Santoshi Mata Vrat Katha in Hindi : पढ़ें: संतोषी माता की कथा
Santoshi Mata Vrat Katha in Hindi : पढ़ें: संतोषी माता की कथा
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर। शुक्रवार का दिन संतोषी माता का होता है, कहते हैं इस दिन मां की सच्चे मन से पूजा करने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आज के दिन व्रत करने वाले लोगों को शांतिपूर्क पूजा करनी चाहिए और सच्चे मन से संतोषी माता की कथा सुननी चाहिए।
आइए आपको बताते हैं संतोषी माता की कथा (Santoshi Mata Vrat Katha)
एक गांव में एक बुढ़िया थी, जिसके 7 बेटे थे। इन सात बेटों में से 6 बेटे तो खाते-कमाते थे लेकिन सबसे छोटा और 7वां पुत्र कोई काम नहीं करता था, हालांकि वो दिमाग से चतुर था। उसकी शादी एक रूपमती कन्या से हुई थी। उसके सभी भाई बारी-बारी से घर खाने आते थे तो उनकी मां विधिवत सबको खाना खिलाती थी। एक दिन उसने अपनी पत्नी से कहा कि मेरी मां मुझे कितना प्यार करती है, देखो थाली सजाकर मुझे खाना खिलाती है।
सबकी थाली का बचा हुआ झूठन भोजन तुम्हें परोसा जाता है
इस पर उसकी पत्नी कहती है कि सबकी थाली का बचा हुआ झूठन भोजन तुम्हें परोसा जाता है क्योंकि तुम पैसे नहीं कमाते। इस पर उसके पति को भरोसा नहीं होता है। वो इस बात की सच्चाई जानने के लिए एक दिन बीमारी का बहाना बनाकर रसोई में ही लेट जाता है। उस दिन घर में काफी मिष्ठान बने होते हैं। वो देखता है उसकी मां सबको थाली परोस रही है। इसके बाद जब सब चले जाते हैं तो वो सबकी थाली का बचा हुआ भोजन लेकर थाली सजाती है और उसके पास आती है कि वो भी खाना खा ले। वो मन ही मन बहुत दुखी होता है और खाना खाने से मना कर देता है।
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वो अब पैसे कमाने के लिए परदेश जाएगा
वो अपनी पत्नी के पास आता है और कहता है कि वो सही थी, वो अब पैसे कमाने के लिए परदेश जाएगा। जिसके बाद वो अपनी पत्नी को छोड़कर परदेश चला जाता है। जहां वो एक साहूकार के घर काम करने लगता है और धीरे-धीरे वो बहुत बड़ा आदमी बन जाता है लेकिन इधर पति से दूर उसकी पत्नी को उसके ससुराल वाले बहुत सारा कष्ट देने लगते हैं। ना तो उसे खाने को पेटभर भोजन देते थे और ना ही उसकी चिंता करते थे। वो दिन भर काम करती थी, उसे जंगल से लकड़ी लाने के लिए भी भेजा जाता था।
संतोषी माता का व्रत
एक दिन वो स्त्री जंगल से लकड़ी काटकर आ रही थी। बहुत गर्मी थी तो वो सुस्ताने के लिए एक मंदिर की सीढियों पर बैठ गई, जहां उसने देखा कि कुछ महिलाएं वहां पर संतोषी माता का पूजन कर रही हैं, गुड़ चना से, उसने वहां की महिलाओं से पूजा की विधि और महत्व पूछा तो महिलाओं ने सारी कथा कह सुनाई। तब उसने भी मां की व्रत करने की सोची और हर शुक्रवार वो भी संतोषी माता का व्रत करने लगी। संतोषी माता के प्रताप से उसके पति को उसकी याद आई और वो उससे मिलने के लिएवापस अपने घर की ओर चल पड़ा।
संतोषी माता की कृपा से मिला सुख
घर पहुंचते ही उसके घर वाले उसे देखकर हैरान रह गए। उस व्यक्ति को जल्द ही सारी सच्चाई का पता चल गया और वो अपनी पत्नी को लेकर घरवालों से अलग रहने लगा और धीरे-धीरे ही वो और उसकी पत्नी राजा-रानी की तरह रहने लगे, दोनों के सारे कष्ट दूर हो गए और संतोषी माता की कृपा से कुछ समय बाद उनके घर में पुत्र हुआ। संतोषी माता की जो भी सच्चे मन से पूजा करता है, उसे कभी किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती है।