रमज़ान में रोज़ा रखने से शरीर पर क्या पड़ता है असर?
हर साल रमजान के दिनों में लाखों मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 दिनों के लिए रोज़ा रखते हैं.हाल के दिनों में, उत्तरी गोलार्ध में रमज़ान गर्मियों के दिनों में पड़ा, जो बहुत लंबे और गर्म होते हैं. इसका मतलब है कि नॉर्वे जैसे कुछ देशों में लोग हर दिन 20 से अधिक घंटे रोज़ा करते देखे जाएंगे.क्या रोज़ा आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?
हर साल रमजान के दिनों में लाखों मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 दिनों के लिए रोज़ा रखते हैं.
हाल के दिनों में, उत्तरी गोलार्ध में रमज़ान गर्मियों के दिनों में पड़ा, जो बहुत लंबे और गर्म होते हैं. इसका मतलब है कि नॉर्वे जैसे कुछ देशों में लोग हर दिन 20 से अधिक घंटे रोज़ा करते देखे जाएंगे.
क्या रोज़ा आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?
चलिए देखते हैं कि जब आप 30 दिनों के लिए रोज़ा रखते हैं तो आपके शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है.
रोज़ा रखने वाले हिंदू, ईसाई और नास्तिक
उपवास के बाद खाना डायबिटीज में फ़ायदेमंद
सबसे कठिन हैं- शुरुआती कुछ दिन
तकनीकी रूप से अंतिम बार भोजन करने के आठ घंटे या उसके भी कुछ समय बाद तक आपका शरीर उपवास की दशा में नहीं आता है. यह आपकी आंत के भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने का समय है.
इस अवधि के तुरंत बाद, हमारा शरीर लीवर में जमा ग्लूकोज और मांसपेशियों से ऊर्जा पाने लगता है.
उपवास के दौरान या बाद में, ग्लूकोज के भंडार ख़त्म होने के बाद, शरीर के लिए ऊर्जा का अगला स्रोत वसा बन जाता है.
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जब शरीर से वसा कम होना शुरू होता है, तो इससे वज़न घटता है, कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटती है और यह डायबिटीज़ के जोखिम को भी कम करता है.
हालांकि, ब्लड शुगर का स्तर कम होना कमज़ोरी और सुस्ती का कारण बन सकती है. आपको सिर में दर्द, चक्कर आना, उल्टी और सांस की कमी जैसा भी अनुभव हो सकता है.
यह तब होता है जब आपकी भूख अपने सबसे तीव्र स्तर पर होती है.
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3 से 7 दिनः शरीर में पानी की कमी से रहें सावधान
जैसे ही आपका शरीर रोज़ा का अभ्यस्त होने लगता है, वसा टूटने लगते हैं और यह ब्लड शुगर में बदल जाते हैं.
रोज़ा के दौरान तरल पदार्थ नहीं लिया जाता है. लिहाजा शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए दो रोज़ों के बीच के वक्त में इस कमी को पूरा कर लिया जाना चाहिए नहीं तो पसीने की वजह से शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकता है.
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आपके खाने में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेड और कुछ वसा जैसे एनर्जी फूड होने चाहिए. इस दौरान कुछ प्रोटीन, नमक और पानी युक्त संतुलित आहार का लेना ज़रूरी है.
08 से 15 दिनः रोज़ा की आदत
तीसरा चरण आने तक आपको अपनी मनोदशा में सुधार दिखने लगेगा क्योंकि अब आपके शरीर को रोज़ा रखने की आदत पड़ गई है.
कैम्ब्रिज में एडेनब्रूक के एक अस्पताल के एनेस्थेसिया और इंटेंसिव केयर मेडिसीन में सलाहकार रज़ीन महरूफ़ कहते हैं कि इसके अन्य फ़ायदे भी हैं.
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डॉ. महरूफ़ कहते हैं, "रोज़ाना हम अपने दैनिक जीवन में बहुत अधिक कैलरी खाते हैं और यह आपके शरीर को अन्य कार्यों को करने से रोक सकता है, जैसे कि खुद की मरम्मत करना."
"रोज़ा के दौरान इसे सही किया जाता है, जिससे कि शरीर अन्य कार्यों पर ध्यान दे सके."
"तो रोज़ा स्वस्थ बनाने, संक्रमण रोकने और इससे लड़ने के लिए शरीर को फायदा पहुंच सकता है."
16 से 30 दिनः डीटॉक्सिंग
रमजान के आखिरी आधे हिस्से के दौरान, आपका शरीर उपवास प्रक्रिया के अनुरूप ढल जाता है. इस दौरान आपके मलाशय, लीवर, किडनी और त्वचा डीटॉक्सिफिकेशन के दौर से गुजरते हैं.
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डॉ. महरूफ़ कहते हैं, "स्वास्थ्य के मामले में इस चरण में शरीर के अंगों को कार्य करने की अधिकतम क्षमता पर लौट आना चाहिए. आपकी याददाश्त और एकाग्रता बढ़ सकती है और आपमें और अधिक एनर्जी आ सकती है."
"ऊर्जा के लिए आपके शरीर को प्रोटीन का रुख नहीं करना चाहिए. ये वो वक्त है जब वह भुखमरी के मोड़ में आने लगता है और ऊर्जा के लिए आपकी मांसपेशियों का इस्तेमाल करने लगता है. यह तब होता है जब आपका उपवास कई दिनों या हफ़्तों तक चलता रहता है."
"चूंकि रमजान में रोज़ा केवल सुबह से शाम तक चलता है, इसलिए हमारे पास ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों और तरल पदार्थों से खुद को भरने का पर्याप्त अवसर होता है. यह मांसपेशियों को बरकरार रखता है लेकिन साथ ही वज़न घटाने में भी मदद करता है."
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तो, क्या रोज़ा रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?
डॉ. महरूफ़ कहते हैं, "हां, लेकिन एक शर्त के साथ."
"उपवास हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है क्योंकि इससे हमें क्या और कब खाते हैं, इस पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. हालांकि, एक महीने का रोज़ा तो ठीक हो सकता है लेकिन इसे लंबी अवधि के लिए करते रहने की सलाह देना उचित नहीं है."
"लगातार उपवास रखना लंबे समय तक वज़न घटाने के लिए अच्छा साधन नहीं है क्योंकि अंत में आपका शरीर वसा को ऊर्जा में बदलने के प्रक्रिया को रोक देगा और इसके बजाय उन्हें मांसपेशियों में बदल देगा. यह अस्वास्थ्यकर है और इसका मतलब है कि आपका शरीर अब 'भुखमरी मोड' में जा रहा है."
कुछ-कुछ देर पर उपवास से ज़्यादा फ़ायदा
डॉ. महरूफ़ सलाह देते हैं कि रमज़ान के अलावा कुछ अवधि का उपवास या 5:2 डाइट (स्वस्थ खाने के दिनों के बीच, हफ़्ते में कुछ दिनों के लिए उपवास) एक स्वस्थ विकल्प होगा.
वो कहते हैं, "रमजान के दौरान सही तरीके से किया गया रोज़ा, आपको हर दिन अपने शरीर में ऊर्जा भरने की अनुमति देता है, जिसका मतलब यह हो सकता है कि आप अपने शरीर में महत्वपूर्ण मांसपेशियों को जलाए बिना अपना वज़न कम कर सकते हैं."