MP: इंसानों को सम्मोहित करने वाले जलप्रपात, जहां कदम ठिठक जाएं, आंखें बस निहारती रहें
सागर, 24 अगस्त। आप जो मनमोहक और सम्मोहित करने वाली तस्वीरें देख रहे हैं कि किसी हिल स्टेशन या हिमालयीन क्षेत्र की नहीं हैं...! यह भव्य, अद्भुत और मनोहारी आकर्षक जलप्रपात कहीं और नहीं बुंदेलखंड में मौजूद हैं। पन्ना का बृहस्पतिकुंड जलप्रपात पर पहुंचने के बाद आपका वापस आने को मन नहीं करेगा। करीब 1000 फीट की ऊंचाई से गिरता जलप्रपात ऐसा प्रतीत होता है मानो आसमान से उतर रहा हो। धुंआधार का यही आनंद लेना है तो यहां एक बार जरुर जाइएगा। खजुराहो के पास रनेह वाटरफाॅल की जलधाराएं अद्भुत हैं। सागर का राहतगढ़, दमोह का सिंगौरगढ़ का जलप्रपात पर आप प्रकृति के बीच खो जाएंगे।
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पन्ना का बृहस्पतिकुंड जलप्रपात, 400 फीट की ऊंचाई से गिरता है जलप्रपात
देश-विदेश
में
हीरों
की
नगरी
के
रुप
में
विख्यात
पन्ना
को
प्रकृति
ने
अद्भुत
और
दिव्य
कोहनूर
प्रदान
किया
है,
यहां
का
बृहस्पतिकुंड
जलप्रपात।
मप्र
में
जबलपुर
के
भेड़ाघाट
के
बाद
इसका
कोई
जोड़
नहीं
हैं।
बारिश
थमने
के
बाद
यहां
पहुंचकर
आप
सम्मोहित
हो
जाएंगे,
टकटकी
लगाए
इसके
सौंदर्य
को
घंटो
निहारने
के
बाद
भी
आपका
मन
नहीं
भरेगा।
करीब
हजार
फीट
की
ऊंचाई
से
गिरता
यह
जलप्रपात
भव्यता
बिखेरता
नजर
आता
हैं।
इसके
चारों
तरफ
आप
कहीं
भी
चलें
जाएं,
यहां
का
नजारा
आपको
मोहित
कर
लेगा।
बृहस्पतिकुंड जलप्रपात देवगुरु बृहस्पति की तपोस्थली रहा है
पन्ना
से
करीब
35
किलोमीटर
दूर
यह
विख्यात
पर्यटक
स्थल
बृहस्पतिकुंड
जलप्रपात
मौजूद
है।
इसकी
भव्यता
और
दिव्यता
के
पीछे
धार्मिक
किवदंतियां
और
मान्यताएं
भी
जुड़ी
हैं।
यह
बाघिन
नदी
पर
सैकड़ों
फीट
की
ऊंचाई
से
गिरता
है।
हिन्दू
धर्म
में
मान्यता
है
कि
यहां
पर
देवगुुरु
बृहस्पति
ने
तप
और
यज्ञ
किया
था।
वनवास
के
दौरान
भगवान
श्रीराम
भी
यहां
कुछ
समय
के
लिए
रुके
थे।
भारत का नियाग्रा फाॅल कहलाता है यह जलप्रपात
बृहस्पतिकुंड जलप्रपात का उद्गम स्थल पन्ना के पहाड़ों से होता है। यह बाघिन नदी पर पड़ताा है। इसकी लंबाई-चैड़ाई और ऊंचाई को देखकर लोगों ने इसे भारत का नियाग्रा फाॅल नाम दिया हैं। जुलाई और अगस्त के महीने में यह अपनी पूरी भव्यता और शबाव पर होता है। यह इतनी ऊचाई से गिरता है कि इसके नजदीक जाना संभव नहीं होता। इसकी चैड़ाई भी काफी ज्यादा है। करीब एक किलोमीटर दूर से इसकी आवाज सुनाई देती है। काफी दूर से इसको देख सकते हैं।
सागर-ललितपुर के बीच डोंगराखुर्द के पास स्थित है ‘कनकद्दर' जलप्रपात'
बुंदेलखंड
के
सागर-ललितपुर
के
बीच
डोंगराखुर्द
के
पास
स्थित
है
‘कनकद्दर'
जलप्रपात'
‘कनकद्दर'
जलप्रपात
बुंदेलखंड
के
सागर
और
ललितपुर
के
बीच
मालथौन
के
पास
नेशनल
हाईवे-44
से
करीब
7
किलोमीटर
अंदर
डोंगराखुर्द
गांव
के
पास
स्थित
है।
यह
विंध्याचल
की
पर्वत
श्रंखलाओं
के
बीच
स्थित
है।
सागर
की
तरफ
से
जाने
वाले
लोग
मालथौन
से
होते
हुए
अमारी
गांव
के
पास
से
यहा
पहुंच
सकते
हैं।
हालांकि
यहां
का
पहुंच
मार्ग
आज
भी
कठिन
है।
रनेह वाटरफॉल, रंग-बिरंगी पहाड़ियों से गुजतरा है
विश्वविख्यात खजुराहो पर्यटन स्थल के पास महज 19 किलोमीटर दूर रनेहफाॅल को प्रकृति ने खुद सजाया है। यह पन्ना टाइगर रिजर्व का हिस्सा कहलाता है। यह प्राकृतिक रुप से घड़ियालों का प्राकृतिक आवास भी है। देश-विदेश से लोग इसको निहारने और घड़ियालों को देखने आते हैं। यह जलप्रपात केन नदी पर स्थित है। कई जलधाराओं के रुप में यह जलप्रपात नीचे आता है। सबसे खास बात यहां पर पहाड़ियां और चट्टाने रंग-बिरंगी नजर आती हैं। गर्मी के समय तो यहां लाल, काली, पीली और सफेद रंग की चट्टानें नजर आती हैं।
रनेह वाटरफॉल के पीछे कुंड में जंगली जानवर पानी पीने आते हैं
खजुराहो के इस रनेह वाटरफॉल की सबसे खास बाद यहां पीछे बने कुंड में आपको वन्यप्राणी सुबह-शाम के समय पानी पीने के लिए आते-जाते नजर आ जाते हैं। जलप्रपात के साथ-साथ वाइल्ड लाइफ का आनंद भी यहां मिल जाता हैं। यह केन घड़ियाल अभयारण्य भी है। यहां पर दो प्वाइंट हैं जहां से रनेह जलप्रपात का अद्भुत दर्शन आप कर सकते हैं। बारिश के समय विशाल जलधाराएं ऐसी प्रतीत होती हैं मानों आप जम्मू-काश्मीर या उत्तरांचल के पहाड़ी झिरनों को निहार रहे हों।
दमोहः सिंगौरगढ़ का निदान कुंड वाटरफाॅल
बुंदेलखंड के दमोह जिले में सिंग्रामपुर स्थिति रानी दुर्गावती अभयारण्य के अंदर बहुत ही खूबसूरत जलप्रपात मौजूद हैं। इसे पर्यटक स्थल के रुप में विकसित किया गया है। सिंग्रामपुर दमोह-जबलपुर हाईवे पर मौजूद हैं। इसे निदान कुंड भी कहा जाता है। दूर से इसके दीदार करने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो पहाड़ी से दूध की धार बह रही हो। यहां जलप्रपात के नीचे जाने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई हैं। जिले में जबेरा के पास जोगन कुंड भी मौजूद है।
सागरः चिंगाड़ रही बीना नदी, राहतगढ़ वाटरफाॅल पूरे शबाव पर आया
सागर जिले में भोपाल मार्ग पर राहतगढ़ जलप्रपात अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। बीना नदी पर बारिश के दौरान ऐसा प्रतीत होता है मानो नदी चिंघाड़ते हुए नीचे गिर रही हो। यह चट्टानी इलाकों में काफी खतरनाक भी बन जाता है। यहां वन विभाग और जिला प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। सागर जिले में इसे देखने के लिए हर कोने से लोग बारिश के समय पहुंचते हैं। जलप्रपात के आगे नदी पर दो बांध बनाए गए हैं, जिस कारण बांध के कुंड में 12 महीने पानी भरा रहता है।
राजघाट बांधः बेबस नदी पर बरबस ही खींच रहा आकर्षक वाॅटरफाॅल
सागर से 15 किलोमीटर दूर राजघाट पेयजल परियोजना के बांध पर ओवरफ्लो सेक्शन ने निकलते पानी से नदी के स्पिल-वे चैनल के आगे जाकर अनूठा जलप्रपात का नजारा बन रहा है। यहां ओवरफ्लो सेक्शन से करीब 25 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी बडे़ जलप्रपात का नजारा बनाता है। यहां जलप्रपात और ओवरफ्लो के देखने के लिए रोजाना सैकड़ों लोग परिवार सहित पहुंच रहे हैं। यह स्थान पिकनिक स्पाॅट के रुप से पहचाना जाने लगा हैं