Ambikapur मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं मिला वाहन, ऑटो से शव लेकर घर पहुंचा बेटा, शर्मशार हुई मानवता
Chhattisgarh के सरगुजा जिले में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर वाहन चालकों की लापरवाही इंसानियत शर्मसार हुई है। अस्पताल में एक बेटा अपने पिता के शव के पास 5 घंटे बैठा रहा। लेकिन उसे मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पिता के शव को घर ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं करा सका। जिसके कारण यहां एक बेटे को अपने पिता का शव किराए के ऑटो में लेकर जाना पड़ा। इस घटना से आप मेडिकल कॉलेज अस्पताल की अव्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं।
3
दिनों
से
अस्पताल
में
भर्ती
था
दुर्योधन
सिंह
दरअसल
अम्बिकापुर
क्षेत्र
के
सरगवां
निवासी
50
वर्षीय
दुर्योधन
सिंह
गम्भीर
अवस्था
में
3
दिनों
से
मेडिकल
कॉलेज
अस्पताल
में
भर्ती
कराया
गया
था।
जहां
सोमवार
को
बाथरूम
में
गिर
पड़े
और
तबियत
ज्यादा
बिगड़
गई।
गिरने
के
कारण
देर
रात
11
बजे
पिता
की
मौत
हो
गई।
इसके
बाद
पुत्र
अनुराग
सिंह
ने
पिता
के
शव
को
घर
ले
जाने
के
लिए
1099
पर
कॉल
किया।
लेकिन
पूरी
रात
बीत
जाने
के
बाद
भी
उसे
मुक्तांजली
वाहन
उपलब्ध
नहीं
हो
सका।
Ambikapur
की
महिला
ऑटो
चालक
गीता
ने
बनाई
मेडिकल
कॉलेज
प्रबन्धन
ने
दिए
जांच
के
निर्देश
इस
घटना
ने
एक
बार
फिर
मेडिकल
कॉलेज
अस्पताल
में
स्वास्थ्य
सुविधाओं
की
पोल
खोलकर
रख
दी
है।
हालांकि
मामला
उजागर
होने
के
बाद
मेडिकल
कॉलेज
अस्पताल
प्रबंधन
जांच
कराने
की
बात
कह
रहा
है।
जबकि
वहां
कर्मचारी
ने
शव
वाहन
देने
का
आश्वासन
तो
दिया,
लेकिन
पूरी
रात
गुजर
गई,
मुक्तांजलि
वाहन
मुहैया
नहीं
कराया
गया।
अब
ऐसे
में
प्रबंधन
किस
पर
कार्रवाई
करेगा।
किराए
के
ऑटो
से
शव
लेकर
घर
ले
गया
पुत्र
मंगलवार
सुबह
निजी
एम्बुलेंस
चालक
सक्रिय
हो
गए
और
परिजनों
से
सम्पर्क
करने
लगे।लेकिन
जब
मुक्तांजली
वाहन
नहीं
पहुंचा
तो
बेटे
ने
किराए
का
ऑटो
किया
और
शव
को
घर
पहुंचा।
इधर
अस्पताल
अधीक्षक
डॉ
लखन
सिंह
ने
कहा
कि
मृतक
के
परिजनों
को
शव
वाहन
नहीं
मिलने
की
शिकायत
मिली
है,
जांच
कराकर
दोषियों
के
खिलाफ
कार्रवाई
की
जाएगी।
जिले
में
आबादी
के
अनुसार
कुल
12
वाहनों
की
जरूरत
मुक्तांजलि
के
नोडल
अधिकारी
शैलेन्द्र
महंत
का
कहना
है
कि
सरगुजा
जिले
में
कुल
6
शव
वाहन
हैं,
जिसमें
मेडिकल
कॉलेज
अस्पताल
में
3
जबकि
3
अन्य
ब्लॉक
एक
एक
वाहन
हैं।
मेडिकल
कॉलेज
अस्पताल
में
हर
दिन
पूरे
संभाग
से
इलाज
कराने
के
लिए
लोग
आते
हैं,
ऐसे
में
किसी
मरीज
की
मौत
होने
पर
लोगों
को
समय
पर
शव
वाहन
नहीं
मिल
पाता
है।
मेडिकल
कॉलेज
अस्पताल
में
कम
से
कम
6
शव
वाहनों
की
और
जरूरत
है।