लोकसभा चुनाव 2019 : बीड लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की बीड लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा की प्रीतम मुंडे हैं। उन्होंने ये सीट साल 2014 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अशोकराव शंकरराव पाटिल को हराकर अपने नाम की थी, इस उपचुनाव में स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे ने 6.96 लाख मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की थी , आपको बता दें कि यह सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क दुर्घटना में हुई मौत के बाद से खाली हुई थी, जिसके बाद यहां उपचुनाव हुए जिसमें प्रीतम मुंडे की जीत हुई। इस रिकॉर्ड जीत के साथ ही प्रीतम मुंडे ने पीएम मोदी का वडोदरा सीट को 5.70 हजार से अधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था। इस उपचुनाव में कांग्रेस के अशोकराव शंकरराव पाटिल को प्रीतम मुंडे के हाथों करारी हार मिली थी, प्रीतम मुंडे को कुल 9,22,416 वोट मिले थे जबकि पाटिल को 2,26,095 वोट से संतोष करना पड़ा था।

बीड लोकसभा सीट का इतिहास
साल 1952 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसे कि पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जीता था, इसके बाद 1957 का चुनाव यहां कांग्रेस ने जीता, जबकि 1967 में यहां पर CPI का राज रहा, साल 1971 में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई लेकिन 1977 में वापस यहां CPI जीत गई लेकिन 1980 में यहां कांग्रेस की फिर से जीत हुई और 1984 तक उसका यहां राज रहा, 1989 का चुनाव यहां पर जनता दल ने जीता जबकि 1991 में यहां कांग्रेस की वापसी हुई लेकिन साल 1996 में यहां पहली बार कमल खिला और 1999 तक बीजेपी का ही राज बीड सीट पर रहा, हालांकि साल 2004 का चुनाव यहां पर NCP ने जीता लेकिन 2009 के चुनाव में भाजपा ने अपनी हार का बदला ले लिया और गोपीनाथ मुंडे यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे, साल 2014 का चुनाव भी उन्होंने ही यहां पर जीता लेकिन एक सड़क हादसे में उनकी मौत होने की वजह से बीड सीट खाली हुई, जिसके बाद यहां उपचुनाव हुआ जिसे कि गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे ने जीता।
बीड शहर कृष्णा नदी की सहायक नदी के किनारे बसा है जिसे कि बीड़ नगर या 'भिर' भी कहते हैं, किंवदती के अनुसार महाभारत काल में इस नगर का नाम दुर्गावती था। कुछ समय पश्चात यह नाम बलनी हो गया, बहुत सारी ऐतिहासिक और धार्मिक बातों को अपने आंचल में समेटे बीड की आबादी 25,85,049 है, जिसमें से 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण और 19 प्रतिशत शहरी हैं, जबकि 13 प्रतिशत लोग SC और 1 प्रतिशत लोग ST वर्ग के हैं।
प्रीतम मुंडे पेशे से एक डर्मेटोलॉजिस्ट हैं, उन्होंने मुंबई स्थित वी वाई पाटिल इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की है। उनकी शादी गौरव खडे से हुई है, जो आईटी इंजीनियर हैं और अमेरिका से पीएचडी कर चुके हैं। गौरव के पिता डॉक्टर राजेंद्र खडे एक मशहूर रेडियोलॉजिस्ट हैं। बीड सीट भाजपा और मुंडे परिवार का गढ़ बन गई है, जहां उसे हराना आसान नहीं है, यही कारण था कि जब उपचुनाव के दौरान उम्मीदवारों की माथा पच्ची हो रही थी तो एनसीपी प्रमुख शरद पवार पहले ही घोषणा कर चुके थे कि अगर मुंडे परिवार से कोई सदस्य उपचुनाव में खड़ा होता है, तो उनकी पार्टी किसी उम्मीदवार को खड़ा नहीं करेगी। फिलहाल साल 2014 से साल 2019 के सियासी समीकरण बदल चुके हैं, देखते हैं कि क्या इस बार भी इस सीट पर बीजेपी का राज यहां कायम रहेगा या फिर कुछ चौंकाने वाले नतीजे से हम सभी रूबरू होंगे।
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