यूक्रेन के प्रांतों में जनमत संग्रह करना पुतिन को पड़ेगा महंगा, यूरोपीय संघ ने रूस पर ले लिया ये एक्शन
ब्रुसेल्स, 28 सितंबरः राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के चार इलाकों में जनमत संग्रह कराना अब रूस पर भारी पड़ने वाला है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि रूस को यूक्रेन में संघर्ष को बढ़ाने की कोशिशों की कीमत चुकानी होगी। उर्सुला लेयेन ने रूस पर एक नए प्रतिबंध पैकेज का प्रस्ताव रखा है जिससे रूस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
किसी भी कीमत पर जनमत संग्रह स्वीकार नहीं
ब्रुसेल्स में संवाददाताओं से बात करते हुए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा, "हम रूस द्वारा कराए गए इस नकली जनमत संग्रह और यूक्रेन के किसी भी हिस्से के विलय को स्वीकार नहीं करते हैं। रूस को इस हरकत की बड़ी कीमत चुकानी होगी इसे लेकर हम दृढ हैं। यूरोपीय आयोग द्वारा प्रस्तावित आठवें प्रतिबंध पैकेज में रूस पर चार तरीकों से प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है।
नए व्यक्तियों और संस्थाओं पर लगेंगे प्रतिबंध
प्रस्ताव में व्यक्तियों और संस्थाओं की नई सूची तैयार की गई है तथा व्यापार पर और प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। इसमें रूसी उत्पादों पर नए प्रतिबंध लगाना तथा मास्को को अतिरिक्त 7 बिलियन यूरो के राजस्व से वंचित करना शामिल है। यह रकम भारतीय रुपये में साढ़े पांच खरब रुपये से भी अधिक है। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि रूस को यूरोपीय दिमागी ताकत और विशेषज्ञता का फायदा उठाने से रोकने की जरूरत है इसके लिए रूसी सेना के लिए उपयोग की जाने वाली प्रमुख प्रौद्योगिकी जैसे विमानन वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक घटकों और विशिष्ट रासायनिक पदार्थों पर अधिक निर्यात प्रतिबंध लगाया जाएगा।
रूस को नहीं मिलेगी यूरोपीय तकनीक
इसके साथ ही यूरोपीय सेवाएं प्रदान करने पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया है और यूरोपीय संघ के नागरिकों को रूसी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों शासी निकाय में बैठने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अतिरिक्त, प्रतिबंध पैकेज में एक तेल मूल्य कैप के लिए कानूनी आधार रखने का प्रस्ताव रखा गया है। उर्सुला ने कहा कि कुछ विकासशील देशों को अभी भी कम कीमतों पर रूसी तेल आपूर्ति की जरूरत है। ऐसे में यह मूल्य कैप रूस के राजस्व को कम करने और वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर रखने में मदद करेगी।
रूस द्वारा कराया गया जनमत संग्रह हुआ संपन्न
बतादें कि रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के क्षेत्र में जनमत संग्रह का काम आज पूरा हो गया है। जनमत संग्रह में लोगों से पूछा गया कि क्या वे चाहते हैं कि चारों कब्जे वाले दक्षिणी और पूर्वी यूक्रेन क्षेत्रों को रूस में शामिल किया जाए। 23 सितंबर से यह जनमत संग्रह शुरू हुआ था। इस जनमत संग्रह से तय होगा कि क्या कब्जे वाले क्षेत्र रूस का हिस्सा बनना चाहते है या नहीं। यूक्रेन के चार इलाकों में रूस द्वारा तैनात अधिकारियों के अनुसार पांच दिनों की वोटिंग के बाद वहां यह बहुमत दिखा कि वे रूस का हिस्सा बनने को आतुर हैं।
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Russia has escalated the invasion of Ukraine to a new level.
And we are determined to make the Kremlin pay the price for this further escalation.
Today, we are proposing a new package of biting sanctions against Russia ↓
— Ursula von der Leyen (@vonderleyen) September 28, 2022
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