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देश में पहली बार ड्रोन से दवाओं की डिलीवरी

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Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 01 दिसंबर। पूर्वोत्तर मे बसा मेघालय देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां ड्रोन के जरिए दवाओं की डिलीवरी शुरू हुई है. पूर्वोत्तर और देश के दुर्गम इलाकों में यह पहल बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. देश के कई दूर-दराज इलाके ऐसे हैं जहां स्वास्थ्य केंद्र तक समय पर दवाइयां नहीं पहुंच पाती हैं.

जिस ड्रोन के जरिए दवाओं को दुर्गम इलाके में भेजा गया उसे गुरुग्राम स्थित एक कंपनी ने ही बनाया है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुई इस योजना के कामयाब रहने के बाद अब राज्य और देश के दूसरे हिस्सों में भी इसे लागू करने पर विचार किया जा रहा है.

पहली बार ड्रोन से डिलीवरी

मेघालय के पश्चिमी खासी हिल्स जिले में पहली बार एक ड्रोन ने शुक्रवार को 25 मिनट में 25 किलोमीटर की दूरी तय कर नोंगस्टोइन से मावेत स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक जीवनरक्षक दवाओं की सफलतापूर्वक डिलीवरी कर इतिहास रच दिया. मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने कहा कि देश में पहली बार दवाएं ड्रोन के जरिए पहुंचाई गई हैं.

तस्वीरेंः उड़ने वाली बाइक

उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, "आज हमने मेघालय में नोंगस्टोइन से मावेत स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ई-वीटीओएल ड्रोन के माध्यम से दवाओं की आपूर्ति की. अपनी तरह के इस पहले कार्यक्रम में ड्रोन ने 25 मिनट से भी कम समय में 25 किलोमीटर की दूरी तय की. यह भारत में अपनी तरह की पहली योजना है." उनका कहना है कि यह अनूठी परियोजना दुर्गम क्षेत्र में दवाओं की आपूर्ति को सुगम बनाएगी.

जिस ड्रोन का इस काम के लिए इस्तेमाल किया गया उसे गुरुग्राम की टेक ईगल कंपनी ने बनाया है. उसके साथ इस परियोजना में मेघालय सरकार और स्मार्ट विलेज मूवमेंट (एसवीएम) भी साझीदार हैं. इस परियोजना का मकसद दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए हेल्थकेयर सप्लाई चेन की तस्वीर बदलना है.

नई उम्मीद

मुख्यमंत्री संगमा कहते हैं, "ड्रोन तकनीक स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को बदल सकती है. यह स्वास्थ्य सेवा सप्लाई चेन की मदद से दुर्गम आबादी तक पहुंचने में मदद करेगी." मुख्यमंत्री के मुताबिक डिलीवरी के लिए एक ई-वीटीओएल (वर्चुअल टेक ऑफ एंड लैंडिंग) ड्रोन (Aquila X2) का इस्तेमाल किया गया था.

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दवाओं की डिलीवरी के लिए एक ड्रोन की तैनाती पायलट आधार पर की गई थी. अब हम इस परियोजना को बड़े पैमाने पर लागू करने पर विचार कर रहे हैं.

पूर्वोत्तर में ज्यादातर इलाके बेहद दुर्गम हैं. खासकर मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में तो कई इलाके ऐसे हैं जहां जाने के लिए कई दिनों तक पैदल चलना पड़ता है. इन इलाकों में आपात स्थिति में जीवन रक्षक दवाएं पहुंचाना अब तक चुनौतीपूर्ण रहा है. इसके लिए हेलीकॉप्टर सेवा पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन मौसम प्रतिकूल होने की स्थिति में यह सेवा भी ठप रहती थी. अब मेघालय में उक्त पायलट परियोजना की कामयाबी ने इन इलाकों के लोगों में उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. धीरेन महंत कहते हैं, "पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह परियोजना किसी वरदान से कम नहीं है. आपात स्थिति में जीवनरक्षक दवाओं की फौरन डिलीवरी कर इससे लोगों की जान बचाने में काफी मदद मिलेगी."

Source: DW

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English summary
drone used to supply medicines in northeast
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