यूपी के किसान अपने खून से लिखा खत भेजेंगे राष्ट्रपति को
आगरा। फिल्मों में हीरोइन को मनाने के लिए और प्रेम पथ पर लाने के लिए हीरो अक्सर अपने खून से खत लिखते नजर आते हैं। कभी-कभी ये खून भरे खत हीरोइनें भी लिखती हुई दिखाई जाती हैं। किशोर लड़के-लड़कियों के भी कुछ इस तरह के कारनामों की खबर सामान्य लगती है। लेकिन बार अगर आंदोलन की हो वो भी संसद तक में गूंजने वाले गंभीर राजनीतिक आंदोलन की सरकार को भेजा जा रहा हो खून से लिखा खत तो सुन कर अटपटा लगता है।
लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों ने बिल्कुल यही हथकंडा अपनाया है। आगरा जिले के आंदोलनकारी किसानों ने बुधवार को टाउनशिप सहित 165 किलोमीटर लंबे नोएडा-आगरा यमुना एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में अपने लहू से आवेदन लिखा। किसान अपने लहू से लिखे इस आवेदन पत्र को पुलिस एवं प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपने वाले हैं। किसान इस खून भरे खत को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी के पास भेजना चाहते हैं।
टाउनशिप के लिए कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन की संचालन समिति के सदस्य मनोज शर्मा ने बताया, "किसानों ने बलपूर्वक अधिग्रहण किए जाने के विरुद्ध अपनी गहरी वेदना और नाराजगी का इजहार करने के लिए अपने रक्त का इस्तेमाल किया।" इस बीच, किसान संघर्ष समिति ने एक्सप्रेस-वे एवं टाउनशिप विकसित करने वाले जेपी कंपनी समूह के सभी उत्पादों का बहिष्कार करने का एलान किया।
नाराज किसानों ने गत मंगलवार को कंपनी समूह की सीमेंट की बोरियों को आग के हवाले कर दिया। समिति ने प्रेस को जारी बयान में कहा, "जो कोई जेपी होटल (डेवलपर द्वारा आगरा में चलाया जा रहा होटल) में ठहरेगा, उसे यहां की बैठकों को संबोधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।" उल्लेखनीय है कि एतमादपुर तहसील के किसान मुआवजा राशि 446 रुपये से बढ़ाकर 580 रुपये प्रति वर्ग मीटर किए जाने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को पहले ही ठुकरा चुके हैं।