लोकसभा चुनाव 2019 में वोटिंग से पहले शुरू हो सकता है राजस्थान जाट आरक्षण आंदोलन
Bharatpur News, भरतपुर। राजस्थान में आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल सकता है। 8 फरवरी 2019 में पांच जातियों को पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान के गुर्जर सड़कों पर उतरे थे और अब जाटों ने हुंकार भरी है। हालांकि जाटों ने आरक्षण आंदोलन (jat andolan rajasthan) की तिथि अभी तय नहीं की है।
लोकसभा चुनाव 2019 की आचार संहिता लागू होने के साथ ही के भरतपुर जिले में जाट व किसान नेताओं ने पानी और आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। सोमवार को जाट नेताओं ने कांग्रेस व भाजपा पर झूठ बोलकर सत्ता हथियाने का आरोप लगाते हुए आम चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) में सबक सिखाने की चेतावनी दी है।
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भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक व किसान नेता नेमसिंह फौजदार ने कहा कि प्रदेश में 33 जिले हैं। भरतपुर धौलपुर दो जिलों को छोड़कर अन्य सभी 31 जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी में आरक्षण का लाभ मिला हुआ है जबकि भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज को 2017 में ओबीसी में आरक्षण दिया था, लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण देने के लिए चिट्टी नहीं लिख रही है, जबकि चुनावों में सरकार ने वायदा किया था।
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उन्होंने कहा की जिले में उधोग धंधा नहीं होने से यहाँ के लोग सिर्फ खेती पर निर्भर हैं, लेकिन बारिश नहीं होने व अन्य जगहों से पानी की उपलब्धता नहीं होने से यहाँ के किसान कृषि करने में भी विफल साबित हो रहे हैं। यहाँ के किसान पिछले 25 साल से हरियाणा से गुणगाँव कैनाल के जरिये यमुना नहर के पानी की मांग कर रहे हैं, जो किसी भी सरकार ने पूरी नहीं की। जबकि 1994 में दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सरकारों के मध्य गुणगाँव कैनाल द्वारा यमुना जल का वितरण करने का समझौता भी हुआ था। उसे आज तक पूरा नहीं किया जा सका है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा की जाट समाज व किसान शीघ्र ही पैदल मार्च कर लोगों को जागरूक करने का अभियान शुरू करेंगे और फिर तिथि तय कर आंदोलन (Jat reservation agitation) की घोषणा की जाएगी, जिससे दोनों ही पार्टियों को लोकसभा चुनाव 2019 में सबक सिखाया जा सके।