबा और जवान होने की वजह बनने वाले दिमागी रिसेप्टर की खोज की है. इसे 'एमसी3आर' नाम दिया गया है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि अतीत की तुलना में इंसानों के लंबे होने और युवावस्था के तक पहले ही पहुंच जाने की पहेली को अब इंसानी दिमाग में मौजूद एक सेंसर के ज़रिए समझाया जा सकता है. बीसवीं सदी में पोषण संबंधी स्वास्थ्य में सुधार होने से ब्रिटेन के लोगों की औसत ऊंचाई 3.9 इंच (10 सेंटीमीटर) बढ़ी है जबकि अन्य देशों के लोगों की 7.8 इंच (20 सेंटीमीटर) तक बढ़ी है. लेकिन असल में ऐसा होता कैसे है, इसे अब तक समझा नहीं जा सका था. ब्रिटेन के यूके के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से मांसपेशियों को मज़बूत करने और देर से लंबाई बढ़ाने वाली दवाएं बनाने का रास्ता निकल सकता है. वैज्ञानिकों को बहुत पहले से पता है कि अच्छे खानपान और नियमित आहार लेने वाले इंसान लंबे और जल्द परिपक्व होते हैं. उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया के एक ग़रीब मुल्क से विकसित देश बन जाने पर वहां के वयस्क लोगों की ऊंचाई पहले के मुक़ाबले बढ़ गई. वहीं दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों के लोग अभी भी सौ साल पहले की तुलना में थोड़े ही लंबे हैं.
'बहुत सारे बच्चे पैदा करो'
इस बात की जानकारी पहले से ही है कि दिमाग के एक हिस्से 'हाइपोथैलेमस' तक भोजन से संकेत पहुंचते हैं. ये संकेत दिमाग़ को शरीर के पोषण संबंधी स्वास्थ्य के बारे में बताता है और शरीर के विकास को तेज़ करता है. विज्ञान और शोध की पत्रिका 'नेचर' में इस बारे में एक नया अध्ययन प्रकाशित हुआ है. ये शोध कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में हुआ. इसमें लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी, ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी, मिशिगन यूनिवर्सिटी और वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी की टीमों ने भी सहयोग किया है. इस शोध के ज़रिए इस प्रक्रिया की वजह बनने वाले रिसेप्टर की खोज की है, जिसे 'एमसी3आर' (MC3R) नाम से जाना जाता है. भोजन और यौवन के साथ शरीर की लंबाई बढ़ने के बीच ये रिसेप्टर अहम कड़ी है.
इस अध्ययन के लेखक और कैंब्रिज के प्रोफ़ेसर सर स्टीफन ओराहिली ने बताया, "ये शरीर को बताता है कि शरीर बढ़िया स्थिति में हैं, शरीर में बहुत सारा भोजन है, इसलिए जल्दी बढ़ो, जल्दी जवान बनो और ढेर सारे बच्चे पैदा करो." ओराहिली कहते हैं, "ये सिर्फ जादू नहीं है. ये होता कैसे है, इसका पूरा खाका हमारे पास है."
आख़िर ऐसा होता कैसे है?
शोध करनेवालों ने पाया कि जब दिमागी रिसेप्टर इंसानों में सामान्य ढंग से काम नहीं करता, तो लोगों की लंबाई कम रह जाती है. साथ ही, दूसरों की तुलना में वो देर से जवान होते हैं. इस टीम ने यूके बायोबैंक (आनुवंशिक और स्वास्थ्य डेटा का डेटाबेस) के साथ जुड़े क़रीब पांच लाख स्वयंसेवकों की आनुवंशिक बनावट का अध्ययन किया और पुष्टि की कि उनकी खोज का नतीजा सही है. शोध में कई बच्चों के जीन में म्यूटेशन (बदलाव) देखा गया, जिसने उनके दिमागी रिसेप्टर को बाधित किया था. ऐसे सभी बच्चों में जीन का असर कम उम्र में ही दिखना शुरू हुआ और ये बच्चे कद में छोटे और वजन में कम थे. शोध करने वाली टीम को एक व्यक्ति भी मिला जिसे एमसी3आर की जीन की दोनों कॉपी में म्यूटेशन पाया गया. ये बदलाव अत्यंत दुर्लभ और हानिकारक है. ये व्यक्ति कद में बहुत छोटा था और उसमें यौवन में आने बदलाव 20 साल के बाद ही आना शुरू हुए थे.
लेकिन ऐसा केवल इंसानों में ही होता है ऐसा नहीं है. शोधकर्ताओं ने इसके लिए चूहों का भी अध्ययन किया और पुष्टि की कि जानवरों में भी ये बात सही साबित होती है. इस खोज से बच्चों के कम विकास और बहुत देर से युवावस्था शुरू होने जैसी समस्याओं के निदान के साथ ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित और दुबले बच्चों की मांसपेशियों को विकसित करने में मदद मिल सकती है. प्रोफ़ेसर ओराहिली ने बताया, "भविष्य में होनेवाले शोध में ये पता लगाया जाना चाहिए कि बीमार लोगों की शारीरिक क्षमता सुधारने के लिए, एमसी3आर को सक्रिय करने वाली दवाओं के ज़रिए क्या कैलोरी का बेहतर उपयोग कर मांसपेशियों को मज़बूत बनाया जा सकता है." वैज्ञानिकों ने पहले ही एक ब्रेन रिसेप्टर की पहचान कर ली थी, जो भूख को नियंत्रित करता है. इसे एमसी4आर (MC4R) कहा जाता है. जिन लोगों में इसकी कमी होती है आमतौर पर वे मोटे होते हैं.
क्या लोग लगातार लंबे होते रह सकते हैं?
इंसान के लंबा होने की भी एक सीमा होती है. लोग तब तक लंबा होते जाते हैं, जितनी उनकी आनुवंशिक क्षमता होती है. ये क्षमता कितनी होगी, इसे तय करने में स्वास्थ्य और आहार जैसे कारकों का बहुत बड़ा प्रभाव रहता है. ग़रीब परिवारों के बच्चों को भी पर्याप्त भोजन और कैलोरी मिलने पर वे अपने माता-पिता और दादा-दादी से विरासत में मिली लंबाई तक बढ़ सकते हैं. लंबे लोग आम तौर पर लंबे समय तक जीते हैं. उन्हें दिल की समस्याओं से पीड़ित होने की आशंका भी कम होती है. साथ ही, उनके अधिक कमाने की भी संभावना होती है. हालांकि इंसानों की लंबाई हमेशा बढ़ती नहीं रह सकती. पिछली सदी में यूरोप के कई दूसरे देशों की तरह ब्रिटेन के लोगों की भी औसत लंबाई बढ़ी है. लेकिन पिछले 10 सालों के संकेत हैं कि अब औसत लंबाई नहीं बढ़ रही. पिछली सदी में दुनिया में सबसे अधिक लंबाई दक्षिण कोरिया की महिलाओं और ईरान के पुरुषों की बढ़ी है. वैसे दुनिया में सबसे लंबे लोग नीदरलैंड में पैदा होने वाले मर्द (182.4 सेंटीमीटर) होते हैं. वहीं सबसे छोटे लोग ग्वाटेमाला में पैदा होने वाली महिलाएं (140 सेंटीमीटर) होती हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)