Tomato flu: बच्चों को ज्यादा चपेट में लेती है यह बीमारी, इसके लक्षण और कारण जानिए
दिल्ली, 24 अगस्त: कोरोना वायरस महामारी के बाद दुनिया को पहले मंकीपॉक्स वायरस ने डराया और अब टोमैटो फ्लू ने हम भारतीयों की टेंशन बढ़ा दी है। हाल ही में लैंसेट हेल्थ मैगजीन ने भारत में टोमैटो फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया था। एक्सपर्ट की राय है कि 5 साल तक के बच्चों को इसकी चपेट में आने का ज्यादा खतरा रहता है, लेकिन 10 साल तक के बच्चे भी इस बीमारी से रोग ग्रस्त हो सकते हैं। इसके संक्रमण से बुखार और बाकी वायरल लक्षणों के साथ ही त्वचा पर लाल चकत्ते इसके सबसे प्रामाणिक लक्षणों में गिने जाते हैं। मंगलवार को केंद्र सरकार ने राज्यों को इस बीमारी को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। इसके मुताबिक व्यस्क भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।
भारत में टोमैटो फ्लू का प्रकोप
भारत में इस साल टोमैटो फ्लू का पहला मामला 6 मई को केरल के कोल्लम जिले में सामने आया था। केरल के अलावा तमिलनाडु, हरियाणा और ओडिशा में भी इसके मामले सामने आए हैं। मुंबई के आसपास के इलाकों में भी इस बीमारी के मामले आने की जानकारी सामने आ रही है। यह बीमारी हाथ, पैर और मुंह के रोग की तरह प्रतीत होती है। केरल में जब 'टौमैटो फीवर या टोमैटो फ्लू' के संक्रमण की बात सामने आई थी तो काफी हड़कंप मचा था। तब शुरुआत में ही वहां 80 से ज्यादा बच्चों के बीमार होने की जानकारी सामने आई थी। हालांकि, बाद में इसपर वहां काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया था। लेकिन, तीन महीने बाद यह देश के बड़े इलाके में फैलने लगा है। बच्चों में इसकी बहुत ज्यादा पीड़ा देखी जा रही है।
टोमैटो फ्लू क्या है ?
टोमैटो फ्लू एक बहुत ही दुर्लभ वायरल बुखार है, जिसमें बड़े-बड़े लाल चकत्ते, त्वचा में जलन और शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इस बीमारी का नाम ऐसा इसलिए पड़ा है, क्योंकि इसमें बना फफोला टमाटर की तरह दिखता है। जानकारी के मुताबिक इसके बारे में यह बहस भी होती है कि यह एक वायरल बुखार ही है या फिर चिकनगुनिया या डेंगू बुखार की वजह से होता है। वैसे यह केरल के एक खास हिस्से में ही देखा जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर एहतियाती उपाय नहीं किए गए तो यह दूसरे इलाकों में भी तेजी से फैल सकता है।
टोमैटो फीवर के लक्षण क्या हैं ?
पीड़ित बच्चों को टमाटर के आकार के फफोले पड़ सकते हैं, जो कि लाल रंग के होते हैं। इसके अलावा बाकी लक्षणों में तेज बुखार, शरीर में दर्द और चिकनगुनिया की तरह जोड़ों में सूजन और थकान की समस्या देखने को मिल सकती है। कुछ मामलों में पेट में ऐंठन, मतली, उल्टी, दस्त के साथ ही हाथों, घुटनों, नितंबों के रंगों के हल्के पड़ने, खांसी, छींकने और नाक बहने की शिकायतें भी मिल सकती हैं। कोल्लम के अलावा अर्यांकावु, आंचल और नेदुवाथुर में भी इसके केस मिलने की सूचना है।
टोमैटो फीवर का उपचार
यदि बच्चे में फ्लू के लक्षण नजर आ रहे हैं तो डॉक्टरों की सलाह जरूरी हो जाती है। पीड़ित बच्चे को फफोले को नोंचने से रोकें और साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें। बच्चे को आराम करने दें और उसके शरीर में डिहाइड्रेशन की स्थिति पैदा न हो, इसलिए तरल पदार्थों का डॉक्टरी सलाह के मुताबिक सेवन करवाते रहें। शरीर में पानी कमी न हो, इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
टोमैटो फ्लू पर केंद्र की एडवाइजरी
राज्यों के लिए जारी केंद्र की एडवाइजरी में कहा गया है कि टमाटर फ्लू या टमाटर बुखार खुद से सीमित होने वाला वायरल रोग है। इसके लक्षण कुछ दिनों के बाद ठीक हो जाते हैं। टोमैटो फ्लू कोविड-19, मंकीपॉक्स, डेंगू या चिकनगुनिया से संबंधित नहीं है। अक्सर इसकी शुरुआत हल्के बुखार, भूख में कमी, अस्वस्थता और गले में खराश के साथ होती है। बुखार शुरू होने के एक या दो दिन बाद छोटे-छोटे लाल धब्बे दिखाई देने लगते हैं जो फफोले-चकत्ते और फिर अल्सर में बदल जाते हैं। घाव आमतौर पर जीभ, मसूड़ों, गालों, हथेलियों और तलवों के पास होते हैं। इसकी कोई विशेष दवा उपलब्ध नहीं है। इसके लिए बाकी वायरल संक्रमण की तरह का उपचार होता है। अलग रखना, आराम करना, खूब तरल पदार्थ पीना और जलन और चकत्ते से राहत के लिए गर्म पानी का स्पंज लाभदायक है। संक्रमण की रोकथाम के लिए साफ-सफाई का ख्याल रखना जरूरी है। संक्रमित बच्चों के खिलौने, कपड़े, खाने और बाकी चीजों को दूसरे बच्चों के साथ शेयर करने से बचें। यह मुख्य तौर पर 10 साल से कम उम्र के बच्चों को संक्रमित करता है, लेकिन व्यस्कों को भी हो सकता है।(तस्वीरें- प्रतीकात्मक)