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Rupee value: डॉलर में है दम लेकिन रूपया भी नहीं किसी से कम

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Rupee value: डॉलर के मुकाबले रूपये के कमजोर होने को भारत में कुछ इस तरह प्रचारित किया जाता है मानों भारतीय रूपये का मूल्य रसातल में चला गया है। आंकड़ों को देखें तो ऐसा दिखता नहीं है।

Rupee vs Dollar value compare rupee better than to Pound, Euro and Yen

अमरिकी डॉलर के सामने रूपये के टूटने का एक बड़ा कारण अमेरिका के फ़ेडरल बैंक द्वारा ब्याज दरों को बढाया जाना है। इससे विश्व बाजार में डॉलर की मांग और बढ़ गई है और दुनिया की हर करंसी प्रभावित हुई है।

डॉलर के मुकाबले में रुपया एक साल पहले 75 रूपये के आसपास था, आज 83 रूपये के आसपास है मतलब 8 रूपये टूटा है जो 9 फीसदी के आसपास है।

आइये देखते हैं रूपये की स्थिति दुनिया की अन्य करंसियों के मुकाबले में क्या है।

पाउंड, यूरो और येन के मुकाबले मजबूत हुआ रूपया

यहां हम तीन बिंदुओं पर अध्ययन करते हैं। पहला, क्या रुपया अन्य मुद्राओं के मुकाबले गिर रहा है? दूसरा, डॉलर के मुकाबले अन्य देशों की मुद्राओं का क्या प्रदर्शन है? और तीसरा, पडोसी देशों के मुकाबले हम कहां खड़े हैं?

अब पहला बिंदु लेते हैं, क्या रुपया अन्य मुद्राओं के मुकाबले गिर रहा है? हम इसकी तुलना पौंड स्टर्लिंग से करते हैं। आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 में 1 पाउँड स्टर्लिंग 103 रूपये के बराबर होता था और आज 93 रूपये बराबर है। इसका मतलब हुआ रुपया प्रति पाउँड स्टर्लिंग के मुकाबले रूपया 10 रूपये मजबूत हुआ है जो 10 प्रतिशत के आसपास आता है।

अब रूपये की तुलना यूरोप की मान्य मुद्रा यूरो से करते हैं। आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 यूरो 87 रूपये के बराबर होता था लेकिन आज 81 रूपये के बराबर है। इसका मतलब हुआ रुपया यूरो के मुकाबले लगभग 6 रूपये मजबूत हुआ है जो 7 फीसदी के आसपास आता है।

रूपये की तुलना अब हम जापान की मान्य मुद्रा येन से करते हैं। आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 येन 66 पैसे के बराबर होता था और आज 55 पैसे के बराबर है। इसका मतलब हुआ रुपया येन के मुकाबले लगभग 10 पैसे मजबूत हुआ है जो 15 फीसदी के आसपास आता है।

रूपये की तुलना अब हम ऑस्ट्रेलिया की मुद्रा ऑस्ट्रेलियन डॉलर से करते हैं। आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 ऑस्ट्रेलियन डॉलर 56 रूपये के बराबर होता था लेकिन आज 52 रूपये के बराबर है। इसका मतलब हुआ भारतीय रुपया ऑस्ट्रेलियन डॉलर के मुकाबले लगभग 4 रूपये मजबूत हुआ है जो 7 फीसदी के आसपास आता है।

भारतीय रूपये की ताकत पड़ोसी देशों से ज्यादा

अब दूसरे बिंदु में इस बात को देखते हैं कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश श्रीलंका और चीन की मुद्रा के मुकाबले भारतीय रूपये की हैसियत क्या है।

आज से ठीक एक साल पहले एक भारतीय रूपये के मुकाबले पाकिस्तान बांग्लादेश और श्रीलंका की मुद्रा की कीमत क्रमशः 44 पैसे, 88 टका और 38 पैसे था जबकि आज यह क्रमशः 38 पैसे, 81 टका और 23 पैसे है। मतलब पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के मुकाबले रुपया क्रमशः 6 पैसे, 7 पैसे और 15 पैसे मजबूत हुआ है। यानी पाकिस्तानी रूपये के मुकाबले में भारतीय रूपया 14 फीसदी, बांग्लादेशी टका के मुकाबले में 8 फीसदी और श्रीलंकाई रूपये के मुकाबले में 39 फीसदी मजबूत हुआ है।

यह भी पढ़ें: Dollar vs Rupee: अमरीकी डॉलर के सामने क्यों हार रहा है रूपया?

आइये सबसे महत्वपूर्ण तुलना चीन की करेंसी से करते हैं। 1 साल पहले 18 अक्टूबर 21 को एक युवान के मुकाबले रुपया 11.67 था जो आज 11.42 है। मतलब रुपया चीन के मुकाबले 25 पैसे मजबूत हुआ है जो 2 फीसदी के बराबर की मजबूती है।

अमेरिकी डॉलर के सामने सब धराशाई

तीसरे बिंदु में अब देखते हैं की पाउँड स्टर्लिंग, यूरो और येन जैसी मुद्राएं अमेरिकन डॉलर के मुकाबले कैसा प्रदर्शन कर रही हैं।

एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 डालर के मुकाबले पौंड स्टर्लिंग था 0.73 जबकि आज है 0.88 स्टर्लिंग मतलब 15 फीसदी की गिरावट। यूरो था 0.86 जबकि आज है 1.01 मतलब 17 फीसदी की गिरावट। जापानी येन था 114 के बराबर जबकि आज है 149 के बराबर मतलब 31 फीसदी की गिरावट।

आप यहां पायेंगे की पाउँड स्टर्लिंग, यूरो या येन की डॉलर के मुकाबले गिरावट की दर भारत के रूपये गिरावट की दर से 7 फीसदी ज्यादा है।

अब पड़ोसी देश की मुद्राओं का अमेरिकन डॉलर से तुलना कर लेते हैं। एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 172 रुपया था जो आज 217 के बराबर है। मतलब डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रूपया 45 रुपया टूटा है जो 25 फीसदी बैठता है। एक डॉलर के बदले बांग्लादेशी टका था 86 टका जो आज है 102 टका मतलब 16 टका टूटा जो 19 फीसदी के आसपास है। डॉलर के मुकाबले श्रीलंका का रुपया था 200 के बराबर जो आज है 363 के बराबर मतलब 163 श्रीलंकन रुपया टूटा जो 81 फीसदी के आसपास है।

चीन की मुद्रा युवान भी इस अवधि में डॉलर के मुकाबले 6.43 युवान से 7.20 पहुंच गया मतलब 12 फीसदी की गिरावट हुई है। आप यहां पायेंगे कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन की मुद्रा का डॉलर के मुकाबले गिरने की दर भारतीय रूपये की गिरावट की दर 7 फीसदी से कहीं ज्यादा है।

अमेरिकी डॉलर मजबूत क्यों हो रहा है?

अब इस बात को भी समझ लेते हैं कि दुनिया भर की करंसी के सामने अमेरिकी डॉलर क्यों मजबूत हो रहा है। दुनिया में लगभग 200 से ज्यादा देश हैं। प्रत्येक देश की अपनी-अपनी मुद्रा है और सभी मुद्राएं अन्य देशों की मुद्रा के साथ अपना विनिमय दर रखती हैं।

इन देशों के मुद्रा की विनिमय दर उनके मुद्रा की आपूर्ति और मांग पर निर्भर करती है, जिसमें अमेरिकी डॉलर का बहुत बड़ा योगदान भी रहता है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर की मजबूती के पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला, अमेरिकी फेडरल बैंक का निर्णय, दूसरा हमारा बढ़ता आयात।

अमेरिकी फेड़रल रिज़र्व दर जो फरवरी 2022 में शून्य थी वह अब 3.25 फीसदी हो गई है। जब फेडरल बैंक ब्याज दर में वृद्धि करता है तो दुनिया के सभी निवेशक, अपने वर्तमान निवेश से पैसा निकालते हैं और यूएस फेडरल बैंक में निवेश करते हैं, क्यूंकि यह सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। इस फेडरल बैंक में केवल अमेरिकन डॉलर में ही निवेश हो सकता है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर की मांग बढती है।

अब सवाल उठता है अमेरिकी फेडरल बैंक क्यों ऐसा कर रहा है तो जबाब है भारत की तरह वह भी ब्याज दर बढ़ाकर महंगाई नियंत्रित करना चाहता है। जैसे-जैसे ब्याज अधिक होता है लोग बैंकों में जमा बढ़ा देते हैं, निवेश आना शुरू हो जाता है। कर्ज और क्रेडिट कार्ड महंगा हो जाता है। लोग कर्ज लेकर खर्च करना कम कर देते हैं जिसके कारण बाजार में मुद्रा का प्रचलन कम हो जाता है। मांग कम हो जाती है जिसके कारण कीमतें गिर जाती हैं और मंहगाई पर नियंत्रण हो जाता है। अब यहां ये समझना जरूरी है कि जो डॉलर मजबूत हो रहा है उसका कारण हमारा आंतरिक नहीं है बल्कि अमेरिकी फ़ेडरल बैंक की नीतियां हैं।

दुर्भाग्य से वैश्विक परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं कि कई देशों की मुद्रा की हालत ख़राब हो गई है खासकर उनकी जो डॉलर में आयात का भुगतान करते हैं। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हमारे भी रूपये की हालत इसीलिए टूट रही है क्यूंकि आयात के कारण डॉलर की निकासी ज्यादा है।

जब तक हम आयात के लिए अमेरिकी डॉलर का विकल्प विकसित नहीं कर लेते तथा अपना निर्यात नहीं बढ़ाते, रुपए के सामने डॉलर मजबूत होता रहेगा।

यह भी पढ़ें: डॉलर के मुकाबले में लगातार क्यों कमजोर हो रहा है रुपया?

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
Rupee vs Dollar value compare rupee better than to Pound, Euro and Yen
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