हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार दूधनाथ सिंह का इलाहाबाद में निधन, आंखें कर गए दान
इलाहाबाद। हिंदी साहित्य के इतिहास में समकालीन प्रसिद्ध कथाकार दूधनाथ सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। देश के चोटी के कथाकारों में से एक व जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दूधनाथ सिंह का गुरुवार की रात इलाहाबाद में निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से इलाहाबाद के फिनिक्स हॉस्पिटल में भर्ती थे। हलांकि एक दिन पहले ही उनकी तबीयत में कुछ सुधार हुआ था, लेकिन गुरुवार की रात अचानक फिर से उनकी तबीयत खराब होती चली गई और देर रात लगभग 11:45 पर उन्होंने अपनी आखिरी सांसे ली।
गौरतलब है कि प्रोटेस्ट कैंसर से जूझ रहे दूधनाथ सिंह को हार्ट अटैक आया था उसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां हालत गंभीर होने पर उन्हें वेंटीलेटर पर डाल दिया गया था, लेकिन देर रात उनकी मौत हो गयी। उनकी मौत की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर है और साहित्य जगत को एक अपूर्णीय क्षति हुई है । याद दिला दें कि अक्टूबर 2016 में भी जब कथाकार दूधनाथ सिंह की तबीयत बिगड़ी थी तब उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली ले जाया गया था। उस समय ही उनके प्रोस्टेट कैंसर होने की पुष्टि हुई थी और उनका वही इलाज चल रहा था। बीते 26 दिसंबर को ही वह वापस अपने घर इलाहाबाद आये थे और तीन दिन बाद फिर से तबीयत बिगड़ने पर उन्हें फिनिक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से उनका वही इलाज चल रहा था।
दूधनाथ
सिंह
का
जीवन
उत्तर
प्रदेश
के
बलिया
जिले
के
रहने
वाले
दूधनाथ
सिंह
इलाहाबाद
यूनिवर्सिटी
से
एमए
किया
था
और
फिर
यही
हिंदी
के
अध्यापक
नियुक्त
हो
गए।
सन
1994
में
रिटायरमेंट
के
बाद
अपना
पूरा
जीवन
साहित्य
को
समर्पित
कर
दिया
था।
दूधनाथ
सिंह
इलाहाबाद
के
झूंसी
के
प्रतिष्ठान
पुरी
में
रहते
थे।
वह
अपने
पीछे
दो
बेटे
अनुज
ठाकुर,
अंशुमान
सिंह
और
बेटी
अनुपमा
ठाकुर
समेत
दामाद
और
नाती-पोतों
से
भरा
परिवार
छोड़कर
गए
हैं।
दूधनाथ
सिंह
को
उत्तर
प्रदेश
के
सर्वोच्च
साहित्यिक
सम्मान
भारत
भारती
मध्य
प्रदेश
सरकार
के
शिखर
सम्मान
मैथिलीशरण
गुप्त
सम्मान
से
भी
सम्मानित
किया
जा
चुका
है
दूधनाथ
सिंह
की
रचनाएं
दूधनाथ
सिंह
की
कयी
कालजयी
रचनाएं
साहित्य
जगत
में
उनका
नाम
अमर
रखेंगी।
दूधनाथ
सिंह
ने
आखरी
कलाम,
लौट
आ
ओ
धार,
निराला
आत्महंता
आस्था,
सपाट
चेहरे
वाला
आदमी,
यम
गाथा,
धर्मक्षेत्रे
कुरुक्षेत्रे,
एक
और
आदमी
भी
है,
अगली
शताब्दी
के
नाम,
युवा
खुशबू,
सुरंग
से
लौटते
हुए,
महादेवी,
मुक्तिबोध
साहित्य
में
नई
प्रवृत्तियां
जैसी
रचनाएं
की
हैं।
कथाकार
दूधनाथ
सिंह
की
इच्छा
के
मुताबिक
उनकी
आंखें
इलाहाबाद
मेडिकल
कॉलेज
को
दान
की
जाएंगी
और
उनका
अंतिम
संस्कार
होगा।
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