मौलाना बनकर 35 महिलाओं के साथ हलाला करने वाला हत्यारा
32 साल से वो इलाहाबाद पुलिस के लिए वांटेड था। जब उसे पकड़ा गया तो वो आफताब से मौलाना करीम बन गया था। इन 32 सालों में उसने आस्थावानों से करोड़ों कमाए तो वहीं मुंहमांगी रकम लेकर करीब 35 महिलाओं के साथ हल
इलाहाबाद। हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास का सजायाफ्ता मुजरिम हाइकोर्ट से जमानत मिलने के बाद फरार हुआ तो फिल्मी स्टाइल में वो सब कुछ कर गया जिससे उसकी पहचान ही बदल गई। 32 साल से वो इलाहाबाद पुलिस के लिए वांटेड था। जब उसे पकड़ा गया तो वो आफताब से मौलाना करीम बन गया था। इन 32 सालों में उसने आस्थावानों से करोड़ों कमाए तो वहीं मुंहमांगी रकम लेकर करीब 35 महिलाओं के साथ हलाला किया। आफताब को गिरफ्तार करने वाली टीम के लीडर इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह ने इस फरेबी की पूरी कहानी मीडिया से साझा करते हुए बताया है कि आफताब नाटे के ऊपर 12 हजार का इनाम घोषित किया गया था। हमने इसके घर और नजदीकियों पर नजर रखनी शुरू की, फिर घर के मोबाइल नंबर पर आने वाले फोन कॉल की लोकेशन ट्रेस की। जिसके बाद हमारा काम आसान हो गया।
फैला था बड़ा जाल
एसपी सिटी सिद्धार्थ मीना ने मीडिया से बताया कि अफताब के परिजनों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगाया गया। तब इसकी लोकेशन भी ट्रेस हो गई। लेकिन आफताब सिम के साथ अपनी जगह बदलता रहता था। इसका कारण ये था की उसने अपना मायाजाल कई शहरों में फैलाया हुआ था। वो कभी मुंबई, सूरत और अजमेर शरीफ पहुंच जाता। इस समय आफताब ने अजमेर शरीफ में मौलाना करीम के नाम से अपनी धाक जमा ली थी। वो बहुत पहुंचा हुआ बाबा बन चुका था। जिसके कारण ही इससे झाड़-फूंक कराने और ताबीज लेने के लिए भीड़ लगी रहती थी। इसकी एवज में आफताब को खूब पैसे भी मिलते थे। जैसे-जैसे इसकी शोहरत फैली, उसके दर्जनों शागिर्द और सैकड़ों मुरीद भी बन गए। नाम बड़ा होते ही लोग आफताब यानि करीम से हलाला के लिए संपर्क करने लगे। हलाला के लिए आफताब मुंह मांगी रकम लेता था। 32 साल से फरार चलने के दौरान उसने 35 से ज्यादा महिलाओं के साथ हलाला भी किया।
कैसे हुआ गिरफ्तार?
पुलिस के मुताबिक इलाहाबाद के दायराशाह अजमल का रहने वाला आफताब साल भर में सिर्फ दो बार ही घर आया करता था। लेकिन परिजन इसे किसी से बताते नहीं थे। यहां तक की जब परिजनों पर दबाव बन गया तो परिजनों ने अफवाह फैलाई कि आफताब पत्नी पर तेजाब फेंककर भाग गया था। तब से आज तक घर नहीं लौटा है। पुलिस ने परिजनों का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर रखा तभी सक हो गया था कि आफताब परिजनों के संपर्क में है। आफताब के इलाहाबाद लौटने का पुलिस इंतजार करने लगी और उसके घर पर पुलिस निगरानी रखने लगी। इस बार जैसे ही आफताब आया पुलिस ने उसे दबोच लिया।
क्यों था फरार?
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक आफताब उर्फ नाटे ने 1981 में शहर के नखास कोना निवासी अजमत की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसकी मुड़मा शाहगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। आफताब इस मामले में गिरफ्तार हुआ और दो साल बाद यानी 1983 में जिला न्यायालय ने आफताब को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आफताब ने दो साल बाद यानी 1985 में हाईकोर्ट में अपील कर जमानत हासिल की और इलाहाबाद छोड़ कर भाग निकला। वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया तो आफताब को कोर्ट में पेश करने का आदेश लिया। लेकिन फरार आफताब को पुलिस फरार होने की वजह से पेश नहीं कर सकी। तब एसएसपी ने आफताब पर 12 हजार का इनाम भी घोषित किया और पुलिस टीम की कई टीम आफताब के पीछे लगा दी गई। बताया तो ये जाता है कि आफताब उर्फ नाटे इलाहाबाद के कुख्यात अपराधी चांद बाबा का पार्टनर था। लेकिन 1989 में बहूबली अतीक अहमद के विधायक बनते ही चांद बाबा की हत्या हो गई। जिसके बाद आफताब कभी किसी की नजर में नहीं आया।
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