सिद्धू के लिए फिर आया है पाकिस्तान से बुलावा, क्या न्यौता स्वीकार करेंगे पाजी?
बेंगलुरू। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने करतारपुर कॉरीडोर उद्घाटन समारोह के लिए एक बार पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पाकिस्तान आने को निमंत्रण भेजा है, लेकिन लगता नहीं है कि इस बार नवजोत सिंह सिद्धू खुले मन से पाकिस्तान यात्रा के लिए तैयार हैं। पिछली पाकिस्तान यात्रा की यादें अभी भी सिद्धू के जह्न में ताजा होंगी, जब सिद्धू अपने साथ-साथ पूरे हिन्दुस्तान की फजीहत करवा करे हमवतन लौटे थे।
सिद्धू पाकिस्तानी प्रधानमत्री इमरान खान की ताजपोशी के लिए आमंत्रित किए गए थे। पाकिस्तान यात्रा पर पहुंचे नवजोत सिद्धू पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल बाजवा से गले मिलते हुए पकड़े गए। जनरल बाजवा से गले मिलने वाले तस्वीरे सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं और सिद्धू की हरकतों पर कांग्रेस को भी जबाव देते नहीं बन पड़ रहा था।
पाकिस्तान की पिछली यात्रा के बाद ही सिद्धू का राजनीतिक कैरयिर भी दांव पर लग गया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब की कैबिनेट में शामिल किए गए सिद्धू को पाकिस्तान यात्रा के बाद कैबिनेट मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया था। पाकिस्तान यात्रा पर जाने और पाकिस्तान यात्रा से लौटने तक सिद्धू के बड़बोलेपन की वजह भारत सरकार को पड़ोसी पाकिस्तान के सामने फजीहत का सामना करना था।
चूंकि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे बीजेपी की सरकार है, इसलिए एक बार सिद्धू का अपराध क्षम्य भी हो जाता, लेकिन पाकिस्तान यात्रा पर जाने से पहले सिद्धू द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बौना साबित करने की कोशिश उन पर भारी पड़ गई, जिससे उनका पूरा राजनीतिक कैरियर दांव पर लग गया।
दरअसल, सिद्धू को पाकिस्तानी यात्रा के लिए पार्टी की अनुमति की जरूरत थी, लेकिन सिद्धू ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ऊपर वरीयता देते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस के कैप्टन की इजाजत मिल गई है और उन्हें किसी की अनुमित की जरूरत नहीं हैं। सिद्धू का यह पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बिल्कुल पसंद नहीं आया।
पाकिस्तान यात्रा से लौटते ही सिद्धू के पर कतरने की तैयारी शुरू हो गई। सिद्धू से शहरी निकाय विभाग की जिम्मेदारी वापस ले ली गई और इसकी जगह उन्हें बिजली विभाग का प्रभार सौंप दिया गया, लेकिन कैप्टन अमरिंदर के उक्त फैसले से नाराज सिद्धू ने करीब 15 दिन तक मंत्रालय में कार्यभार नहीं संभाला। कैप्टन के इस कदम को सिद्धू के पर कतरने के रूप में देखा गया।
हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच तनातनी नयी बात नहीं है। सिद्धू शुरू से ही मख्यमंत्री अमरिंदर को अपना कैप्टन मानने से इंकार करते रहे हैं। वह कई मौकों पर अमरिंदर सिंह के निर्देशों का नाफरमानी कर चुके हैं। सिद्धू के इस रवैये पर पंजाब कैबिनेट के कई मंत्री अपनी नाराजगी जाहिर करने के साथ ही उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग कर चुके हैं।
पंजाब कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि सिद्धू पार्टी हाईकमान से अपनी नजदीकियों का गलत फायदा उठाते हैं। यही वजह थी कि जल्द ही सिद्धू पंजाब कैबिनेट से बाहर होना पड़ गया। इसके पीछे कारण पाकिस्तान यात्रा से पहले सिद्धू की कैप्टन अमरिंदर को बौना साबित करने की कोशिश और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की ताजपोशी में शामिल होने पहुंचे सिद्धू और जनरल बाजवा का आपस में गले मिलना प्रमुख हैं।
पंजाब कैबिनेट से नवजोत सिंह सिद्धू की रूखसती के बाद लगा कि कांग्रेस हाईकमान कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू को रणनीति के तहत हटाया गया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा था कि पंजाब कैबिनेट से हटाकर सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान पंजाब प्रदेश संगठन में भेज सकती है, लेकन यह भी दूर की कौड़ी साबित हुई। फिर अटकले जताई गईं कि सिद्धू का पार्टी दिल्ली संगठन में बुला सकती है, लेकिन अभी तक 10 जनपथ की ओर से सिद्धू के लिए ऐसा कोई सिग्नल नहीं दिया गया है।
कांग्रेस ने राष्ट्रवाद की उफान वाली राजनीति के बीच संभवतः सिद्धू को नेपथ्य में ही रखना चाहती थी, क्योंकि पाकिस्तान यात्रा में सिद्धू की हरकतों पर कांग्रेस जनता को जवाब पहले ही नहीं दे पा रही थी। यही कारण था कि सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने पार्टी से किनारा कर लिया।
सि्दधू की पत्नी का आरोप था कि कोई सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह को आपस में लड़ा रहा है। हालांकि सच्चाई यह थी कि कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह नहीं बल्कि सिद्धू के बड़बोलेपन और पाकिस्तान यात्री के दौरान उनके द्वारा की गई हरकतों और बयानों के चलते कांग्रेस में सिद्धू का यह हाल हुआ है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी की ओर कोई तव्ज्जो नहीं मिलता देख जल्द ही नवजोत सिंह सिद्धू पत्नी नवजोत कौर सिद्धू की तरह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ देंगे और फिर अपनी एक नई पार्टी की गठन की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि अभी मौजू सवाल यह है कि सिद्धू करतारपुर कॉरीडोर की ओपनिंग समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के बुलावे पर क्या कदम उठाते हैं। ऐसी संभावना है कि सिद्धू इस बार पाकिस्तान प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर चुप्पी साध सकते हैं और कांग्रेस की ओर जारी बयान का इंतजार कर सकते हैं।
Pakistan Tehreek-e-Insaf: Pakistan has decided to send invitation to Navjot Singh Sidhu for #KartarpurCorridor opening ceremony. Senator Faisal Javed Khan had a telephonic conversation with Navjot Singh Sidhu on the direction of PM Imran Khan & invited him to Pakistan on 9 Nov. pic.twitter.com/QXTaBWAFFQ
— ANI (@ANI) October 30, 2019
करतापुर कॉरीडोर के ओपनिंग समारोह में शामिल होने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल करतारपुर साहिब जाएगा। इस कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, आशा कुमारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, दीपेंदर हुड्डा और जितिन प्रसाद भी शामिल हैं।
हालांकि पंजाब में डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के करतारपुर दरबार साहिब तक के बहुप्रतीक्षित गलियारे का उद्घाटन 9 नवंबर को भारत की तरफ प्रधानमंत्री मोदी करेंगे, जिसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान यात्रा के लिए रवाना होंगे।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने सिद्धू को बतौर मेहमान करतारपुर कॉरीडोर के उद्घाटन समारोह में बुलाने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रि किया था, लेकिन मनमोहन सिंह ने इनकार करते हुए कहा था कि वह आम श्रद्धालु की तरह दरबार साहिब जाएंगे, जिसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने नवजोत सिंह सिद्धू को करतापुर कॉरीडोर उद्घाटन समारोह में बतौर मेहमान आमंत्रित किया। पाकिस्तानी सांसद फैसल जावेद खान ने पीएम इमरान खान के निर्देश पर नवजोत सिंह सिद्धू के साथ फोन पर बातचीत की और उन्हें 9 नवंबर को पाकिस्तान बुलाया है।
गौरतलब है 12 नवंबर को गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान में 4 किलोमीटर अंदर स्थित करतारपुर तक है, जिसका दर्शन पहले भारत के लोग भारतीय सीमा से दूरबीन की सहायता से ही किया करते थे, लेकिन अब इस गलियारे में आ रही मुख्य कानूनी बाधाओं को भी दूर कर लिया गया है। लंबे समय से सिखों की मांग थी कि इस कॉरिडोर को खोल दिया जाए और लंबे इंतजार के बाद आखिर कॉरिडोर को खोलने के लिए समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
आपको बता दें कि भारत ने करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते करतारपुर साहिब जाने वाले 575 श्रद्धालुओं की सूची पाकिस्तान के साथ साझा कर दी है, लेकिन उक्त सूची में नवजोत सिंह सिद्धू का नाम नहीं है। पाकिस्तान को सौंपी गई सूची में शामिल सभी श्रद्धालु 9 नवंबर को करतारपुर साहिब जाने वाले जत्था का हिस्सा होंगे।
इस जत्थे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, हरसिमरत कौर बादल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा कांग्रेस का प्रतिनिधि मंडल शामिल हैं। सिद्धू के करतारपुर कॉरीडोर उद्घाटन समारोह में नहीं जाने के पीछे एक बड़ा कारण पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हैं, जिनके कैबिनेट से उन्हें धक्के मारकर बाहर कर दिया गया था।
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