विराट कोहली के सपोर्ट में उतरे रवि शास्त्री, विश्वकप में जीत को लेकर BCCI पर साधा निशाना
नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज गंवाने के बाद जिस तरह से अपनी कप्तानी से इस्तीफा दिया, उसने खेल जगत को हैरानी से भर दिया। टेस्ट प्रारूप की कप्तानी छोड़ने से पहले विराट कोहली ने सीमित ओवर्स की कमान रोहित शर्मा को सौंप दी गई थी। इसके साथ ही विराट कोहली की कप्तानी का करियर भी समाप्त हो गया है। जहां विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में भारत को हर प्रारूप में जीत दिलाते हुए कई सारे रिकॉर्ड अपने नाम किये और भारत के सबसे सफल कप्तान बने तों वहीं उनके करियर में जिस चीज की कमी रह गई वह थी उनकी कप्तानी में आईसीसी का खिताब जीतने की, जो कि उनके करियर की सबसे बड़ी नाकामी साबित हुआ।
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विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में भारत के लिये आईसीसी की चैम्पियन्स ट्रॉफी, 2019 का वनडे विश्वकप, विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप और 2021 की टी20 विश्वकप में टीम का नेतृत्व किया, जिसमें से टी20 विश्वकप को छोड़ दें तो हर टूर्नामेंट में भारतीय टीम खिताब जीतने के करीब पहुंचकर हार गई। विराट कोहली ने 2021 टी20 विश्वकप से पहले वर्कलोड मैनेजमेंट को संभालने के लिये खेल के इस प्रारूप की कप्तानी को छोड़ने का फैसला कर लिया था, हालांकि उन्होंने वनडे और टेस्ट की कप्तानी जारी रखने का फैसला किया था।
कोहली के समर्थन में उतरे रवि शास्त्री
हालांकि भारतीय चयनकर्ता उनके इस फैसले से सहमत नहीं हुए और उन्होंने स्प्लिट कैप्टेंसी रखने का फैसला किया और वनडे प्रारूप की कमान भी विराट से लेकर रोहित शर्मा को दे दी। इस दौरान जब विराट कोहली से कप्तानी को लेकर बात की गई तो चयनकर्ताओं ने आईसीसी टूर्नामेंट में जीत न पाने की उनकी नाकामी का हवाला देते हुए दोनों प्रारूप के अलग कप्तान बनाने के फैसले के बारे में बताया। जहां पर विराट कोहली ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया तो वहीं पर खेल जगत के दिग्गजों को चयनकर्ताओं का यह लॉजिक पसंद नहीं आया।
चयनकर्ताओं के इस फैसले से असहमत होने वाले लोगों में अब एक नया नाम पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री का भी जुड़ गया है, जिन्होंने कोहली की कप्तानी में टीम की देख रेख की और नई ऊंचाइयों तक ले जाने में अहम रोल निभाया।
गांगुली, द्रविड़ ने भी नहीं जीता था एक भी विश्वकप
न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए रवि शास्त्री ने कहा,'किसी भी कप्तान की काबिलियत उसके आईसीसी खिताब जीतने से नहीं लगायी जा सकती। अगर आप भारत के कई दिग्गज खिलाड़ियों के इतिहास पर नजर डालेंगे तो वो विश्वकप जीत पाने में नाकाम रहे थे। सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले, इनमें से किसी ने भी विश्वकप नहीं जीता था पर क्या इसका मतलब यह है कि वो खराब खिलाड़ी हो गये या फिर उनकी कप्तानी अच्छी नहीं थी।'
शास्त्री ने बताया क्या होना चाहिये सफलता का पैमाना
शास्त्री ने आगे बात करते हुए कहा कि आप इस चीज को यूं ही सही साबित नहीं कर सकते हैं। आप जाते हैं और खेलते हैं। हमारे पास कुल कितने कप्तान हैं जिन्होंने विश्वकप जीता है। सचिन तेंदुलकर को विश्वकप जीतने वाली टीम का हिस्सा बनने के लिये 6 टूर्नामेंट लग गये थे।
उन्होंने कहा,'आखिरकार आपको इस बात पर परखा जाना चाहिये कि आपने कैसा खेला है। क्या आप इस खेल के प्रतिनिधि नहीं है। क्या आपने इस खेल को पूरी लगन के और लंबे समय तक के लिये खेला है। केवल इसी तरह से आप किसी की काबिलियत को जज कर सकते हैं।'
शास्त्री ने आलोचकों पर साधा निशाना
रवि शास्त्री ने इस दौरान उन लोगों पर भी निशाना साधा जो कि भारतीय टीम के एक सीरीज हारने पर हाय तौबा करने लग जाते हैं। शास्त्री ने बताया कि उन्होंने भारत और साउथ अफ्रीका सीरीज की एक भी गेंद लाइव नहीं देखी।
उन्होंने कहा,'अगर आप एक सीरीज हार जाते हो तो लोग आपकी आलोचना करना शुरु कर देते हैं। आपको समझना होगा कि आप हर मैच नहीं जीत सकते। अगर कुछ जीत होंगी तो कुछ हार का भी सामना करना पड़ेगा। अचानक से ये मानक कैसे बदल सकते हैं। पांच सालों तक आपकी टीम नंबर 1 रही है। मैंने सीरीज का एक भी मैच और उसमें फेंकी गई एक भी बॉल नहीं देखी है लेकिन मुझे यकीन है कि इससे विराट के जज्बे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।'