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आज भी रहस्यमय है 'संभोग से समाधि तक'... को लिखने वाले 'ओशो', जानिए कुछ खास बातें

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Read some interesting facts about Osho Rajneesh and His Thought: नई दिल्ली। आज आचार्य रजनीश की पुण्यतिथि है, जिन्हें लोग 'ओशो' के नाम से जानते हैं, जीवन को नदी की धारा समझने वाले आचार्य रजनीश ने बोल्ड शब्दों में रूढ़िवादी धर्मों की आलोचना की थी, इसलिए कुछ लोग उन्हें भगवान की संज्ञा देते हैं तो कुछ लोगों की निगाहों में वो एक रहस्यमय गुरु रहे हैं। आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में उन्होंने 1960 के दशक में भारत की यात्रा की थी, उनके बोल्ड विषय पर दिए गए भाषण आज भी चर्चा और बहस का विषय हैं, जिन्हें लेकर हर इंसान के अलग-अलग मत हैं।

जीवनभर विवादों में रहे 'ओशो'

जीवनभर विवादों में रहे 'ओशो'

'ओशो' का जन्म एमपी के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई जबलपुर में पूरी की और बाद में वो जबलपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के तौर पर काम करने लगे, उन्होंने अलग-अलग धर्म और विचारधारा पर देश भर में प्रवचन देना शुरू किया था। साल 1981 से 1985 के बीच वो अमेरिका चले गए थे, जहां उन्होंने ओरेगॉन में आश्रम की स्थापना की, ये आश्रम 65 हज़ार एकड़ में फैला था जिसमें भोग-विलास की सारी सुविधाएं थीं, जिसे लेकर बहुत सारी अच्छी और बुरी बातें कही गई हैं।

 'ओशो' दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे

'ओशो' दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे

वैसे तो 'ओशो' दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे लेकिन उनका जीवन को लेकर अपनी सोच और नजरिया थे। वो जीवन में आगे बढ़ने के लिए संभोग को लाइफ का प्रमुख अंग मानते थे, जिसके कारण वो 'सेक्स गुरु' भी कहलाते हैं। कहा जाता है कि ओशो 'फ्री सेक्स' का समर्थन करते थे और उनके आश्रम में हर संन्यासी एक महीने में करीब 90 लोगों के साथ सेक्स करता था लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है आज तक किसी को मालूम नहीं।

 'संभोग से लेकर समाधि तक'

'संभोग से लेकर समाधि तक'

उन पर धर्म को बिजनेस बनाने का आरोप भी लगा लेकिन विवादों के बीच भी ओशो काफी लोकप्रिय रहे, उनको पसंद करने वालों में से देसी कम बल्कि विदेशी ज्यादा थे। उन्होंने अपने जीवन में कई पुस्तकें लिखी, जिनमें से 'संभोग से लेकर समाधि तक' नामक पुस्तक ने उन्हें विवादों के चरम पर पहुंचाया।ओशो बेहतरीन तर्कशास्त्री थे और अपने तर्कों द्वारा सही को गलत और गलत को सही कर देते थे।

रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु

19 जनवरी 1990 को रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु को प्राप्त होने वाले ओशो ने कहा था कि मौत से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे सेलिब्रेट करना चाहिए। भगवान श्री रजनीश के नाम से भी पुकारे जाने वाले ओशो के कुछ अनुयायियों का मानना था कि उनके गुरु को उनके ही कुछ विश्वस्त सहयोगियों ने जहर दे दिया था। उन लोगों की नजर ओशो की अकूत संपत्ति पर थी फिलहाल आज भी ओशो की मौत से जुड़े सवालों के जवाब लोगों को नहीं मिले हैं।

'ओशो' के इन विचारों पर मचा था बवाल

'ओशो' के इन विचारों पर मचा था बवाल

  • सेक्स का विरोध नहीं है 'ब्रह्मचर्य' बल्कि सेक्स का ट्रांसफॉर्मेशन है। जिस दिन इस देश में सेक्स की सहज स्वीकृति हो जाएगी, उस दिन इतनी बड़ी ऊर्जा मुक्त होगी भारत में कि हम आइंस्टीन पैदा कर सकते हैं।
  • जब दो प्रेमी संभोग करते हैं, तो वास्तव में वे परमात्मा के मंदिर से ही गुजरते हैं।
  • संभोग से आप उस दिन मुक्त होंगे जिस दिन आपको समाधि बिना संभोग के हासिल होगी।

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English summary
Death is to be celebrated, not feared, said Osho, who died mysteriously on 19 January 1990. Read some interesting facts about Osho Rajneesh and His Thought.
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