हैदरपोरा एनकाउंटर: प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में लेने पर सवालों के घेरे में J&K पुलिस
श्रीनगर, 18 नवंबर। जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के हैदरपोरा एनकाउंटर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, मारे गए लोगों के परिजनों ने बुधवार देर रात धरना प्रदर्शन किया। परिजनों का दावा है कि मुठभेड़ में मारे गए दो लोग आम नागरिक थे, उन्हें न ही मृतक का शव सौंपा जा रहा है और न ही इंसाफ मिल रहा है। इस बीच पुलिस ने प्रेस एन्क्लेव में विरोध प्रदर्शन कर रहे परिवारों को वहां से हटाया। बताया जा रहा है कि अल्ताफ भट और मुदस्सर गुल के लिए न्याय और उनके शवों की मांग को लेकर परिवार वालों ने नागरिक समाज के सदस्यों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने पहले सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और बाद में छोड़ दिया। पुलिस का कहना है कि यह प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए किया गया था क्योंकि जम्मू-कश्मीर में तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया था। वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह अपमानजनक है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने परिवारों को शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी। उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मैंने शायद ही कभी ऐसे परिवारों को देखा है, जिनके साथ अन्याय हुआ है, वे गरिमा में रहते हुए अपनी मांगों में वाजिब हैं और अपने आचरण में प्रतिष्ठित हैं। इसका परिणाम सभी को दिखाई दे रहा है क्योंकि पुलिस उन्हें रात के अंधेरे में घसीटते हुए ले गई।
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बता दें कि एनकाउंटर में मारे गए लोगों में लतीफ माग्रे का बेटा आमिर माग्रे भी शामिल था। लतीफ माग्रे को आतंकियों से लोहा लेने के लिए जाना जाता है, उन्होंने एक आतंकवादी को पत्थर से ही मौत के घाट उतार दिया था। लतीफ माग्रे ने पुलिस के इस दावे का खंडन करते हुए कहा, हम भारतीय है, मेरा बेटा आमिर निर्दोष था और श्रीनगर की एक दुकान पर मजदूर के रूप में काम करता था। जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के एक दूरदराज के गांव में रहने वाले लोक इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी लतीफ ने कहा कि पुलिस ने उनके बेटे का शव लौटाने से इनकार कर दिया है।