7.50 करोड़ में नीलाम हुआ डॉन का बंगला
बोली लगाने के लिए यहां के एक होटल में नौ खरीददार जुटे थे। बंगले का संबंध अपराध जगत से होने की वजह से होटल में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। यहां तक कि बोली लगाने आए लोगों की जानकारी भी गोपनीय रखी गई थी। साढ़े सात करोड़ रूपये की अंतिम बोली लगाने वाली कंपनी श्योरविन मार्केटिंग के प्रतिनिधि राजेश ठाकुर भी मीडिया से बचने के लिए होटल के पिछले दरवाजे से निकल गए।
नीलामी में उनके सहयोग के लिए सोम डिस्टलरी के मालिक जगदीश अरोरा पूरे समय मौजूद रहे। अरोरा ने मीडिया के पूछने पर सफाई देते हुए कहा बंगला मैने नहीं खरीदा है। प्लीज ऐसा छापियेगा भी मत वरना मिर्ची का फोन मेरे पास ही आ जाएगा। उन्होंने कहा कि बंगले की खरीददार कंपनी उनके मित्र की है, इसलिए वह सहयोगी के बतौर यहां मौजूद थे। इस कंपनी का पंचगनी सहित महाराष्ट्र के अनेक शहरों में होटल और रिसोर्ट का व्यवसाय है।
सूत्रों ने बताया कि श्यामला हिल्स इलाके में 8343 वर्ग फुट में फैले इस जर्जर बंगले की नीलामी के लिए न्यूनतम रिजर्व राशि 93.43 लाख रूपये तय की गई थी। बोली लगाने वालों के लिए 25 हजार रूपये पंजीयन एवं सुरक्षा निधि के तौर पर 23.36 लाख रूपये जमा करने थे। पहली बोली एक करोड़ रूपये से उपर ही शुरू हुई।
सीमा एवं उत्पाद शुल्क विभाग के स्मगलर्स एण्ड फॉरेन एक्सचेंज मेनुपलेटर्स एक्ट (साफेमा) शाखा द्वारा पांच साल पहले भी इस बंगले को नीलाम करने के प्रयास किए गए थे। तब ढाई करोड़ रूपये की बोली लगाकर एक व्यक्ति गायब हो गया था। बोली लगाने के बाद वह बंगला खरीदने नहीं आया।
भोपाल के लोगों के बीच अंग्रेजन का बंगला नाम से मशहूर जर्जर पड़ी यह इमारत वर्ष 1998 में उस समय चर्चा में आई थी, जब टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार के हत्यारे अब्दुल्ला की हत्या के बाद उसका शव इस बंगले से बरामद हुआ था। वर्ष 1991 में यह बंगला इकबाल मिर्ची ने खरीदा। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर वर्ष 2004-05 में इसे कुर्क किया गया था।