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Kundali: क्या आपकी पत्री में विवाह योग है?
लखनऊ। जन्मपत्री में बारह भाव होते है। इन बारह भावों के जरिये जातक के सम्पूर्ण जीवन का आकलन किया जा सकता है। जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग विवाह होता है। विवाह दो आत्माओं का मिलन होता है। विवाह के बगैर स्त्री हो या पुरूष दोनों अधूरे माने जाते है। पत्री में सप्तम भाव से वैवाहिक जीवन के बारे में विचार किया जाता है।
आइये सबसे पहले जानते है कि क्या आपकी कुण्डली में विवाह के योग है या नहीं ?

सप्तम भाव से विवाह का विचार किया जाता है। विवाह के प्रतिबन्धक योग निम्न हैं
- सप्तमेश शुभ युक्त न होकर 6/8/12 भावों में बैठा हो अथवा नीच का अस्तंगत हो तो विवाह नहीं होता है अथवा जातक विधुर हो जाता है।
- सप्तमेश 12वें भाव में हो तथा लग्नेश और जन्मराशि का स्वामी सप्तमेश में हो तो या विवाह नहीं होता है या फिर देर से होता है।
- षष्ठेश, अष्टमेश व द्वादशेश सप्तम में हो तथा ये ग्रह शुभग्रह से युत या दृष्ट न हों अथवा सप्तमेश 6/8/12वें भाव का स्वामी हो तो जातक को स्त्री सुख नहीं मिलता है।

सप्तम व द्वादश भाव में
- लग्न, सप्तम व द्वादश पापग्रह बैठे हों तथा पंचमस्य चन्द्रमा निर्बल हो तो जातक का विवाह नहीं होता है।
- सप्तम व द्वादश भाव में दो-दो पापग्रह हों तथा पंचम में चन्द्रमा हो तो जातक का विवाह नहीं होता है।
- शुक्र-बुध सप्तम में एक साथ हों तथा सप्तम पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो विवाह नहीं होता किन्तु अगर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है तो विवाह अधिक उम्र में होता है।

यदि लग्न से सप्तम भाव में केतु हो
- यदि लग्न से सप्तम भाव में केतु हो और शुक्र की दृष्टि उस पर पड़ रही हो तो स्त्री को पति का सुख नहीं मिलता और पुरूष को स्त्री का सुख नहीं मिलता।
- शुक्र-मंगल 5/7/9 भाव में हो तो भी विवाह नहीं होता है।

जल्दी विवाह नहीं होता है
- लग्न में केतु हो तो स्त्री की मृत्यु तथा सप्तम में पापग्रह ग्रहों की दृष्टि भी हो तो जातक को स्त्री सुख कम मिलता है।
- यदि शुक्र और चन्द्रमा साथ होकर किसी भी भाव में बैठे हों और शनि एवं मंगल उनसे सप्तम भाव में बैठें हो तो ऐसे जातक का जल्दी विवाह नहीं होता है।
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