Jaya Bachchan comment on marriage: भारतीय समाज के लिए गैर जरूरी है जया बच्चन की विवाह विरोधी सलाह
Jaya Bachchan comment on marriage: क्या कोई दादी अपनी नातिन को सार्वजनिक रूप से ये सलाह दे सकती है बिना विवाह किए मां बनने में कोई समस्या नहीं है? ये सलाह अगर अमेरिका में दी गयी होती तो कोई मतलब नहीं होता, क्योंकि वहां के बाजार में ऐसी सलाहों पर कोई ध्यान नहीं देता। लेकिन भारत में एक जानी पहचानी महिला ऐसा कहती है तो स्वाभाविक है लोगों का ध्यान आकर्षित होता है।
जया बच्चन ने अपनी नातिन नव्या नवेली को "बिना विवाह के मां बनने में कोई बुराई नहीं है," वाली सलाह देकर खासी सुर्खियां बटोरी हैं। अखबारों में, न्यूज पोर्टल पर उनकी सलाह खूब छापी गयी। जया बच्चन न केवल एक जानी मानी अभिनेत्री रह चुकी हैं बल्कि लंबे समय से वो राज्यसभा में हैं। आखिर उन्होंने ऐसी सलाह क्यों दी होगी?
अपनी जिस नातिन नव्या नवेली को उन्होंने बिना विवाह के मां बनने की सलाह दी है, कुछ साल पहले उसका एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था। उस विडियो में वह शाहरुख खान के बेटे आर्यन के साथ अंतरंग रूप में थी। विडियो उन लोगों ने स्वयं बनाया था जो बाद में सोशल मीडिया पर वॉयरल हो गया था। लेकिन उस समय बच्चन परिवार ने इस पूरे मामले को मीडिया में न उठने देने का प्रयास किया था।
एक पंद्रह सोलह साल की लड़की का इस तरह एमएमएस सामने आना उसको परेशान कर सकता था। उसकी निजता और सम्मान की रक्षा होनी ही चाहिए। लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में वह एमएमएस रुका नहीं और आज भी दर्जनों वेबसाइटों तथा सोशल मीडिया एकाउण्ट पर मौजूद हैं। लेकिन इस मामले को नैतिकता के नाते मीडिया ने नहीं उठाया।
लेकिन क्या ये नैतिकता एकतरफा होती है? अगर समाज को जया बच्चन और उनके नातिन की इतनी चिंता है कि ऐसे मामलों को तूल नहीं दे तो क्या जया बच्चन को समाज की चिंता है कि उन्हें सार्वजनिक रूप से क्या बोलना चाहिए? ऐसा तो नहीं हो सकता कि किसी व्यक्ति का समाज से एकतरफा संबंध हो। समाज तो लेन देन के व्यवहार पर चलता है। अगर समाज हमारा सम्मान करता है तो हमें भी समाज का सम्मान करना चाहिए।
लेकिन जया बच्चन जैसे लोग संभवत: इस बात को भूल जाते हैं। जया बच्चन जिस इंग्लिश स्पीकिंग इलिट क्लास से संबंध रखती हैं उसका शेष भारतीय समाज से भला क्या रिश्ता है? सिवाय इसके कि वो उसे समाज के रूप में देखने की बजाय एक बाजार के रूप में देखें जिससे उनकी आमदनी होती है। लेकिन इतनी बड़ी और गंभीर बात बोलने से पहले उन्हें सोचना चाहिए था कि वो क्या बोल रही हैं और क्यों बोल रही है?
संसार की किसी भी सभ्य सामाजिक व्यवस्था में बिना विवाह के मां बाप बनना अच्छा नहीं माना जाता। फिर भारतीय समाज में तो विवाह ही सामाजिक व्यवस्था का आधार है। स्त्री हो या पुरुष विवाह उसका सामाजिक प्रवेश है। विवाह के उपरांत वो एक परिवार बनते हैं और वह परिवार समाज का हिस्सा बनता है। इसलिए भारतीय समाज विवाह को लेकर बहुत संवेदनशील है। जाति, क्षेत्र, कुल, गोत्र, भाषा बोली सबका बहुत ध्यान रखा जाता है। समाज अपनी व्यवस्थाओं से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करता।
ऊपर से देखने में यह एक रुढिवादी व्यवस्था जरूर लगती है लेकिन यही व्यवस्था भारत की आत्मा है। इस व्यवस्था का आधार उस मनुस्मृति में मिलता है जो कहता है कि गृहस्थ आश्रम सभी आश्रमों में सर्वश्रेष्ठ है। भारतीय समाज व्यवस्था के बाकी सभी आश्रम इसी गृहस्थ आश्रम पर निर्भर हैं जिसकी शुरुआत विवाह से ही होती है। अगर गृहस्थ आश्रम की व्यवस्था में दोष आ गया तो भारतीय समाज व्यवस्था के बिखरने में कितना समय लगेगा?
जया बच्चन जैसे लोग जो समाज को बाजार के दृष्टिकोण से देखते हैं, वो कभी इस बात को समझ नहीं सकेंगे। इनकी अधिकतम समझ प्रेम और सेक्स तक जाती है। ज्यादा से ज्यादा प्रेम विवाह तक। हमारे शास्त्रों में इसे गंधर्व विवाह कहते हैं, और इसे निम्न स्तरीय व्यवस्था माना गया है।
मनुस्मृति में चार प्रकार के विवाह, ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह और प्रजापत्य विवाह को श्रेष्ठ बताया गया है जबकि आसुर, गांधर्व, राक्षस और पिशाच विवाह को निम्न कोटि का बताया गया है। मतलब अलग अलग समाज के लोग जो प्रेम विवाह करते हैं, भारतीय समाज उसका निषेध नहीं करता है लेकिन ऐसे विवाह को स्वीकार भी नहीं करता।
ये बातें भारतीय समाज में इतनी रची बसी हैं कि सामान्य व्यक्ति बिना मनुस्मृति पढे भी ऐसे सामाजिक नियमों का पालन करता है। इसके कारण उसे एक स्वाभाविक सामाजिक सुरक्षा मिली हुई है। लेकिन मानों भारत का यूरोपीय सांचे में पला बढा समाज इन सबको खारिज करके अपनी मनमानी और गैर सामाजिक व्यवस्थाओं को किसी क्रांतिकारी कदम के रूप में सामने रखता है। जबकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि प्रेम विवाह सबसे सफल और टिकाऊ विवाह साबित होते हैं।
लेकिन ये लोग अपनी कमियों को छिपाते हुए अब एक कदम और आगे जाना चाहते हैं कि विवाह को ही पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। पशुवत जीवन जीनेवाले ऐसे आधुनिक और उन्नत मनुष्य के लिए हो सकता है आहार, निद्रा और मैथुन के परे की कोई सोच ही न बची हो, लेकिन भारतीय समाज तो पशुवत नहीं हुआ अभी। उसके पास धर्म की शक्ति है जो उसे पशुओं के आहार, निद्रा और मैथुन से आगे सोचने की शक्ति देता है।
जया बच्चन जैसे लोगों को अगर लगता है कि उनकी नातिन के एमएमएस पर कोई बात न करे, क्योंकि वो उनका निजी जीवन है तो फिर उन्हें भी समाज को सलाह देने से बचना चाहिए। उनका अपना निजी जीवन है, वो जैसे चाहें वैसे गुजारें, कोई उन पर टिप्पणी करने नहीं जाएगा लेकिन अगर वो उस सामाजिक व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं जिसका हिस्सा नहीं रह गयी हैं, तो समाज ऐसे लोगों की समीक्षा करने को मजबूर हो जाएगा। ऐसे लोगों को यह दंभ भी नहीं पालना चाहिए कि पशुवत जीवन दर्शन का पालन करके वो आधुनिक और दूसरे लोग पिछड़ा जीवन जी रहे हैं।
यह भी पढ़ें: 'अगर नव्या शादी के बिना भी बच्चा पैदा करें तो...' नातिन को लेकर नानी जया बच्चन ने की चौंकाने वाली बात
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)