स्पर्म व्हेल की उल्टी की क़ीमत करोड़ों में क्यों होती है?
चीन में एम्बेग्रेस का इस्तेमाल यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां बनाने में होता है, जबकि अरब देशों में इससे आला दर्जे का इत्र (परफ्यूम) तैयार किया जाता है.
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी जानवर की उल्टियां सोने से भी क़ीमती हो सकती हैं? यह एक करोड़ रुपये प्रति किलो के हिसाब से भी बिक सकती है?
जी हाँ, ऐसा हो सकता है अगर यह उल्टी स्पर्म व्हेल की हो. अहमदाबाद की पुलिस ने हाल में स्पर्म व्हेल की साढ़े पाँच किलो उल्टी (एम्बेग्रेस) के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी अनुमानित क़ीमत लगभग सात करोड़ रुपये है.
पुलिस और वन विभाग को उम्मीद है कि तीनों गिरफ्तार अभियुक्तों की जानकारी के आधार पर गुजरात में समुद्री जीवों और उनके अंगों के अवैध कारोबार के बारे में और जानकारी सामने आ सकेगी.
गुजरात में इस मामले के सामने आने से पहले मुंबई और चेन्नई में बड़ी मात्रा में एम्बेग्रेस बरामद हुआ था. वहीं से पता चला कि इस धंधे में गुजरात के भी कुछ लोग शामिल हैं.
चीन में एम्बेग्रेस का इस्तेमाल यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां बनाने में होता है, जबकि अरब देशों में इससे आला दर्जे का इत्र (परफ्यूम) तैयार किया जाता है.
स्पर्म व्हेल और एम्बेग्रेस
जब स्पर्म व्हेल किसी कटलफ़िश, ऑक्टोपस और या किसी दूसरे समुद्र जीव को खाती है तो इसके पाचनतंत्र से एक ख़ास तरह का स्राव होता है ताकि शिकार के नुकीले अंग और दांत उसके शरीर को नुक़सान न पहुंचा सके.
इसके बाद स्पर्म व्हेल इस अवांछित स्राव को उल्टी के ज़रिये अपने शरीर से निकाल देती है. कुछ रिसर्चरों को मुताबिक़ स्पर्म व्हेल मल के ज़रिये भी एम्बेग्रेस को निकालती है. यही वजह है कि इसके मल में व्हेल के शिकार के नुकीले अंग भी मिल जाते हैं. व्हेल के शरीर से निकलने वाला यह स्राव समुद्र के पानी में तैरता है.
सूरज की रोशनी और समुद्र का खारा मिलने के बाद एम्बेग्रेस बनता है. सुगंधित चीज़ें बनाने के लिए एम्बेग्रेस काफ़ी उपयोगी होता है.
एम्बेग्रेस काले, सफ़ेद और धूसर रंग का तैलीय पदार्थ होता है. यह अंडाकार या गोल होता है. समुद्र में तैरते रहने के दौरान यह इस तरह का आकार ले लेता है. यह ज्वलनशील पदार्थ है. इसके इस्तेमाल के लिए अल्कोहल या ईथर की ज़रूरत होती है.
स्पर्म व्हेल इस दुनिया में दांतों वाला सबसे बड़ा जीव है. छोटी 'पिग्मी स्पर्म व्हेल' और बेहद छोटी 'बौनी स्पर्म व्हेल' भी होती हैं. माना जाता है कि स्पर्म व्हेल के सिर पर एक ऐसा अंग होता है, जिसे स्पर्मेसेटी कहते हैं. इसमें तेल भरा होता है.
यह भी माना जाता है कि यह व्हेल का वीर्य या स्पर्म होता है. इसलिए इस व्हेल को 'स्पर्म व्हेल' कहते हैं. यह अंग ध्वनि संकेतों पर ध्यान केंद्रित करता है जो समुद्र में उछाल के दौरान व्हेल की मदद करता है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक़ शुरुआत में एम्बेग्रेस की गंध अच्छी नहीं होती लेकिन जैसे-जैसे इसका हवा से संपर्क बढ़ता है इसकी गंध मीठी होती जाती है. एम्बेग्रेस परफ्यूम की सुगंध को हवा में उड़ने से रोकता है. एक तरह से यह स्टेबलाइज़र का काम करता है ताकि गंध हवा में उड़ कर विलीन न हो जाए.
एम्बेग्रेस दुर्लभ है और इसीलिए इसकी क़ीमत भी बेहद ऊंची होती है. इसे समुद्र का सोना या तैरता हुआ सोना भी कहते हैं. इसकी क़ीमत सोने से भी अधिक होती है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इसकी क़ीमत डेढ़ करोड़ रुपये प्रति किलो तक हो सकती है.
जामनगर मरीन नेशनल पार्क के चीफ़ कन्ज़र्वेशन ऑफ़िसर डी टी वासवदा कहते हैं, "वन्यजीव संरक्षण क़ानून के प्रावधानों के तहत स्पर्म व्हेल संरक्षित जीव है. लिहाजा इसका शिकार या व्यापार करना अपराध है. इसके क़ानूनी कारोबार के लिए लाइसेंस की ज़रूरत होती है. हाल में पकड़ी गई एम्बेग्रेस की खेप कहां से आई थी, यह पता नहीं लेकिन अरब देशों में इसकी काफ़ी मांग रहती है. अरब देशों में लोग इसकी ऊंची से ऊंची क़ीमत अदा करने के लिए तैयार रहते हैं."
हड्डियों, तेल और एम्बेग्रेस के लिए व्हेल का बड़े पैमाने पर शिकार होता है. यही वजह है कि 1970 से ही यूरोप, अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में इसका कारोबार प्रतिबंधित है.
गुजरात में 1,600 किलोमीटर लंबा समुद्र तट है. यह देश का सबसे लंबा समुद्री तट है. यही वजह है कि समुद्री जीवों और उनके अंगों का अवैध कारोबार करने वाले इन समुद्र तटीय इलाकों में सक्रिय हैं. गुजरात के अलावा एम्बेग्रेस कभी-कभार ओडिशा और केरल के समुद्री तटों पर भी मिल जाता है.
भारत के वन संरक्षण क़ानून के तहत 1986 से ही स्पर्म व्हेल एक संरक्षित जीव है. लिहाजा स्पर्म व्हेल और इसके अंगों का कारोबार ग़ैर-क़ानूनी है.
कामोत्तेजक दवा में होता है इस्तेमाल
एम्बेग्रेस सदियों से न सिर्फ़ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में परफ्यूम और दवाओं के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है. दुनिया के कई देशों की यात्रा करने वाले इब्न बतूता और मार्को पोलो ने भी अपने यात्रा वृतांतों में एम्बेग्रेस का ज़िक्र किया है. आयुर्वेद के अलावा यूनानी दवाओं में भी एम्बेग्रेस का इस्तेमाल होता है.
लखनऊ स्थित इंटिग्रल यूनिवर्सिटी में औषधि विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर बदरुद्दीन ने बीबीसी को बताया, "यूनानी दवाओं में एम्बेग्रेस का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है. कई जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर इसका इस्तेमाल शारीरिक, मानसिक और स्नायु और यौन रोगों के इलाज में होता है. "
वह कहते हैं, "एम्बेग्रेस चीनी की चाशनी और दूसरी जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. इससे बनी दवा को 'माजुन मुमसिक मुक्कावी' कहा जाता है. यौन क्षमता घटने पर, इसका पेस्ट बना कर दवा के तौर पर दिया जाता है. यह यौन क्षमता बढ़ाता है. इसके अलावा 'हब्बे निशात' दवा में भी इसका इस्तेमाल होता है. यह कई मान्यता प्राप्त फ़ार्मेसियों के अलावा ऑनलाइन मेडिकल स्टोर्स में भी उपलब्ध है.
डीटी वासवदा कहते हैं, "माना जाता है कि एम्बेग्रेस यौन उत्तेजना बढ़ाता है लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक या ठोस प्रमाण नहीं है."
डॉ. बदरुद्दीन और उनके सहकर्मियों ने नर्वस सिस्टम पर एम्बेग्रेस के असर पर एक रिसर्च पेपर तैयार किया है. यह जल्द ही प्रकाशित होगा.
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अहमदाबाद में एम्बेग्रेस की खेप
अहमदाबाद ज़ोन-7 के डीसीपी प्रेमसुख देलू के मुताबिक़, "ऐसी खबरें थीं कि कुछ लोग एम्बेग्रेस की खेप लेकर अहमदाबाद आ रहे हैं. इसका पता चलते ही हमने अपना जाल फैलाया और ये लोग उसमें फंस गए. हमें पक्के तौर पर यह पता नहीं था कि जो लोग एम्बेग्रेस लेकर आए हैं वे वास्तव में इसका कारोबार कर रहे हैं या इसके नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं."
उन्होंने कहा, "इस मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है. फ़ोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री ने जब्त सामग्री की शुरुआती जांच में पाया कि यह एम्बेग्रेस ही है. इसके आधार पर वन्यजीव संरक्षण क़ानून, 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
देलू के मुताबिक़ चौथा शख़्स इन तीन आरोपियों से पूछताछ के दौरान प्राप्त जानकारी के आधार पर गिरफ्तार किया गया. पुलिस को सूचना मिली थी कि इन लोगों के सहयोगी भी गुजरात में सक्रिय हैं. शुक्रवार को यह केस वन विभाग को सौंप दिया गया. अब वन विभाग और पुलिस मिल कर इस नेटवर्क को ख़त्म करने का काम कर रही है.
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देलू ने बताया कि जब्त सामग्री का वजन पाँच किलो साढ़े तीन सौ ग्राम था. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी अनुमानित क़ीमत सात करोड़ होगी. फ़ॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री औपचारिक और विस्तृत रिपोर्ट देकर बताएगी कि जब्त सामग्री एम्बेग्रेस ही है. यह रिपोर्ट सबूत के तौर पर पेश की जाएगी.
पुलिस को शक़ है कि इस एम्बेग्रेस का धंधा करने वाले रैकेट में दस से ज्यादा लोग शामिल हैं. उसने इस सिलसिले में जूनागढ़ से दो और भावनगर और उदयपुर (राजस्थान) से एक-एक शख़्स को गिरफ्तार किया है.
सौराष्ट्र में समुद्री जीवों के संरक्षण से जुड़े लोगों के मुताबिक़ व्हेल के उल्टी करने के बाद उसके शरीर से निकले एम्बेग्रेस को समुद्र तट तक पहुंचने में महीनों या वर्षों का समय लग जाता है.
उनका कहना है, "एम्बेग्रेस इस दौरान सैकड़ों-हजारों किलोमीटर की यात्रा करता है. समुद्र में आने वाला तूफान भी इसे खींच कर तट की ओर ले जाता है. एम्बेग्रेस जितना पुराना और बड़ा होगा, उसकी क़ीमत भी उतनी ही ज़्यादा होगी. कुत्ते एम्बेग्रेस की सुगंध की ओर आकर्षित होते हैं. इसलिए गुजरात के तटीय इलाकों में इसका कारोबार करने वाले लोग इस काम के लिए ख़ास तौर पर प्रशिक्षित कुत्तों को रखते हैं. "
यहां से मिले एम्बेग्रेस अहमदाबाद या मुंबई पहुंचाया जाता है. फिर यह बिचौलियों के ज़रिये खाड़ी देशों में पहुँचता है और वहां से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में. कभी-कभी समुद्र में मछली पकड़ने वाले मछुआरों को भी एम्बेग्रेस मिल जाता है.
समुद्री जीव के संरक्षण में लगे लोगों का कहना है, "चूंकि एम्बेग्रेस का इस्तेमाल इत्र के साथ यौन उत्तेजना और क्षमता बढ़ाने की दवा में होता है इसलिए खाड़ी देशों के अमीर लोगों के बीच इसकी बड़ी मांग है. फ्रांस में भी इसकी काफ़ी मांग है. चूंकि अब इसका सिंथेटिक विकल्प अम्बरोक्सन और अम्ब्रीन के तौर पर भी उपलब्ध है, इसलिए परफ्यूम के लिए एम्बेग्रेस का इस्तेमाल घटने लगा है."
चूंकि लोग नहीं जानते कि एम्बेग्रेस कैसा होता है, इसलिए इसके नाम पर ठगी भी होती है. कुछ लोग इसके नाम पर पैराफ़िन वैक्स या कोई तैलीय चीज़ बेच देते हैं. इसकी शिकायत भी नहीं हो पाती है क्योंकि यह कारोबार ग़ैर-क़ानूनी होता है".
समुद्री जीवों के संरक्षण से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कहा, "पहले एम्बेग्रेस की खेप चेन्नई और मुंबई में पकड़ी गई. इसके बाद पता चला कि गुजरात के कुछ लोग इसके अवैध कारोबार में शामिल हैं. कुछ अज्ञात वजहों से पुलिस और वन विभाग के लोग अब भी इस नेटवर्क का पर्दाफाश करने में नाकाम साबित हुए हैं. हमें उम्मीद है कि इस बार वो इसमें कामयाब होंगे."
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