Gujarat elections: गुजरात की सबसे मनहूस सीट? जहां 4 चुनावों में हो चुकी है 2 विधायकों की मौत


जीतने वाले मां-बेटे की हो चुकी है मौत
मोरवा हदफ विधानसभा 2012 से अस्तित्व में आई है। इसके बाद से यहां दो आम विधानसभा चुनाव और दो ही उपचुनाव हुए हैं। इस सीट से 2012 और 2017 में क्रमश: दो निर्वाचित उम्मीदवारों की मौत हो चुकी है। मरने वाले दोनों मां-बेटे थे। 2012 में ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट थी। जब मतपत्रों की गिनती हो रही थी, तब कांग्रेस उम्मीदवार सविता खांट बेहोश हो गईं थीं।

उपचुनाव में हारे भूपेंद्रसिंह
उन्हें इलाज के लिए वडोदरा ले जाया गया था। जहां वह कोमा में चली गईं और इसके बाद उनका निधन हो गया था। उनकी मौत से पहले उस सीट के परिणाम घोषित कर दिए गए थे। जिसमें वह 11,289 मतों से जीती थीं।सविता खांट की मौत के बाद इस सीट पर 2013 में उपचुनाव हुआ था। सविता खांट के बेटे और कांग्रेस से प्रत्याशी भूपेंद्रसिंह ने भाजपा की निमिषा सुथार के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

निर्दलीय जीते भूपेंद्र सिंह
इस दौरान लोगों को लगा था कि, कथित सहानुभूति लहर और मजबूत कांग्रेस वोट बेस के चलते भूपेंद्रसिंह जीत जाएंगे। लेकिन निमिषा सुथार उपचुनाव में 17,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। भूपेंद्र सिंह को 2017 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। कई उम्मीदवारों के चलते कांग्रेस ने सीट बंटवारे में ये सीट भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) को दे दी। बागी भूपेंद्रसिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और 4,366 मतों से जीत हासिल की।

जाति प्रमाण पत्र के चलते भूपेंद्र सिंह की गई विधायकी
भाजपा ने भी अपने मौजूदा विधायक सुथार को टिकट नहीं दिया। उनकी जगह विक्रमसिंह डिंडोर को टिकट दिया। लेकिन वह बीजेपी के लिए सीट नहीं जीत पाए। लेकिन भूपेंद्रसिंह उस समय विवादों में आ गए जब उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर सवाल उठे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें 2019 में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसी बीच भूपेंद्रसिंह का लंबी बीमारी के बाद जनवरी 2021 में निधन हो गया।

उपचुनावों में फिर जीतीं सुथार
जिसके बाद फिर से इस सीट पर उपचुनाव हुए। भाजपा ने इस बार सुथार को टिकट दिया और सुरेश कटारा कांग्रेस से चुनाव लड़े। उन उपचुनावों में सुथार ने 45,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। 2022 के इन चुनावों में कांग्रेस ने इस बार फिर खांट परिवार का रुख किया है। कांग्रेस ने भूपेंद्रसिंह के भाई गोविंद खांट की पत्नी स्नेहलता खांट को मैदान में उतारा है।

एक बार फिर कांग्रेस ने खांट परिवार पर जताया भरोसा
स्नेहलता खांट से जब इस सीट से जुड़े मिथक को लेकर पूछा गया तो स्नेहलता ने कहा कि जब उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो उन्होंने संकोच नहीं किया। 2012 में मेरी सास की मृत्यु ईश्वर की इच्छा थी। जबकि मेरे जेठ की मौत चुनाव के तनाव के चलते हुई। लोगों ने हम पर दो बार भरोसा किया और हम उनके साथ खड़े रहेंगे। भूपेंद्रसिंह पिता वीचट खांट ने कहा कि सुख-दुख एक-दूसरे के पीछे-पीछे चलते रहते हैं। यह जीवन के चक्र का एक हिस्सा है।