क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जर्मन सेना के मददगार अफगान पहुंचे जर्मनीः रिपोर्ट

Google Oneindia News

काबुल, 06 जुलाई। अफगानिस्तान में जर्मन सेना के अभियान के दौरान मदद करने वाले अफगान नागरिकों का पहला दस्ता शरणार्थी के तौर पर जर्मनी आ गया है. डेर श्पीगल पत्रिका ने खबर छापी है छह लोगों का पहला दस्ता जर्मनी पहुंच गया है. तालीबान के डर से ये लोग जर्मनी में शरण चाहते हैं.

Provided by Deutsche Welle

डेर श्पीगल ने सोमवार को लिखा कि ये छह लोग अपने परिवारों के साथ जर्मनी आए हैं. इसके साथ ही जर्मन सेना की मदद करने वाले अफगान लोगों को तालीबान से सुरक्षा और शरण देने का कार्यक्रम शुरू हो गया है.

23 लोग आए

छह मददगार अपने परिजनों के साथ आए हैं. इस तरह कुल 23 लोग जर्मनी पहुंचे हैं जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. मजार ए शरीफ से इन लोगों को टर्किश एयरलाइन्स के विमान से जर्मनी लाया गया. आने वाले दिनों में 30 और लोगों के इसी तरह जर्मनी आने की संभावना है.

जर्मन सैन्य अधिकारियों ने अफगानिस्तान छोड़ने से पहले 471 स्थानीय कर्मचारियों का एक दस्तावेज तैयार किया था. इनमें अनुवादक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं. इनके परिजनों के कुल 2,380 वीसा दस्तावेज भी तैयार किए गए हैं.

नाटो सेनाएं अफगानिस्तान से वापसी कर रही हैं. जर्मनी के सारे सैनिक स्वदेश लौट चुके हैं. पिछले महीने ही आखिरी जर्मन सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था. अमेरिकी सैनिक भी 11 सितंबर से पहले अपनी वापसी पूरी कर लेना चाहते हैं, जिसके साथ 20 साल लंबा अभियान खत्म हो जाएगा.

पश्चिमी सेनाओं के अफगानिस्तान में काम करने के दौरान बहुत से अफगान नागरिकों ने उनके लिए काम किया था और उनकी मदद की थी. अब जबकि ये सेनाएं देश छोड़ रही हैं और तालीबान का बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा होने की खबरें आ रही हैं, तो पश्चिमी सेनाओं के लिए काम करने वाले लोगों को डर सता रहा है कि तालीबान उनसे बदला ले सकता है.

जर्मन सरकार की आलोचना

जर्मन सरकार ने पहले बीते दो साल में उसकी सेना के साथ काम करने वाले अफगानों को सुरक्षा देने की योजना बनाई थी. लेकिन बाद में इस अवधि को बढ़ा दिया गया था और 2013 के बाद से जर्मन सेना के साथ काम करने वाले अफगान लोगों को इसमें शामिल किया गया.

तस्वीरों मेंः चले गए अमेरिकी, छोड़ गए कचरा

फिर भी, काफी लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं क्योंकि वीजा प्रक्रिया बहुत जटिल बताई जा रही है. डेर श्पीगल के मुताबिक जर्मन नेताओं को डर है कि वीजा की प्रक्रिया आसान होने पर अर्जियों की संख्या बहुत बढ़ सकती है.

जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता राएनर ब्रोएल ने माना है कि जर्मन सेना के देश से चले जाने और मजार ए शरीफ में कान्स्युलेट बंद हो जान से वीजा प्रक्रिया जटिल हुई है. उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए सरकार इंटरनैशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही है.

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता डेहेल्मबोल्ड ने कहा कि वीजा अर्जियों की संख्या कम रखी गई है क्योंकि जिन लोगों को भी यात्रा दस्तावेज दिए गए हैं, उनमें से सभी लोग एकदम नहीं आना चाहते थे.

आलोचकों को इस बात की भी शिकायत है कि जो अफगान लोग जर्मन सेना के साथ सीधे काम करने के बजाय, किसी ठेकेदार के जरिए काम करते थे, उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया गया है.

रिपोर्टः आलेक्स बेरी

देखिएः अफगान अभियान की कीमत

Source: DW

Comments
English summary
afghan bundeswehr helpers arrive in germany for asylum report
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X