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#Badtouch : मुझे गलत तरीके से छूने वाला मेरा पड़ोसी ही था

  • अपने आसपास के लोग जब गलत तरीके से छूते हैं तो तकलीफ़ अधिक होती है.
  • मैं तब शायद 6 की साल थी, जब पहली बार मुझे किसी लड़के ने ग़लत तरीके से छुआ
  • उससे पहले तक मुझे औरत या मर्द के स्पर्श का अंतर नहीं मालूम था.

By ऋषिजा सिंह - बीबीसी हिंदी के लिए
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मैं तब शायद 6 की साल थी, जब पहली बार मुझे किसी लड़के ने ग़लत तरीके से छुआ. उससे पहले तक मुझे औरत या मर्द के स्पर्श का अंतर नहीं मालूम था. इतनी पुरानी बात मुझे याद है, यह सोचकर शायद आपको अजीब लग रहा होगा, लेकिन मैं आपको बता सकती हूं कि जिसके साथ भी ऐसा होता हैं, बदकिस्मती से उसे सब कुछ याद रह जाता है.

तब मैं नहीं जानती थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है. लेकिन मैं इतना जानती हूं कि मुझे वो सब खराब लगा था. लगा जैसे मेरे साथ ज़बरदस्ती की गई है. वो मेरे पड़ोस में रहता था और मैं उसे 'भाईजी' कहा करती थी. जहां तक मुझे याद है, वो छठी या सातवीं क्लास में पढ़ता था.

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एक सुबह मैं खेल रही थी, जब उसने मुझे गोद में उठा लिया और अपने हाथ मेरे अंडरवियर में डाल दिया. पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन जल्द ही मुझे अहसास हुआ कि ऐसा ग़लती से नहीं हुआ था, उसने जान बूझकर किया था.

मैंने उससे कहा कि मुझे नहीं खेलना है और मैं अपने घर भाग गई. मुझे अपने अंदर कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था. उसी दोपहर को वो मेरे घर लंच पर आया. घर में जब भी कुछ खास बनता तो उसे खाने पर बुलाया जाता था.

महिलाएं (फाइल फोटो)
Getty Images
महिलाएं (फाइल फोटो)

मैंने भरपूर कोशिश की कि उसकी ओर न देखूं और उससे बात न करूं. लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने कुछ चुराया है और ऐसा कोई सीक्रेट है जो सिर्फ़ मुझे और उसे पता है.

कोई ऐसा गंदा सीक्रेट जो मैं अपनी मां या घर में किसी और से नहीं बता सकती थी. ख़ुशकिस्मती से कुछ समय बाद मेरा परिवार दूसरी जगह शिफ्ट हो गया और हम कभी नहीं मिले.

हालांकि काफी दिनों तक मुझे ऐसा महसूस होता रहा जैसे वो मुझे छू रहा हो. मुझे अच्छी तरह से याद है कि उस वाकये को याद करके मैं कैसे शर्म और आत्मग्लानि से भर जाया करती थी.

मैंने उसके बारे में सोचना तो बंद कर दिया था लेकिन जब भी कोई पुरुष मुझे घूरता या जान बूझकर मेरे पास आने की कोशिश करता तो फिर मेरा मन वैसी ही अजीब दहशत से भर जाता था.

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महिलाएं (फाइल फोटो)
Getty Images
महिलाएं (फाइल फोटो)

दूसरी घटना तब हुई जब मैं 10वीं में पढ़ती थी. मैं स्कूल जा रही थी. रास्ते में एक आदमी ने बड़ी ही ढिठाई से मेरे पास आकर मुझे छुआ और ऐसे चलते बना जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. मैं उस पर चिल्लाई लेकिन वो अपने 4-5 दोस्तों के साथ बड़े आराम से निकल गया. मैं बुरी तरह रोने लगी थी.

इस घटना के बाद मैं एक हफ़्ते तक स्कूल नहीं गई. बाद में जब दोबारा स्कूल गई तो उस रास्ते से नहीं गई, दूसरे रास्ते से साइकिल लेकर जाने जाने लगी. इस बारे में किसी को बता पाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाई.

एक बार मैंने अपने एक दोस्त को इस बारे में बताया तो उसने कहा, "तुम कौन सी प्रीति जिंटा दिखती हो?'' उसका यह बेवकूफाना जवाब मुझे चुप करने के लिए काफ़ी था. बाद में मैंने दूसरी लड़कियों से ये बातें बताईं तो पता चला उन्होंने भी ऐसे अनुभवों का सामना करना पड़ा था.

इस बारे में सार्वजनिक मंच पर खुलकर बोलने में मुझे थोड़ी हिम्मत की ज़रूरत महसूस हुई. मैंने जान बूझकर अपना नाम न छिपाने का फैसला किया. मुझे उम्मीद है कि इससे औरों को भी खुलकर बोलने की हिम्मत मिलेगी. बिना किसी शर्म या गिल्ट के.

हमें अपने बच्चों को भी यही सिखाना है कि हमें चुप नहीं रहना है.

BBC Hindi
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English summary
My neighbour was the one who touched me wrongly
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