पंजाब में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर बोले पूर्व सीएम बादल- केंद्र के फैसले के खिलाफ सभी दल हों एकजुट
पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने शुक्रवार को राज्य के सभी राजनीतिक दलों से कहा है कि वे आपस में लड़ना बंद करें और केंद्र के फैसले के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हो जाएं।
चंडीगढ़, 16 अक्टूबर। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने शुक्रवार को राज्य के सभी राजनीतिक दलों से कहा है कि वे आपस में लड़ना बंद करें और केंद्र के फैसले के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हो जाएं। बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने पर बादल ने कहा कि केंद्र के इस कदम से देश का संघीय ढांचा कमजोर हो जाएगा और राज्य सरकार का दर्जा नगरपालिका के बराबर हो जाएगा। यह पंजाबियों के गौरव और गरिमा के लिए गंभीर आघात जैसा है। बादल ने कहा कि यदि तुच्छ हितों के लिए हमने लड़ना बंद न किया तो केंद्र हमारी कमजोरियों का फायदा उठाएगा। कल हम सभी पछताएंगे, क्योंकि हमारे पास लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए कोई शक्ति नहीं बचेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र राज्य की नदी के पानी पर अपने वैध अधिकारों को लेने की तैयारी कर रहा है। यह कठोर कदम किसानों के आंदोलन को कुचलने की भी साजिश हो सकती है। बादल ने कहा कि उनकी पार्टी किसी प्रतिष्ठा पर नहीं टिकेगी और खुशी-खुशी किसी अन्य पार्टी में शामिल होगी या उसका अनुसरण करेगी, जो लड़ाई का नेतृत्व करने को तैयार हैं। शिरोमणि अकाली दल कोई भी राजनीतिक सुर्खियां नहीं चाहता और पंजाब के हितों की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास में अन्य सभी दलों के साथ विनम्रतापूर्वक सहयोग करेगा।
बीएसएफ के अधिकार में लगभग आधे पंजाब को कर देने को एक खतरनाक कदम बताते हुए बादल ने कहा कि यह उस समय की वापसी का प्रतीक है जब पंजाब को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। बीएसएफ को व्यापक शक्तियां देकर केंद्र ने पंजाब पुलिस को पूरी तरह से अप्रासंगिक बना दिया है। डर है कि हम उस अंधकार के युग में वापस आ रहे हैं, और वैध आदेश या पूर्व सूचना के बिना सुरक्षा बलों द्वारा घरों की तलाशी लेने पर और लोग अपनी शिकायतों के लिए स्थानीय नेताओं या अधिकारियों के पास नहीं जा सकेंगे।
सिंघु की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण: बादल पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सिंघु बार्डर पर हुई वारदात की कड़ी निंदा की है। साथ ही जघन्य अपराध के सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच की मांग की है, जिसमें नृशंस हत्या और पवित्र सिख धर्मग्रंथ की बेअदबी के आरोप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एक सभ्य समाज में पवित्र ग्रंथों की बेअदबी या बर्बर हिंसा के जघन्य कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि ये घटनाक्रम तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के लंबे, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक संघर्ष को तबाह करने की गहरी साजिश का हिस्सा है, इसकी गहन, निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
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'लगभग 15 वर्षों तक केंद्र ने पंजाब को राष्ट्रपति शासन के तहत सेना के अधीन किया था, जिसके बेहद विनाशकारी परिणाम आए थे। मुझे उम्मीद है कि दिल्ली के वर्तमान शासक इतिहास से सीखेंगें और अतीत की गलतियों को नहीं दोहराएंगे।। मैं पंजाब और पूरे देश के हित में प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे पिछली त्रासदी को न दोहराएं। -प्रकाश सिंह बादल, संरक्षक, शिअद।'