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ये है बिहार का रियल हीरो, 6000 लोगों को निकाल चुका है गंगा की गोद से, जिंदा या मुर्दा

राजेंद्र साहनी का दावा है कि गंगा से वे अभी तक लगभग 6000 लोगों को जिंदा या मुर्दा निकाल चुके हैं।

By Arvind Kumar
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पटना। जब भी कोई घटना घटती है तो लोग सबसे पहले अपने चहेते यानी हीरो को याद करते हैं और वह आता है लोगों की जान भी बचाता है। ठीक उसी तरह का हीरो है जिसका नाम है राजेंद्र साहनी। बता दें कि जिस वक्त पटना के एनआईटी घाट में नाव हादसा हुआ था। उस वक्त सभी लोगों के जुबान पर एक ही नाम था राजेंद्र साहनी। लोगों के साथ-साथ वहां उपस्थित प्रशासन भी उसी का नाम ले रहे थे। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या राजेंद्र साहनी कोई सुपरमैन है, जिसे लोग घटना के वक्त बुला रहे थे। तो हैरान मत होइए हम आपको बताते हैं कि राजेंद्र साहनी एक तैराक है। जिसने अपने दम पर कई शवों को नदी से निकाला है। ये भी पढ़ें: पटना हादसा: मौत के आखिरी सफर का VIDEO देख सिहर जाएंगे आप!

सूचना मिलते ही घटनास्थल पहुंचे साहनी

सूचना मिलते ही घटनास्थल पहुंचे साहनी

बता दें कि गंगा की गोद में समाए लोगों की लाशों को निकालने का तरीका ही इनका कुछ अलग और देहाती है। उन्होंने मछली पकड़ने वाली बंसी में फंसाकर लाशों को बाहर निकाला है। राजेंद्र साहनी का दावा है कि इस गंगा से उन्होंने लगभग 6000 लोगों को जिंदा या मुर्दा निकला है। 50 वर्षीय राजेंद्र साहनी ने बताया कि इस घटना के बारे में उन्हें प्रशासन के द्वारा जानकारी मिली थी। उस वक्त वे घर पर आग सेंक रहे थे। जानकारी मिलते ही नंगे पांव गंगा की घाट पर पहुंचे तथा 24 लाशों को गंगा की गोद से निकाला।

जानिए कौन है बिहार का रियल हीरो राजेंद्र साहनी

जानिए कौन है बिहार का रियल हीरो राजेंद्र साहनी

सबसे पहले बता दें कि राजेंद्र साहनी एक तैराक है। जो पिछले 35 वर्षों से तैराकी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कई लोगों को भी तैराकी की ट्रेनिंग दी है। लाश को गंगा की गोद से निकालने के लिए वह देशी तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं। इसी देशी तकनीक के सहारे उन्होंने एनआइटी नौका दुर्घटना में मृत लोगों को बाहर निकाला था। देशी तकनीक में वे लोहे की सैकड़ों नुकीली बड़ी बंसी को रस्सी से बांधकर नदी तल में गिराते हैं और नाव से नदी में आगे बढ़ने पर बंसी नदी तल पर सरकती है। इसी दौरान अगर बंसी कहीं अटक जाती है तो उसे बाहर निकालते हैं।
वहीं, राजेंद्र साहनी को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग के एडीएम शशांक शेखर सिंहा ने जमकर तारीफ की। साथ ही उन्होंने कहा कि राजेंद्र की वजह से ही शवों को बाहर निकाला गया है।

240 रु. मिलती है साहनी को दैनिक मजदूरी

240 रु. मिलती है साहनी को दैनिक मजदूरी

राजेंद्र के अनुसार इस तकनीक के सहारे उन्होंने अपनी टीम के सहयोग से शवों को निकाला। इस काम के लिए उन्हें 240 रुपए की दैनिक मजदूरी भी दी जाती है। उनका कहना है कि बिहार सरकार के पास उनके करीब 3 लाख रुपये पहले से बकाया है मेरे लिए लाशों को निकालना आसान है, लेकिन सरकार के पास से पैसे निकालना मुश्किल।

जेनरेटर का चैंबर फटने से डूबी नाव!

मकर संक्रांति की देर शाम पटना के एनआईटी घाट के पास दर्दनाक हादसे में यह बात सामने आ रही है कि जेनरेटर का चैंबर फटने से नाव डूब गई। आपको बताते चलें की मकर सक्रांति की शाम पतंग उत्सव में शामिल होने गए लोग जब लौट रहे थे तभी नाव जेनरेटर का चैंबर फटते ही तेज धमाका हुआ फिर अफरा-तफरी मच गई और डगमगाती हुई नाव गंगा की गोद में समा गई। ये भी पढ़ें:पटना के घाट पर लाशें ही लाशें, काली शाम का दिल दहलानेवाला मंजर

English summary
patna rajender sahani remove the bodies from the ganga ghats in bihar.
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