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Maritime security: समुद्री सुरक्षा के लिए NMSC की होगी नियुक्ति, जानिए क्यों पड़ी जरूरत

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नई दिल्ली, 13 जुलाई: भारत बहुत जल्द नेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति कर सकता है। इस पद को गठित करने की मांग कारगिल युद्ध के बाद से ही हो रही है और 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद इसकी बहुत ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही थी। लेकिन, जिस तरह से समुद्र व्यापार की ओर भारत समेत दुनिया का ध्यान गया है, समुद्र की सुरक्षा की आवश्यकता, देश की सुरक्षा के लिए बहुत ज्यादा बढ़ गई। यह एक ऐसा अधिकारी होगा, जो समंदर की सुरक्षा में लगी तमाम तरह की एजेंसियों में तालमेल बिठाएगा, ताकि किसी तरह के कंफ्यूजन की गुंजाइश ना रह जाए।

समुद्री सुरक्षा के लिए भारत का बड़ा कदम

समुद्री सुरक्षा के लिए भारत का बड़ा कदम

नरेंद्र मोदी सरकार कारगिल ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के सुझावों के करीब दो दशकों बाद नेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति करने की तैयारी कर चुकी है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएमएससी समंदर में सिविलियन और मिलिट्री गतिविधियों में तालमेल बिठाने का काम करेगा, ताकि देश की समुद्री सुरक्षा को और चौकस किया जा सके। मैरीटाइम सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर समुद्री सुरक्षा के मसले में सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सरकार के प्रिंसिपल एडवाइजर के मातहत अपनी जिम्मेदारियों को निभाएगा। उम्मीद है कि मैरीटाइम सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति से नेवी, कोस्ट गार्ड और स्टेट मैरीटाइम बोर्ड के बीच तालमेल बिठाना ज्यादा आसान होगा।

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क्यों पड़ी एनएमएससी नियुक्ति की जरूरत

क्यों पड़ी एनएमएससी नियुक्ति की जरूरत

सरकारी सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने इस पद के लिए कैबिनेट की मंजूरी मांगी है और मुमकिन है कि इस पद पर इंडियन नेवी के मौजूदा या हाल ही में रिटायर हुए वाइस एडमिरल स्तर के अधिकारी की तैनाती की जा सकती है। इस पद की आवश्यकता वर्षों से महसूस की जा रही है, लेकिन अबतक इसपर अमल नहीं हो पाया है। खासकर 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए पाकिस्तान से आए लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकियों के हमले के बाद तो इसकी आवश्यकता बहुत ज्यादा महसूस की जाने लगी थी। क्योंकि, मुंबई को दहलाने वाले पाकिस्तानियों ने समंदर का रास्ता चुना था। उम्मीद है कि इस अधिकारी की नियुक्ति से समंदर में क्षेत्राधिकार को लेकर विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच की गफलत खत्म हो जाएगी।

भारत का 70 फीसदी व्यापार समंदर के जरिए होता है

भारत का 70 फीसदी व्यापार समंदर के जरिए होता है

भारत की समुद्र तट की लंबाई 7,000 किलोमीटर से ज्यादा है और इसके पास 20 लाख किलोमीटर एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन है। यही नहीं देश का 70 फीसदी व्यापार समंदर के जरिए ही होता है, जिसमें क्रूड ऑयल सबसे अहम है। इसलिए समंदर की सुरक्षा को भारत नजरअंदाज नहीं कर सकता। बीते 16 जून को ही मोदी सरकार ने ब्लू वॉटर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए डीप ओशन मिशन को मंजूरी दी है। यानी समुद्र की सुरक्षा अब भारत के लिए बहुत ज्यादा अहम है और इसके मद्देनजर नेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर जैसे अधिकारी की नियुक्ति समय की मांग मानी जा रही है।

हिंद महासागर में घुसपैठ की कोशिश में लगा है ड्रैगन

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भारत में 9 तटीय राज्य हैं और 4 केंद्र शासित प्रदेशों की सीमाएं भी समंदर में खुलती हैं। लेकिन, इनका मानना है कि समुद्र और तटीय सीमाओं की रक्षा पूरी तरह से केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसी स्थिति में अगर समंदर पर नजर रखने वाली सभी एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाने के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी होगा तो सबके लिए राहत की बात होगी। भारत के लिए इसपर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है कि चीन पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार के जरिए हिंद महासागर में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है। वह अफ्रीका तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है, जिसकी किसी भी कीमत पर भारत अनदेखी नहीं कर सकता।

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मोदी सरकार की नीतियों के मुताबिक कदम

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माना जा रहा है कि नेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर का पद गठित करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई महत्वाकांक्षी नीतियां हैं, जिसमें ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी,सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ ऑफ ऑल इन द रीजन), डीप ओशन मिशन और सागरमाला जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं, जिसके तहत देश में 12 वर्ल्ड क्लास बंदरदगाह बनाए जाने हैं।(तस्वीरें- फाइल)

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English summary
Maritime security: Preparations to appoint National Maritime Security Coordinator, Modi government is going to take steps
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