अनसुलझा है पेगासस पर सबसे बड़ा सवाल
नई दिल्ली, 26 अगस्त। पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कही गई बातों की अलग अलग पक्ष अपने अपने हिसाब से विवेचना कर रहे हैं. केंद्र सरकार अदालत के यह कहने से खुश है कि किसी भी फोन में पेगासस नहीं पाया, जबकि विपक्ष अदालत के यह कहने को रेखांकित कर रहा है कि केंद्र सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया.
दरअसल मामले पर पूरा फैसला अभी हुआ नहीं है. गुरुवार 25 अगस्त को अदालत में इस मामले की जांच कर रही तकनीकी समिति ने अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में अदालत को दी.
अदालत ने रिपोर्ट को खोला, उसमें से कुछ अंश पढ़े और उसे दोबारा सील कर दिया. फिर उसे सुप्रीम कोर्ट के महासचिव के पास सुरक्षित रख दिया गया और उन्हें कहा गया कि फिर जब अदालत को रिपोर्ट की जरूरत तो वो उसे उपलब्ध कराएंगे.
(पढ़ें: पेगासस विवाद: सॉलिसिटर जनरल बोले सरकार नहीं दाखिल करना चाहती हलफनामा)
गोपनीय रिपोर्ट की समस्या
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अदालत ने जो अंश पढ़े उनमें लिखा था कि तकनीकी समिति ने 29 मोबाइल फोनों की जांच की थी और उनमें से पांच में गड़बड़ी करने वाला सॉफ्टवेयर पाया तो गया लेकिन इस सॉफ्टवेयर के पेगासस होने का कोई सबूत नहीं मिला.
इसके साथ अदालत ने यह भी कहा कि सरकार ने जांच में समिति का सहयोग नहीं किया. इस पर सरकार के तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के विषय पर अदालत ने कहा कि जिन लोगों के फोनों की जांच की गई है उनमें से कईयों ने अपील की है कि रिपोर्ट को सार्वजनिक ना किया जाए क्योंकि उसमें उनके फोन से प्राप्त उनका निजी डाटा भी है.
लेकिन कुछ याचिकर्ताओं ने यह जरूर कहा कि रिपोर्ट को 'संपादित' कर कम से कम वादियों के साथ तो साझा कर दिया जाए. कथित रूप से पेगासस का निशाना बनाए गए पांच पत्रकारों का प्रतिनिधित्व कर रही संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने बताया कि रिपोर्ट के तीन हिस्से हैं.
(पढ़ें: पेगासस खुलासे पर भारत में गुस्सा क्यों नहीं हैं लोग?)
कब सामने आएगा सच
भाग एक और दो में जांच समिति के निष्कर्ष और अन्य बातें हैं. भाग तीन में समिति के काम का निरीक्षण कर रहे जज जस्टिस आरवी रवींद्रन द्वारा कहीं बातें हैं. अदालत ने संकेत दिया कि रिपोर्ट के तीसरे भाग को सार्वजनिक किया जा सकता है.
The Bench opened the sealed cover file in open Court today, and the CJI stated that the SC will examine it in detail & release parts that don’t affect national security or create threat/risks. Preliminarily, the CJI indicated that Part III may be published. 4/n
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) August 25, 2022
मामले में अगली सुनवाई चार हफ्तों बाद होगी. जुलाई 2021 में दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की.
मीडिया संस्थानों की इस जांच को "पेगासस प्रोजेक्ट" का नाम दिया गया है. इस जांच में फ्रांसीसी संस्था "फॉरबिडन स्टोरीज" को मिले उस डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण किया गया, जिसके तहत हजारों फोन नंबर्स को हैक किये जाने की सूचना थी. जांच के बाद दावा किया गया है कि 50 हजार फोन नंबरों को जासूसी के लिए चुना गया था.
(पढ़ें: लोकतंत्र सूचकांक: भारत 13 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा)
इनमें दुनियाभर के 180 से ज्यादा पत्रकारों के फोन नंबर शामिल हैं. रिपोर्ट में भारत में 300 से ज्यादा पत्रकारों, नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने का दावा किया गया था.
Source: DW