ISRO SSLV लॉन्च: अंतरिक्ष में पहुंचे सैटेलाइट गलत ऑर्बिट में स्थापित, अब नहीं हो सकेगा इस्तेमाल
नई दिल्ली, 7 अगस्त: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को देश के नए रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) को लॉन्च किया, जो विफल रहा। ये रॉकेट अपने निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया और उसमें सवार दो सैटेलाइट अस्थिर कक्षा में स्थापित हो गए। इसका मतलब है कि वो अब इस्तेमाल करने योग्य नहीं हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने डेटा के विश्लेषण के बाद ये जानकारी साझा की है।
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इसरो के मुताबिक ये लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से हुई थी और इसके सारे चरण सामान्य रहे, लेकिन जिस ऑर्बिट में इसको स्थापित होना था, ये वहां तक नहीं पहुंच पाया। ऐसे में इसके जरिए भेजे गए सैटेलाइट अब इस्तेमाल योग्य नहीं रह गए हैं। उनकी टीम ने समस्या की पहचान कर ली है। एक समिति इसका विश्लेषण करेगी और उस खामी को दूर किया जाएगा। इसरो ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम नए बदलाव करके जल्द ही SSLV-D2 लॉन्च करेंगे।
वहीं दूसरी ओर इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने SSLV के प्रदर्शन को अच्छा बताया है। उन्होंने कहा कि जब ये मिशन टर्मिनल फेस में था, तो हमको कंट्रोल सेंटर को डेटा मिलना बंद हो गया। बाद में उन्होंने सभी चीजों का विश्लेषण किया और पता चला कि ये निर्धारित कक्षा में नहीं पहुंच पाया। इसको 356 किमी की वृत्ताकार कक्षा में सैटेलाइट को छोड़ना था, लेकिन वो 356 x 76 किमी की अण्डाकार कक्षा में उसे स्थापित कर आया। इस वजह से वो काम नहीं कर रहे हैं।
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क्या
हैं
इसके
फायदे?
आपको
बता
दें
कि
SSLV
सस्ता
और
कम
समय
में
तैयार
होने
वाला
है।
इसकी
ऊंचाई
34
मीटर
और
व्यास
2
मीटर
है।
एसएसएलवी
4
स्टेज
रॉकेट
है।
पहले
3
स्टेज
में
ठोस
ईंधन
उपयोग
होगा,
जबकि
चौथी
स्टेज
में
लिक्विड
प्रोपल्शन
आधारित
वेलोसिटी
ट्रिमिंग
मॉड्यूल
है
जो
उपग्रहों
को
परिक्रमा
पथ
पर
पहुंचाने
में
मदद
करेगा।