TRS विधायक कविता ने बिलकिस के दोषियों के स्वागत पर बोला हमला, कहा- समाज के मुंह पर तमाचा
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के. कविता ने कहा कि जेल से छूटकर आए बलात्कारियों और हत्यारों का एक विशेष विचारधारा के लोगों की ओर से स्वागत किया जाना एक सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है। तेलंगाना विधान
हैदराबाद, 19 अगस्त: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के. कविता ने कहा कि जेल से छूटकर आए बलात्कारियों और हत्यारों का एक विशेष विचारधारा के लोगों की ओर से स्वागत किया जाना एक सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है। तेलंगाना विधान परिषद की सदस्य कविता ने ट्वीट किया कि इस अत्यंत खतरनाक परंपरा को शुरुआत में ही रोक देना जरूरी है। उन्होंने ट्वीट किया कि एक स्त्री होने के नाते मैं बिल्कीस बानो के दर्द और भय को महसूस कर सकती हूं। जेल से छूटकर आने पर बलात्कारियों और हत्यारों का जिस तरह से सम्मान किया गया, वह सभ्य समाज के मुंह पर एक तमाचा है। विरासत का रूप लेने से पहले इस बेहद खतरनाक परंपरा को रोकना जरूरी है।
कविता ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में शामिल दोषियों को रिहा करने का फैसला इस पवित्र दिन को कलंकित करता है। कविता ने ट्वीट किया कि बलात्कार और हत्या के घृणित अपराधियों को आजादी के अमृत महोत्सव पर छोड़ना इस पवित्र दिन को कलंकित करने वाला फैसला है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिशानिर्देश भेजे हैं, जिसमें साफ तौर से जिक्र किया गया है कि बलात्कारियों और उम्रकैद की सजा वाले कैदियों को माफ नहीं किया जाना चाहिए, इसके बावजूद इन कैदियों को रिहा किया गया।
'स्वतः
सज्ञान
लेकर
हस्तक्षेप
करे
सुप्रीम
कोर्ट'
कविता
ने
ट्वीट
किया
कि
पांच
माह
की
गर्भवती
बिल्कीस
बानो
के
बलात्कारियों
और
उसकी
तीन
साल
की
बच्ची
के
हत्यारों
की
सजा
माफ
कर
गुजरात
की
बीजेपी
सरकार
ने
बर्बर
सोच
को
बढ़ावा
दिया
है।
यह
केवल
कानून
एवं
न्याय
की
भावना
के
ही
नहीं,
बल्कि
मानवता
के
भी
विरुद्ध
है।
उन्होंने
सुप्रीम
कोर्ट
से
इस
मामले
में
हस्तक्षेप
करने
का
अनुरोध
करते
हुए
एक
अन्य
ट्वीट
किया
कि
कोई
और
निर्भया
कांड
न
हो,
कोई
बिल्कीस
दर्द
के
इस
चरम
से
न
गुजरे
और
कानून
पर
सबका
भरोसा
बनाए
रहे,
इसके
लिए
जरूरी
है
कि
यह
शर्मनाक
फैसला
वापस
लिया
जाए।
मैं
सुप्रीम
कोर्ट
से
भी
इस
मामले
का
स्वतः
सज्ञान
लेकर
हस्तक्षेप
करने
की
मांग
करती
हूं।