Climate change से बढ़ेंगी कैसी बीमारियां ? ग्लोबल फंड ने चेतावनी देकर बताया
Climate Change impact on health: जलवायु परिवर्तन के नजरिए से इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए 2022 अबतक बहुत ही बुरा साल रहा है। इसकी वजह से जो प्रभाव पड़ रहे हैं, उसके परिणाम बहुत ही भयावह नजर आ रहे हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से कई सारी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जिनसे मरने वालों की तादाद कोरोना की वजह से हुई मौतों से कहीं ज्यादा है। एक ऐसी ही संस्था ग्लोबल फंड ने जलवायु परिवर्तन और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की भयावह तस्वीर पेश की है।
जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही हैं बीमारियां
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से बहुत सारे लोगों की मौत होने वाली है, क्योंकि इसके चलते संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। मंगलवार को एड्स, क्षय रोग (टीबी) और मलेरिया के खिलाफ अभियान के लिए बने अंतरराष्ट्रीय संगठन ग्लोबल फंड के हेड ने यह कहा है। ग्लोबल फंड के कार्यकारी निदेशक पीटर सैंड्स ने कहा कि 2022 में उनकी संस्था ने स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का 'बढ़ता हुआ प्रभाव' देखा है। उन्होंने पाकिस्तान का उदाहरण देकर बताया है कि मलेरिया के मामले में किस तरह की उछाल आई है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में इस बार अत्यधिक वर्षा की वजह से भयानक बाढ़ आई थी, जिसकी तबाही से उबरने में उसे कई साल लगने के अनुमान हैं। लेकिन, इसके चलते मलेरिया जैसी बीमारी के मामले भी बढ़े हैं, क्योंकि मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है।
आखिरकार लोगों की मौतें होंगी- ग्लोबल फंड
सैंड्स ने कहा कि 'हम जो देख रहे हैं, वह ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से संक्रामक बीमारियां बढ़ेंगी, जिससे आखिरकार लोगों की मौतें होंगी।' उनके मुताबिक अफ्रीका के जो हिस्से पहले मलेरिया से प्रभावित नहीं थे, अब तापमान बढ़ने की वजह से वहां भी मच्छर पनपने लगे हैं और खासकर यह ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हो रहा है। लेकिन, दिक्कत ये है कि इस इलाके के लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, जिससे मृत्यु दर ज्यादा होने का जोखिम है। संयुक्त राष्ट्र में संवाददाताओं के संघ को ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने चेतावनी देते हुए ेकहा कि 'यह काफी खतरनाक है।'
'टीबी का भी बढ़ गया खतरा'
जलवायु परिवर्तन की वजह से जिस दूसरी बीमारी का खतरा बढ़ गया है, वह है टीबी। चिंता जताई गई है कि दुनिया भर में विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ी है, जिनमें इसके तेजी से फैलने की आशंका पैदा हुई है, क्योंकि यह बहुत ही कम जगह में इकट्ठे रहने को मजबूर हैं। उनके मुताबिक, 'टीबी एक ऐसी बीमारी है जो भोजन की अपर्याप्तता और आश्रय की दिक्कत की वजह से अत्यधिक तनावग्रस्त लोगों में बहुत ही ज्यादा पनपती है।' उनका कहना है, 'जलवायु परिवर्तन के चलते हम जितना लोगों का विस्थापन देखते हैं, मैं समझता हूं कि उतनी ही ज्यादा इसकी परिस्थितियां पैदा होने की संभावना रहती है।' ऊपर से खाद्य असुरक्षा तमाम तरह के रोगों के प्रति लोगों को और भी संवेदनशील बना देगी।
'अगली संक्रामक महामारी के लिए दुनिया अब ज्यादा तैयार'
जब सवाल कोविड-19 जैसी अगली किसी महामारी के खिलाफ दुनिया की तैयारी को लेकर हुआ तो उन्होंने कहा कि विश्व पहले से ज्यादा बेहतर स्थिति में है, लेकिन 'इसका मतलब ये नहीं कि हम पूरी तरह से तैयार हैं: हम पहले जितनी बुरी स्थिति में थे, अभी उतनी खराब हालत में नहीं हैं।' 2022 के अंत तक ग्लोबल फंड अपने काम में करीब 5.4 अरब डॉलर का निवेश कर चुका होगा, जो अबतक की तुलना में बहुत ही ज्यादा है।
2022 एक निर्दय साल- ग्लोबल फंड
स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा स्थित इस संगठन को जी7 देशों से सबसे ज्यादा दान मिलता है, जिसमें अमेरिका नंबर एक पर और फ्रांस नंबर दो पर है। सैंड्स ने कहा कि 'विश्व के सबसे गरीब, सबसे हाशिए पर रहने वाले, सबसे कमजोर तबकों के बीच हम जिन लोगों की सेवा करते हैं, उनके लिए 2022 एक निर्दय साल था। दुनिया के गरीब समुदायों में एचआईवी, टीबी और मलेरिया कोविड-19 के मुकाबले ज्यादा लोगों को मार रहे हैं।' (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)